कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ 15 से 29 जुलाई तक जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का होगा आयोजन
सफाई की व्यवस्था कम होने वाले स्थलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत: सीएस
कंटेनमेंट जोन में ओआरएस के वितरण में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा: सीएस
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
बच्चों में दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य तक लाने के उद्देश्य से जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल में सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन करते हुए 15 से 29 जुलाई तक जिले में सघन पखवाड़े का आयोजन किया गया है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार द्वारा राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया गया है। कार्यक्रम को शत प्रतिशत सफल बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान की सतत निगरानी एवं अनुश्रवण किया जाएगा। पखवाड़े के दौरान कुछ ख़ास क्षेत्रों में पखवाड़ा को लेकर जोर दिया जाएगा। चिह्नित स्थलों में पर्याप्त सफाई की व्यवस्था के अभाव वाले क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों के झुग्गी-झोपड़ी, दुर्गम व कठिन पहुंच वाले पठारी भाग, बाढ़ प्रभावित इलाका, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट-भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, शामिल हैं । वहां इस अभियान को वृहद रूप से चलाया जाने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में डोर टू डोर भ्रमण कर माइक्रो प्लान तैयार करेंगी। जिसमें पाचं वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनाई जानी है। माइक्रो प्लान की समीक्षा संबंधित नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिग कमेटी द्वारा की जाएगी। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा।
सफाई की व्यवस्था कम होने वाले स्थलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत: सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान जिले के कुछ विशेष क्षेत्रों में अभियान को लेकर विशेष बल दिया गया है । जिन स्थानों में पर्याप्त मात्रा में सफाई की व्यवस्था नहीं है। वैसे क्षेत्रों के अलावा शहरी के झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित इलाका, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां लगभग तीन वर्ष अंदर तक दस्त के मामले ज़्यादा संख्या में आये हैं वैसे क्षेत्रों में इस अभियान को वृहद पैमाने पर चलाने जाने पर जोड़ दिया गया है । इस कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ताओ द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में डोर टू डोर भ्रमण कर माइक्रो प्लान तैयार करना है। जिसमें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी जानी है। नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिग कमेटी द्वारा माइक्रो प्लान की समीक्षा की जाएगी। वहीं पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के परिजनों को प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाना सुनिश्चित है हैं।
कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा: सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया आशा कार्यकर्ताओ द्वारा पोषक क्षेत्रों में डोर टू डोर भ्रमण कर परिवार के सदस्यों के सामने ओआरएस घोल बनाने व उपयोग की विधि को सिखाना है। इसके साथ ही इससे होने वाले फ़ायदे को भी बताना है। हाथों की सफाई व हाथ धोने के तरीके को भी बताना होगा। ताकि इस तरह की बीमारियों से परिवार को बचाया जा सके। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा कार्यकताओं द्वारा पोषक क्षेत्रों में ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा। वहीं कोरोना संक्रमण के कारण बनाये गए कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण करने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।
सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान इन बातों की दी जाएगी जानकारी:
-जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाए।
-दस्त बंद हो जाने के बाद भी जिंक की खुराक 2 माह से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाए।
-जिंक व ओआरएस के उपयोग के बाद भी दस्त ठीक न होने स्थिति में बच्चे को नजदीकी के स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं।
-दस्त के समय और दस्त के बाद भी उम्र के हिसाब से स्तनपान, ऊपरी आहार या भेजन दिया जाए।
-उम्र के अनुसार शिशुओं को पोषण से संबंधित उचित परामर्श दिया जायेगा।
-पीने के लिए शुद्ध एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें।
-खाना बनाने एवं खाना खाने से पहले अपने व अपने नवजात शिशुओं के हाथों की सफाई साबुन से कराएं ।
-डायरिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में जल्द होताहै सुधार।
बच्चों में निम्नलिखित कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र जाएं:
– बच्चा ज्यादा बीमार लग रहा हो।
– सुस्त रहना या बेहोश हो जाना
– बार – बार उल्टी करना
– पानी जैसा लगातार दस्त का होना
– अत्यधिक प्यास लगना
– पानी ना पीना
– बुखार होना
– मल में खून आ रहा हो।
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