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इंदिरा एकादशी आज, श्राद्ध पक्ष में है इसका विशेष महत्व

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पितरों के मोक्ष का रास्ता खोलती है इंदिरा एकादशी

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:

आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। श्राद्धपक्ष में पड़ने के कारण इस एकादशी का महत्व बहुत बढ़ जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो पितर लगातार यमराज का दंड का भागी रहता है तो उसके परिजन इस व्रत को करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी कब है?
पंचांग के अनुसार 02 अक्टूबर 2021 को इंदिरा एकादशी है। इस दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस एकादशी की तिथि को ही इंदिरा एकादशी कहते हैं।

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ- 01 अक्टूबर 2021 को रात 11:03
एकादशी तिथि समाप्त- 02 अक्टूबर 2021 को रात 11:10
इंदिरा एकादशी पारण का समय- 03 अक्टूबर 2021 को सुबह 06:15 से 08:37 तक

यमलोक से मिलती है मुक्ति
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इंदिरा एकादशी के व्रत से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है। पद्म पुराण में तो यह भी कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए तो नरक में गए पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। साथ ही उनको बैकुंठ धाम की प्राप्ति भी होती है।

एकादशी का महत्व
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वर्तमान समय में पितृ पक्ष चल रहा है। पितृ पक्ष में एकादशी तिथि के श्राद्ध को विशेष माना गया है। इसीलिए पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी व्रत से पितृ प्रसन्न होते हैं। जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्ट से भी राहत मिलती है। इस व्रत को रखने से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इसलिए इस व्रत में नियम और अनुशासन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही व्रत का पारण भी शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि विधि पूर्वक व्रत का पारण न करने से इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है।

पद्म पुराण के अनुसार, सच्चे मन से जो भी भक्त इंदिरा एकादशी का उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करता हैं, उनको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और उनके पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। उपवास रखने से आत्मा को जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और उससे अधिक पुण्य एकमात्र इंदिरा एकादशी व्रत करने से मिल जाता है।

व्रत में क्या करें और क्या ना करें
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इंदिरा एकादशी व्रत के विधान में बताया गया है कि इस दिन विष्णु सहस्रनाम और विष्णु सतनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का परायण करना चाहिए। सदाचार का पालन करना चाहिए और सच्चे मन से पूजा पाठ करना चाहिए ताकि पितरों को मुक्ति मिल सके। जो लोग यह व्रत नहीं कर पा रहे हों उन्हें इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन करें और परनिंदा से बचना चाहिए। शास्त्रों में बताय गया है कि जो सात्विक आचरण करते हैं उन्हें भी पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए।

इंदिरा एकादशी का व्रत आश्विन मास के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना गया है। यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रत में विशेष माना गया है। एकादशी व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक बताया गया है। महाभारत की कथाओं में भी एकादशी व्रत का वर्णन मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। भगवान श्रीकृष्ण के बताए अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने विधि पूर्व व्रत और पारण किया था, जिसका अपार पुण्य प्राप्त हुआ था।

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पापों को मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत जीवन में आने वाली समस्याओं को भी दूर करने वाला बताया गया है।

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