राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दी जायेंगी आयरन एवं फॉलिक एसिड की गोलियां
• किशोरवस्था में खून की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित होता है शारीरिक व मानसिक विकास
श्रीनारद मीडिया, गया,(बिहार):
किशोरवस्था एक महत्वपूर्ण समय है और इस समय मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है| किशोरवस्था स्वस्थ जीवन की बुनियाद है| साथ ही अच्छे पोषण का किशोरवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है| ऐसे समय में विशेषकर किशोरियों का स्वास्थ्य खून की कमी के कारण प्रभावित होता है| खून की कमी यानि एनीमिया के कारण उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है| इसको ध्यान में रखते हुए 10 वर्ष से 19 वर्ष आयुवर्ग के किशोर किशोरियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयरन एंड फॉलिक एसिड की नीली गोली दी जायेगी| राज्य सरकार के स्कूलों को खोलने के आदेश के बाद राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत साप्ताहिक आयरन एंड फॉलिक एसिड कार्यक्रम का संचालन फिर से किया जाना है|
सिविल सर्जन को दिये गये आवश्यक निर्देश:
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार द्वारा पत्र जारी कर सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तथा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर सूक्ष्म कार्य योजना बनाकर आईएफए नीली गोली का विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में आवश्यकतानुसार उपलबध कराया जाये| जारी पत्र में कहा गया है कि संबंधित अधिकारी समन्वय स्थापित कर प्रत्येक बुधवार तथा गुरुवार को विद्यालय जाने वाले किशोर तथा किशोरियों को विद्यालय के माध्यम से तथा प्रत्येक बुधवार को विद्यालय नहीं जाने वाले किशोर व किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से आईएफए की गोली का वितरण करेंगे और प्रतिमाह 5 तारीख तक प्रतिवेदन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को उपलब्ध करायेंगे| आयरन एवं फॉलिक एसिड की गोली का वितरण राज्य सरकार द्वारा दिये गये कोविड 19 दिशा निर्देश के अनुरूप विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केद्रों पर किया जायेगा|
एनीमिया से गर्भावस्था व प्रसव होते हैं प्रभावित:
एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है| एनीमिया जहां किशोर—किशारियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है वहीं उनके काम करने की क्षमता पर भी गंभीर असर डालता है| किशोरियों में एनीमिया मासिक धर्म संबंधी परेशानी, विवाह के बाद गर्भावस्था पर प्रभाव व प्रसव में जटिलताओं को जन्म देता है| इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर आयरन एंड फॉलिक एसिड की नीली गोली का वितरण किया जाता है| साथ ही अच्छे पोषाहार की जानकारी दी जाती है| परिजनों को अपने किशोर किशोरियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए आयरन की उच्च मात्रा वाले भोज्य पदार्थ लेने की सलाह दी जानी चाहिए| शरीर में आयरन की कमी से किशोरों में थकावट, स्मरण क्षमता प्रभावित होना, रोग प्रतिरोधी क्षमता में कमी आना, मातृ व शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी आदि का सामना करना पड़ता है|
64 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—5 की रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग समूह की ऐसी महिलाएं 64 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं| वहीं 6 माह से 59 माह के 76 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से प्रभावित हैं| इसलिए आयरन की कमी को दूर करना महत्वपूर्ण है|
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