डेंगू के लिए भारत की पहली DNA वैक्सीन!

डेंगू के लिए भारत की पहली DNA वैक्सीन!

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इंडिया नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के शोधकर्त्ताओं ने भारत, अफ्रीका और अमेरिका के नौ अन्य संस्थानों के सहयोग से डेंगू बुखार के उपचार हेतु भारत की पहली एवं एकमात्र DNA वैक्सीन विकसित की है।

  • चूहों पर शुरुआती परीक्षणों में इसकी मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी गई और बीमारी के संपर्क में आने के बाद जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है।

DNA वैक्सीन: 

  • DNA वैक्सीन में DNA के एक छोटे से हिस्से का उपयोग किया जाता है जो एक विशिष्ट एंटीजन (एक अणु जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है) हेतु रोगजनक जैसे- वायरस या जीवाणु से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को त्वरित करने के लिये कोड करता है।
  • DNA को सीधे शरीर की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है, जहाँ यह कोशिकाओं को एंटीजन बनाने का निर्देश देता है।
    • प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एंटीजन को बाह्य तत्त्व के रूप में पहचानने और इसके प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तंत्र विकसित किये जाने के बाद रोगजनक-विशिष्ट प्रतिरक्षा विकसित होती है।
  • DNA वैक्सीन तीसरी पीढ़ी की वैक्सीन है।
  • DNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन ZyCoV-D विश्व में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है और इसे विशेष रूप से भारत में विकसित किया गया है।

डेंगू:

  • परिचय: 
    • डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों, मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है।
      • इस मच्छर के कारण चिकनगुनिया (Chikungunya) और जीका संक्रमण (Zika Infection) भी होता है।
  • डेंगू के सीरोटाइप:
    • डेंगू को उत्पन्न करने वाले चार अलग-अलग परंतु आपस में संबंधित सीरोटाइप (सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति के भीतर अलग-अलग समूह जिनमें एक समान विशेषता पाई जाती है) DEN-1, DEN-2, DEN-3 और DEN-4  हैं। 
  • लक्षण:
    • अचानक तेज़ बुखार, तेज़ सिर दर्द, आंँखों में दर्द, हड्डी, जोड़ और मांसपेशियों में तेज़ दर्द आदि।
  • डेंगू की वैक्सीन:
    • वर्ष 2019 में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food & Drug Administration) द्वारा डेंगू की वैक्सीन CYD-TDV या डेंगवैक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) अनुमोदित की गई थी, जो अमेरिका में नियामक मंज़ूरी पाने वाली डेंगू की पहली वैक्सीन थी।
      • डेंगवैक्सिया मूल रूप से एक जीवित, दुर्बल डेंगू वायरस है जिसकी खुराक 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के उन लोगों को दी जाती है जिनमें पूर्व में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है और जो संक्रमित क्षेत्रों में रहते हैं।
  • वैक्सीन के विकास में चुनौतियाँ: 
    • डेंगू से बचाव की एक प्रभावी वैक्सीन विकसित करना मुश्किल है क्योंकि यह डेंगू के चार समकक्षीय/प्रतिरूपी वायरस सेरोटाइप के कारण होता है।
      • यह प्रत्येक व्यक्ति के रक्त में उपस्थित प्रतिरक्षा के साथ अलग-अलग तरीके से इंटरैक्ट करता है। DEN-1 से संक्रमित व्यक्ति को इस वायरस के विरुद्ध आजीवन संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन डेंगू के अन्य तीन सीरोटाइप के विरुद्ध नहीं।
        • डेंगू के सभी सीरोटाइप्स को सही वैक्सीन द्वारा लक्षित किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त यह वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण को प्रेरित करती है और डेंगू वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकती है। हालाँकि डेंगू के मामले में एंटीबॉडी वायरस की प्रतिकृति अधिक गंभीर बीमारी में सहायता करती है।
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