भारत के होनहार जो हैं ओलंपिक में पदक जीतने के दावेदार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

टोक्यो ओलंपिक में 127 भारतीय एथलीट पदक जीतने के लिए जान लगा देंगे। निशानेबाजी में मनु भाकर, दिव्यांश, इलावेनिल, सौरभ चौधरी, कुश्ती में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, बैडमिंटन में पीवी सिंधू, मुक्केबाजी में अमित पंघाल, मेरी कोम और एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। इसके अलावा भारतीय हॉकी टीम भी उलटफेर करने का माद्दा रखती है। ऐसे में जान लीजिए कि वे कौन से खिलाड़ी हैं, जो पदक के दावेदार माने जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने हाल में शानदार प्रदर्शन किया है।

बजरंग पूनिया

कुश्ती के मैदान का स्तर जितना ऊंचा होता है, बजरंग पूनिया को उसमें दांव लगाना भी उतना ही अधिक रास आता है। पिछले तीन सालों से कुश्ती में बजरंग ने कोई भी ऐसा टूर्नामेंट नहीं छोड़ा, जिमसें उन्होंने पदक ना जीता हो। हरियाणा का यह पहलवान ताकत, तेजी और कौशल का संपूर्ण पैकेज नजर आता हैं। चोटों से खुद को दूर रखने वाले बजरंग ने ओलंपिक से पहले अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय देशों की कुश्ती संस्कृति को भी खुद में समाहित कर लिया है, जिसके बूते इस बार वह ओलंपिक के अखाड़े में स्वर्ण पदक जीत के मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं।

विनेश फोगाट

2016 रियो ओलंपिक में घुटने की चोट से विनेश फोगाट के पदक जीतने का सपना टूट गया था। इस चोट से वह काफी मायूस हो गई थीं और उस समय उनकी आखों से आंसू तक आ गए थे। ऐसे में दर्द को दिल में दबाकर विनेश ने हार नहीं मानी और चोट ठीक होने के बाद सर्वश्रेष्ठ लय हासिल करते हुए कुश्ती के अखाड़े में कदम रखा। यही कारण है कि इस साल कुश्ती में अभी तक उन्हें कोई भी खिलाड़ी हरा नहीं सकी है और लगभग हर एक टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतते हुए विनेश ने ओलंपिक में प्रवेश किया। इससे साफ नजर आता है कि शानदार लय में नजर आने वाली विनेश भारत को पदक दिलाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

अमित पंघाल

तीन साल के अंदर भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने रिंग में जोरदार पंच लगाते हुए अपने नाम का डंका पूरे विश्व में बजवा दिया। वह एकमात्र ऐसे भारतीय मुकेक्बाज हैं जिन्होंने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में फाइनल तक का सफर किया। टोक्यो ओलंपिक में पंघाल को पहली वरीयता दी गई है, जिसका मतलब वह ओलंपिक स्वर्ण पदक के काफी करीब हैं। ऐसे में फिट पंघाल अगर रिंग में अपने पंचों की लय कायम रखते हैं तो वह भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में देरी नहीं लगाएंगे।

मेरी कोम

38 साल की उम्र में भी मुक्केबाजी रिंग में तितली की तरह चपलता दिखाने को तैयार एमसी मेरी कोम हर हाल में ओलंपिक पदक का रंग बदलना चाहती हैं। छह बार की विश्व चैंपियन मेरी कोम ने ओलंपिक को लेकर हाल ही में दैनिक जागरण से कहा था कि वह सब कुछ हासिल कर चुकी हैं और इस बार ओलंपिक स्वर्ण पदक पर ही नजरें हैं। मेरी कोम का यह अंतिम ओलंपिक भी हो सकता है, जिसके चलते उन पर सभी प्रशंसकों की विशेष नजरें होंगी।

