दो साल बाद मां से मिली मासूम राधा, कोविड से मरे पिता से लिपटकर सोई थी पूरी रात
आखिरकार मासूम राधारानी को मंगलवार को मां की ममता नसीब हो गई। दो साल बाद जब वह अपनी मां से मिली तो मां ने उसे गले से लगा लिया और दोनों मिलकर खूब रोईं। बेटी को पाने के लिए मां ने एक माह तक चाइल्ड होम का चक्कर काटा। फिर लंबी जांच चली और अंत में बेटी मां को मिल गई। मां बेटी को लेकर सीधे रामकृष्ण नगर पहुंची, जहां उसके पिता ने अंतिम सांस ली थी। वहां कुछ देर रहने के बाद राधारानी मां व मामा के साथ घर चली गई।
गौरतलब है कि नालंदा के इस्लामपुर निवासी प्रभात कुमार रामकृष्ण नगर में किराए पर कमरा लेकर अपनी पांच साल की बच्ची राधारानी के साथ रहते थे। पिछले माह 27 अप्रैल को प्रभात की कोरोना से मौत हो गई थी। पिता की मृत्यु से अनजान मासूम रातभर उसके शव के साथ लिपट कर सोई रही थी। दूसरे दिन दोपहर में जब प्रभात के एक मित्र ने फोन किया, तब मौत की जानकारी हुई। फिर प्रशासन ने शव का अंतिम संस्कार कराया था। तत्समय मकान मालिक ने प्रभात के परिजनों से कई बार संपर्क किया था, लेकिन सभी सगे-संबंधियों ने पहचानने से इन्कार करते हुए मासूम को अपनाने से मना कर दिया था। तब प्रशासन ने उसे होटल पाटलिपुत्र अशोक में बने आइसोलेशन सेंटर में रखा था। फिर 14 दिन बाद उसे चाइल्ड होम भेज दिया गया था।
चाइल्ड होम पहुंची मां
बता दें कि मासूम की मां अपने पति से नाराज होकर अन्यत्र रह रही थी। मासूम के अकेले हो जाने की खबर जब प्रभात की पत्नी मृदुला को मिली तो वह भाई सुनील कुमार के साथ बेटी को लेने चाइल्ड होम पहुंची। वहां आवेदन दिया गया, मगर चाइल्ड होम से पूरे मामले की जांच कर बच्ची को सौंपने की बात कही गई। जांच पूरी होने पर एक जून को राधारानी को उसकी मां मिल गई। बेटी को देखते ही मृदुला ने उसे गोद में उठा लिया। फिर दोनों फूट-फूटकर रोईं। इसके बाद सभी रामकृष्ण नगर स्थित किराए वाले मकान में पहुंचीं। वहां एक घंटे तक रहने के बाद सभी बिहियां के लिए निकल गए।
विवाद के बाद दो साल से अलग रह रहे थे पति-पत्नी :
पति प्रभात कुमार से विवाद के कारण पत्नी मृदुला दो साल से अलग रह रही थी। विवाद के बाद से वह अपने मायके में रहती थी, जबकि प्रभात बेटी के साथ अकेले रहता था। मृदुला ने बताया कि बच्ची पहले हमारे साथ ही थी, मगर दो साल पूर्व पति उसे अपने साथ लेकर चले आए थे। बता दें कि पिता के निधन व अपनों के अपनाने से इन्कार करने पर विभिन्न राज्यों से लोगों ने बच्ची को अपनाने के लिए पुलिस से संपर्क किया था। मुंबई आइआइटी के फाइनल वर्ष के एक अविवाहित छात्र ने भी उसे अपनाने की पहल की थी। वह मूलरूप से बिहार के ही रहने वाले हैं। वह लगातार पुलिस के संपर्क में भी थे।