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भारतीय सेना प्रमुख इटली के कैसिनो शहर में एक स्मारक का उद्घाटन करेंगे,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ये 1936 की बात है। जब ब्रिटिश और फ्रांसीसियों ने एक बढ़े हुए इतालवी साम्राज्य के लिए मुसोलिनी की योजनाओं में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।  ऐसे में हिटलर ने आगे बढ़कर मुसोलिनी का साथ दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में हिटलर और मुसोलिनी आपस में गठबंधन कर चुके थे। यही नहीं युद्ध से पहले ही जर्मनी ने लीग ऑफ़ नेशन्स को छोड़ दिया था। 1943 में, एक युद्ध के दौरान मुसोलिनी की हार हुई और उन्हें जेल में डाल दिया गया था और इसके बाद इटली ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा की।

मोंटे कैसिनो की लड़ाई में भारतीय सेना के तीन इन्फैन्ट्री डिवीज़नों (चौथे, आठवें और दसवें) ने हिस्ला लिया और इटली को फासीवादी ताकतों से बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।  भारतीय रक्षा मंत्रालय की सूची के अनुसार 19 सितम्बर, 1943 को नेपल्स के दक्षिण में टारंटो में लगभग 50 हजार भारतीय सैनिक पहली पार्टी के रूप में उतरे थे। इनमें से ज्यादातर 19 से 22 वर्ष की आयु के बीच उम्र के लिहाज से इतने छोटे थे कि वे खून, क्रूरता और मौत का खेल देखने लायक भी नहीं थे लेकिन इसके बावजूद इन्होंने ‘इटली की मुक्ति’ के लिए लड़ाई लड़ी।

द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की क्या भागीदारी थी?

1940 के दशक में भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और भारतीय सेना ने प्रथम और द्वितीय दोनों विश्व युद्धों में लड़ाई लड़ी थी। इसमें भारतीय और यूरोपीय दोनों सैनिक शामिल थे। इसके अलावा ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी, जिसमें भारतीय और यूरोपीय दोनों सैनिक थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना सबसे बड़ी स्वयंसेवी शक्ति थी, जिसमें 2.5 मिलियन (20 लाख से अधिक) भारतीयों ने भाग लिया था। इन सैनिकों ने मित्र राष्ट्रों के हिस्से के रूप में धुरी शक्तियों (जर्मनी, इटली और जापान) से लड़ाई लड़ी। 1945 तक, मित्र राष्ट्र जीत चुके थे, इटली आजाद हो गया था, एडोल्फ हिटलर मर चुका था और भारत आजादी से मुश्किल से दो साल कम था। हालांकि, जबकि लाखों भारतीयों ने भाग लिया, उनके प्रयासों को हमेशा मान्यता नहीं मिली।

तीन इन्फैन्ट्री डिवीज़नों ने इतालवी अभियान में लिया हिस्सा

“ब्रिटिश मिलिट्री हिस्ट्री” नामक वेबसाइट के अनुसार भारतीय सेना के तीन इन्फैन्ट्री डिवीजनों ने इतालवी अभियान में भाग लिया। ये चौथे, आठवें और दसवें भारतीय डिवीजन थे। 8वाँ भारतीय इन्फैंट्री डिवीजन इटली में पहुँचने वाला देश का पहला डिवीज़न था जिसने  वर्ष 1941 में अंग्रेज़ों द्वारा इराक और ईरान में हुए हमलों के समय कार्रवाई की। दूसरा आगमन चौथे भारतीय डिवीज़न का था जो दिसंबर 1943 में उत्तरी अफ्रीका से इटली आया था। वर्ष 1944 में इसे कैसीनो में तैनात किया गया था। तीसरा आगमन 10वें भारतीय डिवीजन का था जिसे वर्ष 1941 में अहमदनगर में गठित किया गया और वर्ष 1944 में यह इटली पहुंचा।

5 हजार से अधिक भारतीय जवानों ने प्राणों की आहुति दी

इस अभियान के दौरान कम से कम 5,782 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जिनके पार्थिव शरीर आज भी इटली में 06 प्रमुख शहरों के 40 कब्रिस्तानों में दफन हैं। इटली को आजाद कराने के लिए दिए गए 20 में से 06 विक्टोरिया क्रॉस भारतीय सैनिकों को मिले थे। भारतीय सैनिकों के पार्थिव शरीर इटली के 06 प्रमुख शहरों कैसिनो, अरेज़ो, फ्लोरेंस, फोर्ली, संग्रो नदी और रिमिनी के 40 कब्रिस्तानों में दफन हैं।

भारत के शहीदों का उल्लेख यूके स्थित कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन बुकलेट में भी किया गया। कैसिनो युद्ध में शहीद 4,271 राष्ट्रमंडल सैनिकों के पार्थिव शरीर कब्रिस्तान में दफन हैं, जिनमें से 431 भारतीय सैनिक हैं। कब्रिस्तान के भीतर कैसिनो मेमोरियल खड़ा है, जो 4,000 से अधिक राष्ट्रमंडल सैनिकों की याद दिलाता है। इसके अलावा 1438 भारतीयों की कब्रों के बारे में पता नहीं है।

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