विश्व भर में शांति और अहिंसा का संदेश देता है अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस यानी की इंटरनेशनल डे ऑफ पीस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति, अहिंसा और अच्छे गुड़ों को बढ़ावा देना है। पूरे राष्ट्र द्वारा यह दिन स्थापित किया गया था और समय के साथ इस दिन का महत्व बढ़ता गया। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के मौके पर विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के जरिए शांति का संदेश दिया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस
हर साल 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का दिन विश्व भर में शांति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इसदिन तमाम गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह एक वैश्विक उत्सव है, जिसमें सभी देश के लोग भाग लेते हैं।
कब हुई स्थापना
साल 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की स्थापना की गई थी। साल 1982 में ऑफिशियल रूप से इस दिन को मनाया गया था। उस दौरान इस दिन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर शांति की आवश्यकता को रेखांकित करना था और इस दिन को विश्वभर में शांति और संघर्ष की रोकथाम के लिए एक संकेत माना गया।
उद्देश्य
इस दिन का मुख्य उद्देश्य विश्व में अहिंसा और शांति को बढ़ावा देना है। इस दिन को युद्ध और हिंसा के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के जरिए समाज में पॉजिटिव बदलाव लाने का प्रयास किया जाता है और यह दिन शांति की प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व को बताने का काम करता है।
इस दिन को मनाने का तरीका
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस को मनाने के लिए लोग रैलियां, कार्यशालाएं और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन स्कूल-कॉलेजों में शांति संबंधित गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर शांति की प्रार्थनाएं और मौन विरोध भी किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस-2024 की थीम है शांति की संस्कृति का विकास। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा शांति की संस्कृति पर घोषणा और कार्यक्रम को अपनाए जाने की 25वीं वर्षगांठ है ।
भारत शांतिप्रिय देश है, वह खुद शांति चाहता है और दुनिया में शांति की स्थापना के लिये निरन्तर प्रयत्नशील रहा है। शांति, अहिंसा , अयुद्ध एवं अमनचैन की भारत की नीतियों को देर से ही सही दुनिया ने स्वीकारा है। भारत की ऐसी ही मानवतावादी एवं सहजीवन की भावना को बल देने के कारण ही दुनिया एक गुरु के रूप में भारत को सम्मान देने लगी है।
प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। शांति ही उन्नत एवं आदर्श जीवन का आधार है। मानव कल्याण की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। भाषा, संस्कृति, पहनावे भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन विश्व के कल्याण का मार्ग एक ही है और शांतिपूर्ण सह-जीवन। बशीर बद्र का शेर है कि सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें, आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।’
मनुष्य को नफरत का मार्ग छोड़कर प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए। इस सदी में विश्व में फैली अशांति और हिंसा को देखते हुए हाल के सालों में शांति कायम करना मुश्किल ही लगता है, किंतु उम्मीद पर ही दुनिया कायम है और यही उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही वह दिन आएगा, जब हर तरफ शांति ही शांति होगी। मंगल कामना है कि अब मनुष्य यंत्र के बल पर नहीं, भावना, विकास और प्रेम के बल पर जीए और जीते।
- यह भी पढ़े……………..
- स्वच्छता ही सेवा के तहत दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन
- सद्गुरु के चरणों में है तीनों लोकों का अलौकिक उपहार :संजय दास
- बेंगलुरु के मल्लेश्वरम में एक 29 वर्षीय युवती का शव 30 टुकड़ों में फ्रीजर में मिला