22 अप्रैल 1913 को ही भारत की पहली फिल्म सत्य हरिश्चंद्र का प्रदर्शन हुआ था.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
२१ अप्रैल २०२२ को भारतीय सिनेमा की ११०वीं वर्षगांठ है. आज से १०९ साल पहले २१ अप्रैल १९१३ को भारत की पहली फिल्म सत्य हरिश्चंद्र धुन्धिराज फाल्के (दादा साहब फाल्के) ने तत्कालीन बम्बई के ओलंपिया थियेटर में रिलीज़ की थी ।
मूक फिल्म होने के बावजूद ४० मिनट की यह फिल्म हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी में सब टाइटल के साथ प्रदर्शित की गई थी। अतः इसे हिंदी की पहली फिल्म भी कहा जा सकता है। फिल्म के सितारों के चयन के लिए फाल्के साहब ने जो विज्ञापन निकाला था, उसमें स्पष्ट किया गया था कि फिल्म के लिए सुन्दर दिखने वाले और सच्चरित्र लोग ही आवेदन करें। इसीलिए पहली फिल्म के लिए उन्होंने रघुवंश के गौरवशाली चरित्र सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र, उनकी पत्नी तारामती और सुपुत्र रोहित की कथा का चयन किया। दादा साहेब फाल्के ने लंका दहन, कालिय मर्दन, सत्यवान सावित्री, गंगावतरण, मोहिनी भस्मासुर जैसी फिल्में बनाकर अपने स्वप्न को साकार किया,लेकिन कालांतर में सिनेमा ने वैविध्य दिया किंतु फाल्के साहब के पथ से धीरे धीरे दिग्भ्रमित भी होता गया।
फिल्म देखने केवल खास लोगों को ही न्यौता मिला था
फिल्म को बनने में 7 महीने और 21 दिन लगे थे, जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो इसे देखने के लिए केवल चुने हुए खास लोगों को ही बुलाया गया था. हालांकि इसका प्रीमियर 21 अप्रैल 1913 को ओलंपिया थिएटर में हो चुका था, फिर भी 3 मई को फिल्म रिलीज के वक्त चुने हुए लोग ही आमंत्रित किए गए थे. बाद में इसे दर्शकों ने देखा और खूब सराहा. भारतीय सिनेमा जगत की यह पहली फिल्म सुपरहिट हुई थी.
कुल मिलाकर बीते 109 साल का हिन्दी सिनेमा विश्व सिने जगत को काफी कुछ देता भी है और काफी कचरा भी परोसता है।
कुछ भी हो, आइये, आशा करें कि हिन्दी सिनेमा दुनिया को कुछ बेहतर फिल्में आगे भी देता रहेगा।
चित्र भारत की पहली फ़िल्म सत्य हरिश्चंद्र तथा उसके टिकट के है ।
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