घुसपैठिए है देश की सुरक्षा के लिए खतरा,कैसे ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

दिल्ली-एनसीआर में रह रहे लाखों रोहिंग्या (Rohingya) और बांग्लादेशी (Bangladeshi) घुसपैठिए देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इनकी पहचान करने, इन्हें पकड़ने आदि को लेकर जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए जा रहे हैं।

सबसे प्रमुख बात तो यह है कि दिल्ली पुलिस से यदि पूछा जाए कि दिल्ली में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं तो इसका जवाब नहीं दिया जाता है। यह बातें दिल्ली पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त एसबीके त्यागी ने दैनिक जागरण को दिए एक साक्षात्कार में कहीं।

उन्होंने कहा कि पुलिस को भी नहीं पता कि दिल्ली में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। दिल्ली पुलिस के लिए घुसपैठियों की पहचान करना, उनकी निगरानी करना कोई बड़ी बात नहीं है। इसके लिए केवल इच्छाशक्ति की जरूरत है। पुलिस के पास ऐसे बहुत से उपाय हैं, जिससे घुसपैठियों की न सिर्फ पहचान की जा सकती है। बल्कि उन्हें बसाने और दस्तावेज बनाने वाले राजनीतिक लोगों के बारे में भी आसानी से पता लगाया जा सका है।

बीट अधिकारी को करना होगा काम

पूर्व संयुक्त आयुक्त ने कहा कि बीट अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी आरडब्ल्यूए, संस्थाएं आदि से संपर्क करें। घर-घर जाकर जांच करें, किरायेदार, घरेलू सहायक, सहायिकाओं, दुकानों में काम करने वाले आदि की जांच करें। पुलिस की तरफ से किरायेदारों, और काम पर रखे गए लोगों का सत्यापन किया ही जाता है। इसे और गंभीरता से करने की जरूरत है।

गहनता से हो पड़ताल

एसबीके त्यागी ने कहा कि यदि किसी घुसपैठिए ने आधार कार्ड, पहचान पत्र आदि बना लिए हैं तो इसकी पड़ताल की जानी चाहिए। आधार कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र आदि स्थानीय प्रशासन, विधायक, निगम पार्षद आदि के बिना सहायता के नहीं बनाए जा सकते। इसकी गहन जांच हो। इससे यह पता लगेगा की वह कहां का मूल निवासी है, लेकिन यह सब तब संभव होगा जब पुलिस और राज्य सरकार मन लगाकर काम करेगी।

दिल्ली में बढ़ा अपराध का ग्राफ

उन्होंने कहा कि घुसपैठिए दिल्ली-एनसीआर में हत्या, लूट, डकैती, चोरी और अन्य आपराधिक वारदात के जरिए अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रहे हैं। सांप्रदायिक हिंसा करने में भी पीछे नहीं हैं। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों का कारोबार करने और सभी तरह के ड्रग्स की तस्करी भी करते हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए दिल्ली-एनसीआर सबसे सुरक्षित ठिकाना है। इसका प्रमुख कारण इनके दस्तावेज दिल्ली में बड़ी ही आसानी से बन जाना है।

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