आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2022.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वैश्विक आतंकवाद रोधी परिषद (Global Counter Terrorism Council- GCTC) द्वारा आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Counter Terrorism Conference) 2022 का आयोजन किया गया।
- GCTC एक अंतर्राष्ट्रीय थिंक-टैंक काउंसिल है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में लोगों की आतंकवाद के प्रति सुभेद्यता को कम करना, आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना, उनका मुकाबला करना और आतंकवाद के लिये उकसाने एवं आतंकी गतिविधयों के लिये भर्ती करने वालों पर मुकदमा चलाना है।
- इससे पूर्व वर्ष 2021 में आयोजित 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स आतंकवाद विरोधी कार्य योजना को अपनाया गया था।
प्रमुख बिंदु
- भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे:
- नए रिलिजियोफोबिया (धार्मिक भय) का उदय:
- विशेष रूप से हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के खिलाफ नए “धार्मिक भय” का उभरना गंभीर चिंता का विषय है और ऐसे मुद्दों पर संतुलित चर्चा हेतु इसे क्रिश्चियनोफोबिया, इस्लामोफोबिया और यहूदी-विरोधी की तरह ही पहचानने की ज़रूरत है।
- रिलिजियोफोबिया (Religiophobia): यह धर्म, धार्मिक विश्वासों, धार्मिक लोगों या धार्मिक संगठनों के प्रति विवेकहीन या आसक्तिपूर्ण भय या चिंता है।
- आतंकवाद का वर्गीकरण:
- पिछले दो वर्षों में कई सदस्य राज्य आतंकवाद को नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद एवं दक्षिणपंथी उग्रवाद आदि जैसी श्रेणियों में वर्गीकृत करने का प्रयास करते रहे हैं।
- इसे “खतरनाक” प्रवृत्ति बताते हुए भारत ने कहा कि यह हाल ही में अपनाई गई वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा स्वीकार किये गए कुछ स्वीकृत सिद्धांतों के खिलाफ है।
- वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति में कहा गया है कि आतंकवाद के सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिये और आतंकवाद के किसी भी कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
- नए रिलिजियोफोबिया (धार्मिक भय) का उदय:
- आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु भारत के प्रयास:
- आतंकवाद के खिलाफ भारत का वार्षिक संकल्प:
- आतंकवाद विरोधी मुद्दे पर भारत के वार्षिक संकल्प को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की पहली समिति में सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
- भारत, जो कि राज्य-प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है, आतंकवादी समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों के अधिग्रहण से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न गंभीर खतरे को उजागर करने में सबसे आगे रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता (CCIT):
- बढ़ती आशंकाओं के बीच कि आतंकवादी फिर से अफगानिस्तान में नियंत्रण स्थापित करेंगे और अफ्रीका में हमले तीव्र गति से होंगे, भारत के विदेश मंत्री ने हाल ही में सम्मेलन को अपनाने का आग्रह किया है।
- वर्ष 1996 में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये एक बोधगम्य कानूनी ढाँचा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत ने UNGA को ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता’ (Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) को अपनाने का प्रस्ताव दिया था।
- CCIT आतंकवाद की एक सार्वभौमिक परिभाषा, विशेष कानूनों के तहत आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा चलाने, सीमा पार आतंकवाद को दुनिया भर में एक प्रत्यर्पण योग्य अपराध बनाने की मांग करता है।
- बढ़ती आशंकाओं के बीच कि आतंकवादी फिर से अफगानिस्तान में नियंत्रण स्थापित करेंगे और अफ्रीका में हमले तीव्र गति से होंगे, भारत के विदेश मंत्री ने हाल ही में सम्मेलन को अपनाने का आग्रह किया है।
- वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF):
- भारत FATF का सदस्य है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता हेतु मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिये मानक निर्धारित करना तथा कानूनी, नियामक एवं परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- आतंकवाद के खिलाफ भारत का वार्षिक संकल्प:
- भारत में आतंकवाद
- ‘गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन अधिनियम’ भारत में लागू एक महत्त्वपूर्ण आतंकवाद विरोधी कानून है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) एक अर्द्ध-सैनिक बल है जो मुख्य रूप से आतंकवाद रोधी और अपहरण रोधी अभियानों हेतु उत्तरदायी है।
- भारत को कश्मीर, उत्तर-पूर्व और कुछ हद तक पंजाब में अलगाववादियों, मध्य, पूर्व-मध्य और दक्षिण-मध्य भारत में वामपंथी चरमपंथी समूहों से आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है।
- भारत दुनिया में आतंकवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में से एक है।
आगे की राह
- आतंकवाद के खिलाफ युद्ध एक कम तीव्रता वाला संघर्ष या स्थानीय युद्ध है, इसे समाज के पूर्ण एवं निरंतर समर्थन के बिना प्रारंभ नहीं किया जा सकता है, अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिये समाज के मनोबल और संकल्प में कमी आ जाए तो आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध की तीव्रता में कमी आ सकती है।
- भारत को अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के प्रबंधन से संबंधित कई मुद्दों पर नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, जैसे कि खुफिया तंत्र, आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन।
- सीमा सुरक्षा के पारंपरिक तरीकों को बढ़ाने और इनके पूरक विकल्प तलाशने के लिये तकनीकी समाधान आवश्यक है।
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