अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता के लिए ईरान तैयार,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ईरान परमाणु समझौते को लेकर जारी वार्ता में अमेरिका के साथ सीधी बातचीत के लिए के लिए तैयार हो गया है। ईरान ने सोमवार को कहा कि, वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सीधे परमाणु वार्ता के लिए तैयार है, तेहरान पिछले साल से पांच अन्य विश्व शक्तियों के साथ बातचीत में लगा हुआ है, जो अभी भी परमाणु समझौते का हिस्सा है।
दरअसल, 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश को समझौते से अलग कर लिया और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए। इसके बाद ईरान ने अपनी यूरेनियम शोधन क्षमता बढ़ा दी थी। सोमवार को ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि, उनका देश ऐसा करने पर विचार करेगा, यदि यह एक ‘अच्छे समझौते’ की कुंजी साबित होता है, ताकि इस सौदे को उबारा जा सके।
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दोल्लहिआन ने कहा कि, ईरान मौजूदा समय में सीधे अमेरिका के साथ बात नहीं कर रहा। हालांकि, अगर बातचीत की प्रक्रिया में हम ये पाते हैं कि अच्छे समझौते पर पहुंचने के लिए अमेरिका से सीधी बातचीत से फायदा मिलेगा, तो हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि, न्यूक्लियर डील आदि अहम मुद्दों को लेकर हम काफी विचार-विमर्श के बाद इस स्थिति में पहुंचे हैं कि ईरान के साथ सीधे जुड़ना और बातचीत करना ज्यादा फायदेमंद होगा। अधिकारी ने कहा कि सीधी मुलाकात से अच्छी और सकारात्मक बातचीत हो सकती है।
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने यह कहते हुए अमेरिका के साथ सभी वार्ताओं पर रोक लगा दी थी कि उसके साथ वार्ता से ईरान को नुकसान होगा। हालांकि, इस महीने की शुरुआत में खामेनेई ने अमेरिका के साथ वार्ता करने के लिए ईरानी दल को हरी झंडी दिखा दी और कहा कि शत्रु के साथ वार्ता और संवाद का अर्थ आत्मसमर्पण नहीं है।
इससे पहले सोमवार को ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, ईरानी और अमेरिकी कैदियों की रिहाई और परमाणु समझौते में से एक समझौते पर पहुंचना संभव था। प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, अगर अमेरिका के पास दृढ़ संकल्प है, तो संभावना है कि हम कम से कम समय में दोनों में एक विश्वसनीय और स्थायी समझौता कर लें।
दरअसल, 2015 के परमाणु समझौते को लेकर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन के राजनयिक विएना में ईरान के साथ बातचीत कर रहे। इसमें ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को सीमित करने के बदले उसके साथ व्यापार आदि का प्रस्ताव है। हालांकि, न्यूक्लियर डील पर निर्णायक वार्ता के बीच अमेरिका की ओर से सीधी बातचीत का प्रस्ताव बेहद चौंकाने वाला है।
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