Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
क्या हिंदुओं पर जुल्‍म तालिबान इफेक्‍ट है? - श्रीनारद मीडिया

क्या हिंदुओं पर जुल्‍म तालिबान इफेक्‍ट है?

क्या हिंदुओं पर जुल्‍म तालिबान इफेक्‍ट है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बांग्‍लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्‍याचार पर भारत सरकार का स्‍टैंड उस तरह का नहीं है, जैसा कि पाकिस्‍तान के प्रति देखा जाता है। इसको लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। यह सवाल उठ रहा है कि भारत सरकार का बांग्‍लादेश के प्रति नरम रवैया क्‍यों है, जबकि पाकिस्‍तान के प्रति हिंदुओं पर हो रहे अत्‍याचार को लेकर पूरी दुनिया में वह आवाज उठाता है? आखिर भारत के नरम रुख का क्‍या कारण है? क्‍या वह बांग्‍लादेश के साथ रिश्‍तों को लेकर चिंतित है या फ‍िर कुछ अन्‍य कारण हैं? आइए जानते हैं इस पूरे मामले में प्रो. हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में निदेशक, अध्ययन और सामरिक अध्ययन कार्यक्रम के प्रमुख) की क्‍या राय है। वह इस पूरे मामले को किस नजरिए से देखते हैं-

क्‍या बांग्‍लादेश में हिंदू और उनकी धार्मिक आस्‍था सुरक्षित है ?

बांग्‍लादेश की आजादी के बाद से ही नई दिल्‍ली और ढाका के बीच संबंध मधुर रहे हैं। बांग्‍लादेश की आजादी में भारत का प्रमुख योगदान रहा है। भारत के इस पड़ोसी मुल्‍क में लोकतंत्र मजबूत है। भारत की आस्‍था बांग्‍लादेश के लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था पर है। इस नाते भारत सरकार को विश्‍वास है कि बांग्‍लादेश में अल्‍पसंख्‍यक हिंदुओं के साथ ज्‍यादती नहीं होगी।

बांग्‍लादेश सरकार ने हिंदुओं की रक्षा के लिए जो कदम उठाए, उससे भारत सरकार पूरी तरह से संतुष्‍ट है। बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना ने साफ कर दिया कि हमारे देश में कट्टरपंथ के लिए कोई जगह नहीं है। उन्‍होंने कहा कि दोषी को बख्‍शा नहीं जाएगा। बांग्‍लादेश सरकार अपना काम कर रही है। उधर, भारत सरकार भी इस पूरे मामले पर पैनी नजर बनाए हुए है।

पूजा पंडाल में हुई हिंसा को किस रूप में देखते हैं ?

देखिए, अगर आप पूरे घटनाक्रम पर नजर डाले तो यह पूरा मामला एक सियासी चाल का हिस्‍सा प्रतीत होता है। लोकतंत्र में यह संभव भी है। सत्‍ता और शक्ति के लिए वहां राजनीतिक दल ऐसी हरकत कर सकते हैं। यह कोई अचरज की बात नहीं। सवाल यह उठता है कि पूजा पंडाल में कुरान कहां से आई, जिसे लेकर इतना बड़ा बवाल हुआ। ऐसा लगता है कि बांग्‍लादेश में लोकप्रिय पीएम शेख हसीना को बदनाम करने के लिए वहां की सियासत को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, कट्टरपंथ को लेकर बांग्‍लादेश सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि उसके देश में कट्टरपंथ की कोई जगह नहीं होगी।

बांग्‍लादेश में धार्मिक आजादी को लेकर क्‍या प्रावधान है ?

