इंटरमीडिएट परीक्षा फॉर्म, नामांकन तिथि आगे बढ़ा, नामांकन में अवैध वसूली पर रोक लगाए बिहार सरकार
एआईएसएफ के याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा बिहार सरकार को फटकार के बाद भी जिला प्रशासन उदासीन, हाईकोर्ट के आदेशों की हो रही अवहेलना
सरकार के उदासीन रवैया के कारण हर साल आर्थिक एवं मानसिक परेशानी झेलने को विवश होते हैं छात्र: राहुल कुमार यादव
श्रीनारद मीडिया‚ अमृता मिश्रा‚ पानापुर‚ सारण (बिहार):
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) सारण जिला इकाई की ओर से संगठन के राज्य सह सचिव राहुल कुमार यादव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कोरोना महामारी के बाद भयंकर बाढ़ ने बिहार के सिर्फ किसान, मजदूर हीं नहीं हर वर्ग के साथ छात्र-छात्राओं का जीवन भी बहुत प्रभावित किया है. इसके बीच बिहार सरकार के उदासीन रवैया के कारण छात्र-छात्राएं आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलने को विवश हैं.
एआईएसएफ द्वारा छात्र हित में हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए बिहार सरकार को आदेश दिया कि इंटरमीडिएट नामांकन सहित सभी नामांकन में छात्राओं एवं एससी-एसटी के छात्रों से अवैध वसूली किए गए रुपए की वापसी कराते हुए नामांकन में अवैध वसूली पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सारण जिला सहित कई जिलों में हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है और अब भी अधिकांश काॅलेजों द्वारा छात्र- छात्राओं से अवैध तरीके से वसूले गए रुपए की वापसी नहीं हुई. वही एक बार फिर से इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष नामांकन में छात्र-छात्राओं, एससी-एसटी छात्रों से कई कॉलेजों द्वारा अवैध वसूली की जा रही है जिस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.
भयंकर बाढ़ के बीच इंटरमीडिएट परीक्षा फॉर्म, नामांकन तिथि घोषित होने से कई बाढ़ प्रभावित इलाकों के छात्र-छात्राओं को बहुत ज्यादा परेशानी होने की शिकायतें मिल रही है. तिथि विस्तारित नहीं की गई तो कई छात्र-छात्राएं इंटरमीडिएट नामांकन एवं परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित हो जाएंगे.
इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि छात्र हित में इंटरमीडिएट नामांकन एवं परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि कम से कम एक महीने के लिए विस्तारित किया जाए, ताकि बाढ़ प्रभावित इलाकों के छात्र-छात्राएं परीक्षा फॉर्म एवं नामांकन कराने से वंचित नहीं हो सकें.
हमारी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर छात्रों की समस्याएं दूर नहीं की गई तो संगठन आगे-आने वाले दिनों में छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर बिहार सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा, जिसकी पूरी जवाबदेही बिहार सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की होगी.
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