कैरोलिना मारिन

रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक के मैच में स्पेन की कैरोलिना मारिन से हारने वाली पीवी सिंधू से देश को इस बार स्वर्णिम उम्मीदें हैं। टोक्यो ओलंपिक में मारिन भाग नहीं ले रही हैं, जिससे सिंधू के स्वर्ण पदक का रास्ता आसान माना जा रहा है। हालांकि अन्य शीर्ष खिलाड़ी भी सिंधू को कड़ी चुनौती दे सकती हैं। मगर अपने कोरियन कोच के साथ सिंधू मिशन ओलंपिक पर हैं और अगर वह 2019 विश्व चैंपियनशिप के जैसा धमाकेदार प्रदर्शन करती हैं तो स्वर्ण पदक उनके गले में होगा।

दिव्यांश

दिव्यांश ने 12 साल की उम्र में निशानेबाजी सीखना शुरू किया था और महज छह साल बाद उन्होंने विश्व में नंबर दो रैंकिंग हासिल करते हुए टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाई। दिव्यांश को कहीं पबजी गेम की लत ना लग जाए इस डर से उनके पिता अशोक कुमार ने उन्हें दिल्ली के कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में दाखिला दिलवा दिया। इसके बाद दिव्यांश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2019 में संपन्न हुए छह निशानेबाजी विश्व कप में उन्होंने चार स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक अपने नाम किया था। इस तरह विश्व में नंबर दो पर काबिज दिव्यांश 10 मीटर एयर राइफल में अगर गोल्डन निशाना लगाते हैं तो 2008 बीजिंग ओलंपिक में इसी सपर्धा का स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिंद्रा की विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा मिक्स्ड टीम में वह विश्व नंबर दो अंजुम मौद्गिल के साथ भी जोड़ी बनाकर भाग लेंगे।

मनु भाकर

निशानेबाजी में इस बार सबसे बड़ा 15 लोगों का भारतीय दल भाग ले रहा है। इसमें कई शानदार युवा खिलाड़ी हैं, जिसमें मनु भाकर का नाम भी शामिल है। मनु ने भी कम समय में सटीक निशाने लगाते हुए निशानेबाजी विश्व कप में नौ तो निशानेबाजी विश्व कप फाइनल्स में दो पदक हासिल किए हैं। इसके अलावा मनु की सौरभ चौधरी के साथ जोड़ी भी विश्व में शीर्ष वरीय मानी जाती है। मिक्स्ड टीम स्पर्धा में यह जोड़ी ओलंपिक में पदक की दावेदार मानी जा रही है।

इलावेनिल वलारिवान

गगन नारंग के सानिध्य में निशानेबाजी की बारीकियां सीखने वाली युवा इलावेनिल वलारिवान ने अपनी निरंतरता के चलते टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाई। 10 मीटर एयर राइफल व्यक्तिगत स्पर्धा में उन्हें ओलंपिक कोटा प्राप्त कर चुकी अंजुम मौद्गिल की जगह मिली। विश्व में नंबर एक पायदान पर काबिज वलारिवान तमाम टूर्नामेंट में सटीक निशाना लगाने के बाद अब ओलंपिक में भी पदक पर निशाना लगाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज कराना चाहेंगी।

सौरभ

महज 19 साल की उम्र में सौरभ ने आठ विश्व कप स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उन्होंने जूनियर और सीनियर वर्ग में भी अपने सटीक निशाने से विश्व रिकार्ड अंक हासिल किए थे। विश्व रैंकिंग में हमवतन साथी अभिषेक वर्मा को भी पछाड़ने वाले सौरभ मनु भाकर के साथ भी जोड़ी बनाकर मैदान में उतरेंगे। जो विश्व की शीर्ष मिक्स्ड डबल्स जोड़ी में शामिल हैं। फार्म में नजर आने वाले सौरभ से भी ओलंपिक में गोल्डन निशाने की उम्मीदें हैं।

