राजपुर में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भगवान के चौबीसों अवतारों की हुई व्याख्या
दान और दक्षिणा में अंतर होता है.यज्ञ की पत्नी का नाम है दक्षिणा:श्री राघव शरण जी महाराज
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)
सीवान जिले के रघुनाथपुर के राजपुर में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथावाचक आचार्य श्री राघव शरण जी महाराज ने भगवान के चौबीसों अवतारों की व्याख्या की. उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर भगवान के 10 अवतारों की ही चर्चा होती है परंतु मूल रूप से भगवान के कुल 24 अवतार हैं.
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्य ने दान और दक्षिणा में अंतर बताते हुए कहा कि दान अपनी क्षमता के अनुसार किया जाता है परंतु दक्षिणा अनुष्ठान कराने वाले आचार्य के पारिश्रमिक के तौर पर दिया जाता है. यज्ञ की पत्नी का नाम दक्षिणा है. जहां जगह है वहां दक्षिणा निश्चित रूप से रहती है.
उन्होंने सन्यासी की व्याख्या करते हुए कहा कि संसार में अपनी जिम्मेदारियों से भागने का नाम सन्यास नहीं होता वल्कि सांसारिक सुखों का उपभोग करते हुए अपने परिवार के सुख दुख में साथ रहने वाला भी सन्यासी ही कहलाता है. उन्होंने वृद्ध आश्रम को सबसे उत्तम आश्रम बताया.
महाभारत के अंत में राजा परीक्षित के जन्म का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित की मां और अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा संसार की पहली माता थी जिसे गर्भ में भगवान और भक्त दोनों ही थे. वाणी की मधुरता के विषय में उन्होंने बताया कि हमारी वाणी अगर मधुर हो तो ना बन जाती है जबकि कठोर हो तो बाण का काम करती है.
शुक्रवार को कथा के दूसरे दिन भी पूजा और आरती के साथ प्रारंभ हुआ एवं भजन और आरती के साथ संपन्न हुआ. मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।
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