भारतीय वायुयान विधेयक संसद में पारित

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संसद ने 90 साल पुराने एयरक्राफ्ट बिल को बदलने के लिए संसद में भारतीय वायुयान विधेयक-2024 ध्वनिमत से पारित कर दिया है। तेजी से उभरते उड्डयन क्षेत्र में कारोबार की सरलता और कामकाज में सुधार के लिए यह विधेयक लाया गया है।

ध्वनिमत से पारित हुआ विधेयक

भारतीय वायुयान विधेयक-2024 को गुरुवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया। इससे पहले इसे 9 अगस्त को लोकसभा में पारित किया गया था। इसे 21 बार संशोधित किए जा चुके एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 के स्थान पर लाया गया है। उच्च सदन में यह विधेयक मंगलवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने पेश किया था। उन्होंने कहा था कि यह विधेयक कानून बनने पर 90 साल पुराने विमान अधिनियम की जगह लेगा तथा विमानन क्षेत्र के प्रमुख निकायों को ज्यादा शक्ति प्रदान करेगा।
राज्यसभा में भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक के नाम को लेकर सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया वहीं सत्ता पक्ष ने इस आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह कानून लगभग सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर लाया गया है।

विपक्ष ने सरकार से पूछे सवाल

विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने कहा कि सरकार को नाम बदलने का बहुत शौक है। पहले भारतीय दंड संहिता का नाम बदल कर भारतीय न्याय संहिता किया गया और अब विमान अधिनियम का नाम बदल कर भारतीय वायुयान अधिनियम किया जा रहा है। यह सरकार गेम चेंजर नहीं बल्कि नेम चेंजर सरकार है। उन्होंने सरकार पर हर जगह ¨हदी थोपने का आरोप मढ़ा। द्रमुक सदस्य कनीमोरी ने कहा कि सरकार को उन लोगों पर ¨हदी नहीं थोपना चाहिए जो हिंदी नहीं बोलते हैं।

विधेयक के नाम पर सदन में हंगामा 

गुरुवार को राज्यसभा में ‘भारतीय वायुयान विधेयक, 2024’ पेश किया गया। ये विधेयक व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने और विमानन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए 90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलने का प्रयास करता है। यह विधेयक ध्वनिमत से पारितक भी हो गया। हालांकि, इसके नाम पर कुछ विपक्षीं सांसदों ने सरकार पर हिंदी थोपने को आरोप लगाया।

विपक्ष के कुछ सांसदों ने सरकार पर कानूनों के हिंदीकरण का आरोप लगाया। इस दौरान टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा कि इतने सारे कानूनों के नाम हिंदी क्यों हैं? यह हिंदी थोपना है। 2024 में लोगों का जनादेश विविधता, लाभांश और संघीय सिद्धांत के लिए था, लेकिन सरकार कानूनों के हिंदीकरण पर अड़ी हुई है।
आगे उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया है और भारतीय विमान अधिनियम को बदलकर अब भारतीय वायुयान विधायक कर दिया गया है।

भारतीय वायुयान विधेयक 2024 पर उच्च सदन में चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (बीजद) सदस्य सुलता देव ने ‘उड़े देश का आम आदमी’ (उड़ान) योजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह योजना नाकाम रही है क्योंकि लोग खाद्य पदाथों सहित विभिन्न चीजों की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, ऐसे में वे हवाई यात्रा करने की बात सिर्फ सोच ही सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हवाई किराया भी इतना अधिक है कि लोग उससे परेशान हैं. उन्होंने हवाई किराए पर नियंत्रण की मांग करते हुए दावा किया कि इस संबंध में विमानन कंपनियां मनमानी करती हैं.

बीजद सदस्य ने कहा कि यात्रियों को थोड़ी देर होने पर भी बोर्डिंग पास नहीं दिया जाता जबकि विमानन कंपनियों की उड़ानों में अक्सर देर होती रहती है और इसके लिए यात्रियों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता.

चर्चा में भाग लेते हुए सपा सदस्य रामजी लाल सुमन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित जेवर हवाई अड्डा के लिए किसानों से उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. उन्हें पहले चरण का मुआवजा दे दिया गया है. सुमन ने कहा कि किसानों को दूसरे एवं तीसरे चरण का मुआवजा नहीं मिला है जो चिंता का विषय है. उन्होंने बंद की गयी उड़ानों की समीक्षा करने और नयी उड़ानें शुरू करने की मांग भी की.

चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) नेता एच डी देवेगौड़ा ने कर्नाटक के हासन में प्रस्तावित हवाई अड्डा चालू करने की मांग की. वाईएसआरसीपी सदस्य एस निरंजन रेड्डी ने विधेयक के नाम को लेकर सवाल किया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन है. उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक का नाम अंग्रेजी में भी होना चाहिए.

भाजपा के बृजलाल ने कहा कि मौजूद कानून 90 साल पुराना है और इसमें 21 बार संशोधन हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के इस कानून में इतने पैबंद लग गए हैं कि मूल कानून ही नहीं बचा है.

उन्होंने कहा कि देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत है और यह विधेयक उसी दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के शेष हिस्से से अलग-थलग नहीं रह सकता है और शिकागो संधि का हिस्सा होने के कारण भी यह विधेयक जरूरी है.

भाजपा सदस्य ने कहा कि सरकार विमानन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रयासरत है और इसका असर भी दिख रहा है. उन्होंने कहा कि एक समय देश में हवाई अड्डों की कुल संख्या सिर्फ 74 थी जो अब बढ़कर 149 हो गयी है. उन्होंने कहा कि देश में अब 1500 विमानों का बेड़ा है.

राकांपा-एसपी सदस्य फौजिया खान ने कहा कि इस विधेयक में ड्रोन आदि को शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कार्बन उत्सर्जन, प्रदूषण पर काबू या पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का भी जिक्र नहीं किया गया है. उन्होंने अकेली हवाई यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए विशेष सीट और सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की.

भाकपा के संतोष कुमार पी ने भी विधेयक के नाम पर आपत्ति जतायी और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 348 के अनुरूप नहीं है. भाजपा के भीम सिंह ने कहा कि सरकार पुराने कानूनों को बदल रही है और यह विधेयक उसी दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य व्यापक है और इसमें डिजाइन को भी शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि 90 साल पुराने मूल कानून में पतंग और गुब्बारों को भी वायुयान कहा गया था.

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