नीरज चोपड़ा

2016 जूनियर विश्व चैंपियनशिप के बाद नीरज ने दिन दूनी रात चौगुनी सफलता हासिल की, यही कारण है कि उनका नाम ओलंपिक में पदक के दावेदारों में माना जा रहा है। नीरज ने हाल ही में भारत में संपन्न हुई इंडियन ग्रांप्रि में अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से 88.07 मीटर दूर भाला फेंका था। ओलंपिक में उनके सामने जर्मनी के जोहनेस वेटर की कड़ी चुनौती होगी, जो लगातार 92 से 93 मीटर दूर भाला फेंक रहे हैं। नीरज अगर 90 मीटर के करीब भाला फेंकने में कामयाब होते हैं तो वह पदक चूमते नजर आ सकते हैं।

Tokyo Olympics 2020 में 11 हजार से ज्यादा एथलीट हिस्सा लेने वाले हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके बारे में कहा जा सकता है कि वे स्वर्ण पदक के दावेदार हैं। ऐसे में साफ कहा जा सकता है कि टोक्यो ओलंपिक में कड़ी प्रतिस्पर्धा हर खेलों में देखने को मिलेगी। एक से एक धुरंधर खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में खेलने वाला है, लेकिन इन खेलों के शुरू होने से पहले हम चार ऐसे खिलाड़ियों के बारे में आपका बता रहे हैं, जो ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल हासिल कर सकते हैं।

मेगन रापिनो

दो बार (2015 और 2019) की फीफा महिला विश्व कप विजेता और लंदन 2012 की स्वर्ण पदक विजेता अमेरिकी फुटबालर मेगन रापिनो पर सबकी नजरें होंगी। अमेरिका महिला फुटबाल की कप्तान व फारवर्ड खिलाड़ी मेगन ने मैदान के बाहर भी अपने हक की लड़ाई लड़ी है। वह एक सैमलैंगिक एथलीट हैं और इस बात को उन्होंने जगजाहिर कर दिया था। इसके बावजूद उन्होंने फुटबाल के मैदान पर रफ्तार जारी रखी और 2019 में फीफा की सर्वश्रेष्ठ महिला फुटबालर के पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया। इन उपलब्धियों से साफ जाहिर है कि मेगन की नजरें अपनी टीम को एक बार फिर ओलिंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने पर होंगी।

सिमोन बाइल्स

जिस तरह एथलेटिक्स में बोल्ट का और तैराकी में माइकल फेल्प्स का दबदबा था, उसी तरह जिमनास्टिक्स में सिमोन के आगे कोई नहीं टिक सका है। साल 2016 रियो ओलिंपिक में जिमनास्ट की चार प्रतिस्पर्धाओं में चार स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली सिमोन एक बार फिर जापान में अपनी कलाओं से सभी का दिल जीतने के लिए तैयार हैं। यही कारण है कि जिमनास्टिक्स में सिमोन को स्वर्ण पदक का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है।

नोवाक जोकोविक

रोजर फेडरर और राफेल नडाल के बराबर 20 ग्रैंडस्लैम हासिल करने वाले जोकोविक अगर ओलिंपिक में स्वर्ण पदक और उसके बाद यूएस ओपन भी अपने नाम कर लेते हैं तो एक ही साल में गोल्डन स्लैम (चारों ग्रैंडस्लैम और ओलिंपिक स्वर्ण पदक) हासिल करने वाले एकलौते पुरुष टेनिस खिलाड़ी बन जाएंगे। यह कारनामा एकमात्र टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ ने 1988 में किया था। जोकोविक के लिए ओलिंपिक की राह आसान नजर आ रही है कि क्योंकि नडाल और फेडरर ओलिंपिक में भाग नहीं ले रहे हैं

कार्स्टन वारहोम

नोर्वे के कार्स्टन वारहोम ने एथलेटिक्स की 400 मीटर बाधा दौड़ में 29 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था। उन्होंने अमेरिका के केविन यंग के 1992 में बनाए रिकार्ड को तोड़ा। 400 मीटर बाधा दौड़ के शीर्ष खिलाड़ियों में कास्र्टन का नाम शुमार है। कार्स्टन ने यह दौड़ 46.7 सेकेंड में पूरी की थी। अमेरिकी राय बेंजामिन (46.83 सेकेंड) और कतर के अब्दुर रहमान (46.98 सेकेंड) भी पदक के दावेदार हैं।

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