भारतीय वायु सेना अपना 92वां स्‍थापना दिवस मना रहा है

भारतीय वायु सेना अपना 92वां स्‍थापना दिवस मना रहा है

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वायु सेना दिवस 8 अक्‍टूबर को मनाया जाता है. इस बार भारतीय वायु सेना दिवस अपना 92वां स्‍थापना दिवस मना रहा है. वायु सेना की स्थापना 8 अक्‍टूबर 1932 में हुई थी. हर साल इस दिन को एयरफोर्स डे के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है. भारतीय वायु सेना समय-समय पर अपना दमखम दिखाती रही है. चाहे वह पाकिस्‍तान युद्ध हो या द्वितीय विश्‍व युद्ध. पिछले वर्षों में वायु सेना और अत्‍याधुनिक लड़ाकू विमानों से लैस हुई है.

अपने 92वें स्थापना दिवस से पहले भारतीय वायुसेना ने 6 अक्तूबर को चेन्नई के मरीना बीच पर भव्य एयर शो का आयोजन किया, जिसमें राफेल, मिग-29, त्तेजस, सुखोई-30 एमकेआई जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स सहित वायुसेना के कुल 72 विमानों ने अपनी ताकत और कुशलता का प्रदर्शन किया और जांबाज वायुवीरों ने भी अपने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया।

आसमान में वायुवीरों के प्रदर्शनों को देखकर हर कोई रोमांच से भर उठा। एयर शो का सबसे प्रमुख आकर्षण रहा ऐतिहासिक विरासत के रूप में दिखाया गया प्रथम विश्वयुद्ध में इस्तेमाल हुआ हार्वर्ड टी-6जी टैक्सन एयरक्राफ्ट, जिसे भारतीय वायुसेना ने वर्ष 1974 तक ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया था। राफेल, मिग-29, सुखोई-30 एमकेआई, तेजस जैसे फाइटर जेट्स, सारंग, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (प्रचंड), एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ध्रुव) जैसे हेलीकॉप्टर तथा सी-295, अपाचे, डकोटा, चेतक, जगुआर इत्यादि अन्य एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना की अभेद्य ताकत बन चुके हैं। भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर हर साल एयर शो आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य न केवल पूरी दुनिया को भारत की वायुशक्ति से रूबरू कराना है बल्कि युवाओं को वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।

भारतीय वायुसेना का गठन 
भारतीय वायु सेना का गठन आठ अक्‍टूबर 1932 को हुआ था. भारत के आजाद होन से पहले एयर फोर्स को रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था. भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है. गाजियाबाद स्थित हिंडन वायु सेना स्‍टेशन एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस है. इंडियन एयर फोर्स का आर्दश वाक्‍य नभ : स्‍पृशं दीप्‍तम है. अंग्रेजी में इसे Touch The Sky With Glory है.

नभ: स्‍पृशं दीप्‍तम
नभ: स्‍पृशं दीप्‍तम वाक्‍य को धार्मिक ग्रंथ गीता के 11वें अध्‍याय से लिया गया है. यह वाक्‍य महाभारत में भगवान श्रीकृष्‍ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का अंश है. इस वाक्‍य को 21 अप्रैल 1959 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा अनुमोदित किया गया था. बता दें कि भारतीय वायु सेना ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल 1933 को भरी थी. खास बात यह है कि इंडियन एयर फोर्स ने द्वितीय विश्‍व युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी. जानकारी के मुताबिक, अब तक भारतीय वायु सेना कुल पांच जंग लड़ चुकी है.

भारतीय वायुसेना में इस समय राफेल, सुखोई 30, मिराज 2000, जगुआर, तेजस, आरपीए 50, मिग-27, मिग-29 के अलावा हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, चेतक, चीता, एमआई-8, एमआई-17, एमआई-26, एमआई-25 एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एचएएल रुद्र इत्यादि अत्याधुनिक विमान शामिल हैं, जो किसी भी विकट स्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं।

भारतीय वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने का गौरव हासिल है। देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है और वायुसेना के बेड़े में दमदार लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जिनके कारण हमारी वायुसेना अब पहले के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। अब हम हवा में पहले के मुकाबले बहुत मजबूत हो चुके हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हैं।

भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं।

भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 जैसे जेट विमान ऑल-वेदर मल्टीरोल विमान हैं, जो किसी भी मौसम में और कैसी भी परिस्थितियों में उड़ान भर सकते हैं। मिराज-2000, मिग-29, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस के अलावा सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान करीब पौने चार घंटे तक हवा में रहने और तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम हैं।

एक बार में 4200 से 9000 किलोमीटर की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं। चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं। इनके अलावा भारत के पास दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम 952 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार वाली ब्रह्मोस मिसाइलों सहित कई अन्य घातक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता से दुश्मन देश थर्राते हैं।

भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे।

आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे।

भारतीय वायु सेना का मुख्य कार्य क्या है?

भारतीय वायु सेना का मुख्य कार्य देश की हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करना है, यह दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा करती है और संकट के समय में सहायता प्रदान करती है, इसके अलावा, यह आपातकालीन राहत कार्यों और मानवता की सेवा में भी सक्रिय रहती है, वायु सेना की भूमिका देश की संप्रभुता को बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!