देखिए, भारत की तरह बांग्‍लादेश में भी धार्मिक आजादी है। हालाकि, बांग्‍लादेश के संविधान में भारत की तरह धार्मिक आजादी को लेकर एक बड़ा अध्‍याय नहीं है, उसमें उस तरह से विस्‍तृत प्रावधान नहीं है। भारत में धार्मिक आजादी नागरिकों के मौलिक अधिकार का हिस्‍सा है, लेकिन बांग्‍लादेश सरकार ने कई बार अपने देश में धार्मिक आजादी की बाद कबूल की है। सरकार की ओर से कहा जाता रहा है क‍ि अल्‍पसंख्‍यक हिंदुओं के हित पूरी तरह से सुरक्षित है। वह कट्टरपंथ के सख्‍त खिलाफ है। भारत, बांग्‍लादेश सरकार के इस कथन पर पूरा यकीन करता है कि उसके यहां हिंदू और मुस्लिमों को धार्मिक आजादी पर छूट है।

पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में धार्मिक आजादी में कौन श्रेष्‍ठ है ?

बहुत अच्‍छा सवाल है। धार्मिक आजादी को लेकर दोनों देशों के बीच में काेई तुलना नहीं की जा सकती है। पाकिस्‍तान में लोकतंत्र पर सैन्‍य पहरा रहता है। पाकिस्‍तान की हुकूमत कट्टरपंथ से प्रभावित रहती है। इतना ही नहीं वह आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है। वह कट्टरपंथ के इशारे पर काम करती है, जबकि बांग्‍लादेश में ऐसा नहीं है।

बांग्‍लादेश में सरकार और सेना दोनों अलग हैं। सरकार के कामकाज में सेना का कोई दखल नहीं होता है। दूसरे, लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था होने के नाते सरकार नागरिकों के बीच धार्मिक भेदभाव से बचने का प्रयास करती है। बांग्‍लादेश में सभी को अपने पंथ पर आस्‍था और पूजा-पाठ की छूट हासिल है। इसलिए पाक और बांग्‍लादेश के बीच कोई तुलना नहीं है।

क्‍या बांग्‍लादेश में हिंदुओं पर जुल्‍म तालिबान का इफेक्‍ट है ?

जी नहीं, मैं ऐसा नहीं मानता। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं अफगानिस्‍तान में तालिबान हुकूमत आने से आतंक‍ियों एवं कट्टपंथ‍ियों के हौसले बढ़े हैं, लेकिन इसका वास्‍ता तालिबान से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं है।

हां, यह जरूर कहा जा सकता है। मुस्लिम बहुल देशों में कट्टरपंथ हावी हुआ है। यह बांग्‍लादेश का सियासी मुद्दा तो हो सकता है। नरमपंथ और कट्टरपंथ हो सकता है। देश में कट्टरपंथ को तेजी से विकास हो सकता है, लेकिन इसमें तालिबान पूरी तरह से शामिल हो या उसका इशारा हो ऐसा नहीं हो सकता। तालिबान अभी खुद अपनी आंतरिक समस्‍याओं में उलझा हुआ है।

आखिर भारत के लिए क्‍यों महत्वपूर्ण है ढाका ?

1- देखिए, भारत और बांग्लादेश के संबंध अब नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं। यह इस बात से प्रामाणित होता है कि कोरोना के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश का चुनाव किया। बांग्लादेश भी भारत के साथ संबंधों को उतनी ही अहमियत देता रहा है। यही वजह रही कि मोदी के ढाका पहुंचने पर बांग्लादेश में उनकी समकक्ष ने खुद एयरपोर्ट पर पहुंचकर उनकी अगवानी की थी।

2- भारत के लिए बांग्‍लादेश बेहद अहम है। पूर्वोत्तर राज्यों को चीन की नजर से बचाने के लिए बांग्लादेश से कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है। दूसरे, बांग्लादेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था को भारत के साथ जोड़ने से दोनों देशों का बड़ा फायदा होगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के मद्देनजर भारत के लिए बांग्लादेश की बड़ी भूमिका होगी।

3- दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने की कई योजनाओं को लागू करने के बाद भारत सार्क क्षेत्र के इस सबसे भरोसेमंद मित्र राष्ट्र के साथ मिलकर दूसरी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लागू करने की मंशा रखता है। अगर भारत सरकार की यह मंशा कामयाब हो गई तो आने वाले दिनों में सभी पूर्वोत्तर राज्यों पर चीन के खतरे का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!