अंतराष्ट्रीय मानस प्रचारक स्वामी गणेश दत्त शुक्ल के श्राद्धकर्म का हुआ आयोजन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अंतराष्ट्रीय मानस प्रचारक और शुक्ल टोली हनुमान मंदिर के संस्थापक स्वामी गणेश दत्त शुक्ल के निधन के उपरांत उनके पैतृक आवास पर श्राद्धकर्म सह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर सर्वप्रथम पंडित पप्पू पांडेय के वैदिक मंत्रोचार के बीच शहर के पंचमंदरीरा पोखरा के तट पर श्राद्धकर्म की सभी विधियां स्वामी जी के पुत्र पार्थ शुक्ला ने संपन्न की। इसके उपरांत पैतृक आवास पर श्राद्धकर्म की अन्य विधियों के साथ ही श्राद्धकर्म और गरुण पुराण दान पुण्य के साथ पगड़ी की रस्म अदा की गई।
इस दौरान संपूर्ण वातावरण गमगीन हो गया।अंतराष्ट्रीय मानस प्रचारक और शुक्ल टोली हनुमान मंदिर के संस्थापक स्वामी गणेश दत्त शुक्ल के तैल चित्र पर पत्नी चंपा शुक्ल, पुत्र पार्थ शुक्ला, पुत्री प्रिया, नेहा, दामाद अमित और ईश्वर, अग्रज प्रो. पारस दत्त शुक्ल, शंभू दत्त शुक्ला, भतीजा आनंद, रंजीत, विश्वजीत, पिंटू, अभिषेक, सचिन, मिक्की समेत सभी सगे संबंधियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की।
श्राद्धकर्म सह श्रद्धांजलि सभा में सांसद, विधायक, विधान पार्षद, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सह विधायक, नगर परिषद की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रबुधजन समेत बड़ी संख्या में हनुमत भक्त और स्वामी जी के शिष्य मौजूद थे।
गौरतलब है की गणेश दत्त शुक्ल का निधन 20 अप्रैल 2024 की देर शाम लखनऊ आशियाना स्थित आवास पर शनिवार को हो गया। परिजनों के अनुसार, स्वामी जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, इंग्लैंड समेत विश्व के अन्य देशों में अंतराष्ट्रीय मंच से लोगों को संगीतमय श्रीराम कथा सुनाने वाले स्वामी गणेश दत्त शुक्ल को पुराने हनुमान मंदिर में सुंदरकांड के पाठ के दौरान हनुमान जी ने दर्शन देकर जीवन पर्यंत श्रीराम कथा का प्रचार प्रसार पूरी दुनिया में करने का आशीर्वाद प्राप्त था।
इस धार्मिक अभियान के सिलसिले में स्वामी गणेश दत्त शुक्ल के बुलावे पर वर्ष 2007 में सीवान के शुक्ल टोली स्थित हनुमान मंदिर में स्वामी जी के शिष्य और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन राम गुलाम और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हनुमान मंदिर पहुंचे थे। देश दुनिया में श्रीराम कथा के प्रचार अभियान में जुटे स्वामी जी ने शुक्ल टोली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण और मंदिर के गर्भ गृह में सिंगल मकराना पत्थर से अपने आराध्य बजरंग बली की विशाल प्रतिमा स्थापित कर प्रत्येक वर्ष माघ के अंतिम मंगलवार को वार्षिकोत्सव आयोजित करते रहे। उनके निधन से सीवान में धार्मिक गतिविधियों और सनातन संस्कृति को अपूर्णीय क्षति हुई है।
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