क्या भिखारी ठाकुर का जन्मदिवस 18 दिसम्बर है ?
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
18 दिसम्बर को धूमधाम से भिखारी ठाकुर की जयंती मनाई गई। पर क्या वाकई 18 दिसम्बर 1887 ठाकुर जी की जन्मतिथि है ? जवाब मिलेगा, है । जब महेश्वराचार्य, अक्षयबर दीक्षित, तैयब हुसैन पीड़ित, भगवती प्रसाद द्विवेदी, भिखारी ठाकुर रचनावली, से लगायत भिखारी ठाकुर आश्रम के महामंत्री रामदास राही तक कह रहे हैं ‘ है’ , तो यह गलत कैसे हो सकता है। इसके अलावे काफी शोध भिखारी ठाकुर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हुए हैं और सभी शोधार्थियों ने एकमत से कहा है कि जन्मतिथि 18 दिसम्बर 1887 है।
पर हकीकत तो कुछ और हीं कह रहा है। प्रायः सभी व्यक्तियों ने जन्म के संदर्भ में ठाकुर जी की पंक्तियों का हवाला दिया है
“बारह सौ पंचानबे जहिया,सुदी पूस पंचमी रहे तहिया।
रोज सोमार ठीक दुपहरिया, जनम भइल ओही घरिया।।”
इसके अलावे डॉ तैयब हुसैन पीड़ित ने अपनी किताब ‘भोजपुरी नाट्यरंग आ भिखारी ठाकुर’, और रामदास राही अपनी किताब ‘भिखारी ठाकुर : कुतुबपुर से कुतुबपुर’ में उनकी जन्मकुण्डली का भी जिक्र किये हैं। जिसके अनुसार पौष सुदी पंचमी तिथि को घनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण में सोमवार दोपहर बारह बजे उनका जन्म हुआ था।
अब इस तथ्य को जांचने के लिए 1887 का पांचांग देखा जाय( जो नेट पर आसानी से उपलब्ध है) तो उसके अनुसार 18 दिसम्बर के 12 बजे दोपहर में पंचमी नहीं चतुर्थी तिथि है। साथ हीं नक्षत्र भी घनिष्ठा नहीं बल्कि श्रवणा नक्षत्र है। वहीं उसके एक दिन बाद 19 दिसम्बर 1887 को 12 बजे दोपहर में पंचमी तिथि के साथ-साथ घनिष्ठा नक्षत्र का दूसरा चरण भी बीत रहा है।
ये तो हुई पञ्चाङ्ग की बात जिसे देखना सब के वश की नहीं है( मैं ब्राह्मण हूं और मुझे इसमें कुछ रुचि है इसलिए देख समझ लेता हूं)। इसलिए बहुत लोग इसे बड़ा तथ्य नहीं मानेगें।
सबसे बड़ा तथ्य ये है कि ठाकुर जी की हीं पंक्ति है “रोज सोमार ठीक दुपहरिया”। पर 1887 का कैलेंडर तो कह रहा है (जो सबके मोबाइल में है) कि 18 दिसम्बर 1887 को सोमवार है हीं नहीं, उस दिन तो रविवार है। और 19 दिसम्बर 1887 को सोमवार भी है, पंचमी तिथि भी है, घनिष्ठा नक्षत्र भी है। अतः मेरा निष्कर्ष है कि भिखारी ठाकुर जी कि जन्मतिथि 19 दिसम्बर 1887 है।
इस लिहाज से 18 दिसम्बर को ‘भिखारी स्मृति दिवस’ तो कहा जा सकता है, भिखारी जन्मदिवस कत्तई नहीं।
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