बदलते दौर में अमेरिका के साथ भारत का संबंध!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ‘आपूर्ति की सुरक्षा’ (Security of Supply- SoS) व्यवस्था तथा ‘पारस्परिक रक्षा खरीद’ (Reciprocal Defence Procurement- RDP) समझौते हेतु बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं, जिसका लक्ष्य दीर्घकालिक आपूर्ति शृंखला स्थिरता को बढ़ावा देना, साथ ही दोनों देशों के बीच सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को बढ़ाना है।
- SoS समझौता विशेष रूप से रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण आपूर्ति की उपलब्धता एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से देशों के बीच द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौता है।
- RDP समझौता रक्षा खरीद के क्षेत्र में देशों के बीच द्विपक्षीय समझौता है। इसे रक्षा मदों की पारस्परिक खरीद की सुविधा एवं रक्षा उपकरणों के अनुसंधान, विकास तथा उत्पादन में सहयोग को बढ़ावा देने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- भारत में इलेक्ट्रिक जेट असेंबल करना:
- दोनों पक्षों ने भारत में जनरल इलेक्ट्रिक GE-414 जेट्स को असेंबल करने के सौदे पर चर्चा की, जिसे अभी अंतिम रूप दिया जाना है।
- रक्षा औद्योगिक सहयोग:
- भारत और अमेरिका के बीच अगले कुछ वर्षों के लिये उनकी नीतिगत दिशा का मार्गदर्शन करने हेतु ‘रक्षा औद्योगिक सहयोग’ का रोडमैप तैयार किया गया है।
- दोनों देश रक्षा स्टार्ट-अप पारिस्थितिक तंत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देने, नई प्रौद्योगिकियों के सह-विकास और मौजूदा तथा नई प्रणालियों के सह-उत्पादन के अवसरों की पहचान करेंगे।
- क्षमता निर्माण और बुनियादी ढाँचा विकास:
- समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) और सामरिक आधारभूत संरचना विकास सहित क्षमता निर्माण।
- एयर इंडिया के साथ मेगा-सिविल विमान सौदे के तहत भारत से अमेरिकी कंपनियों द्वारा विशेष रूप से बोइंग विमानों की सोर्सिंग में वृद्धि करना।
- भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग में आने वाले उपकरणों के लिये भारत में अमेरिकी कंपनियों द्वारा रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधाओं की स्थापना।
- US-इंडिया डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X):
- US-इंडिया बिज़नेस काउंसिल यूएस और भारतीय कंपनियों, निवेशकों, स्टार्ट-अप त्वरक तथा शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों के बीच अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये INDUS-X पहल शुरू करेगी।
अमेरिका के साथ भारत के संबंध:
- परिचय:
- अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के व्यापार, निवेश एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में साझा हित हैं।
- आर्थिक संबंध:
- दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है।
- भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ निर्यात 2.81% बढ़कर 78.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 76.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था तथा आयात लगभग 16% बढ़कर 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान), क्षेत्रीय फोरम, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सहित बहुपक्षीय संगठनों में भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देश मज़बूत सहयोगी हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2021 में दो साल के कार्यकाल के लिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल करने का स्वागत किया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया जिसमें भारत एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने एक मुक्त तथा स्वतंत्र भारत-प्रशांत सहयोग को बढ़ावा देने एवं क्षेत्र को उचित लाभ प्रदान करने के लिये ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड समूह का गठन किया है।
- भारत, समृद्धि के लिये हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (Indo-Pacific Economic Framework for Prosperity- IPEF) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाले बारह देशों में से एक है।
- भारत इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक संवाद भागीदार है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया, जिसका मुख्यालय भारत में है और यह वर्ष 2022 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) भी शामिल हुआ।
आगे की राह
- मुक्त, खुले और विनियमित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिये दोनों देशों के बीच साझेदारी होना महत्त्वपूर्ण है।
- अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय फर्मों के लिये तकनीकी हस्तांतरण, निर्माण, व्यापार एवं निवेश हेतु बड़े अवसर प्रदान करता है।
- भारत एक अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अग्रणी अभिकर्त्ता के रूप में उभरने के साथ ही एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। भारत अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग करते हुए आगे बढ़ने के अवसरों का पता लगाने का प्रयास करेगा।
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