क्या बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हैं। इसदिन दान-पुण्य का बहुत अधिक महत्व है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस शुभ दिन पर ही गौतम बुद्ध का जन्म और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उनके जीवन में तीन अधिक महत्वपूर्ण घटनाएंं रही है, पहला उनका जन्म, दूसरा ज्ञान और तीसरा मोक्ष। यह सभी एक ही तिथि पर आते है। ंससार मेंं बुद्ध के विचारों को कई लोग मानते हैं। इस दिन उपवास रखने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। बुद्ध पूर्णिमा पर सभी को रामायण और गीता का पाठ करना चाहिए। यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है।

वैसाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पावन व्रत बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 23 मई 2024 दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। यद्यपि कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 22 मई 2024 दिन बुधवार को दिन में 5:57 बजे से आरंभ हो जाएगा। जो 23 मई 2024 दिन बृहस्पतिवार को सायं काल 6:41बजे तक । इसी कारण से उदयकालिक पूर्णिमा तिथि 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा। जबकि व्रत की पूर्णिमा 22 मई को ही होगा ।

आज ही अर्थात 23 मई को ही कूर्म जयंती भी मनाई जाएगी। इस दिन विशाखा नक्षत्र दिन में 8:54 तक व्याप्त रहेगा। उसके बाद अनुराधा नक्षत्र आरंभ हो जाएगा। प्रवर्धमान औधायिक योगा व्याप्त रहेगा । सर्वार्थ सिद्धि योग तथा जयद योग दिन में 8:54 के बाद से आरंभ होगा, गुरु पूर्णा सिद्धि योग सायंकाल 6:41 तक व्याप्त रहेगा।

देवगुरु बृहस्पति एवं दैत्य गुरु शुक्र सूर्य के साथ वृष राशि में गोचर करेंगे। बुध मेष राशि में । मंगल मीन राशि में ।नशनि अपनी राशि कुंभ में। केतु कन्या राशि में तथा राहु मीन राशि में गोचर करेंगे। दोनों गुरु अर्थात दैत्य गुरु शुक्र एवं देवगुरु बृहस्पति एक साथ वृष राशि में गोचर कर रहे हैं । अतः इस दिन के महत्व को बढ़ा देंगे।

शास्त्रों की माने तो भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को हुआ था। साथ ही यह भी माना जाता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को ही ज्ञान की प्राप्ति तथा परिनिर्वाण हुआ था । इसी कारण से इस दिन पूजा पाठ यज्ञ हवन दान पुण्य का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन किसी भी पवित्र सरोवर में अथवा गंगा यमुना नदी में स्नान करके दान पुण्य का करने का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन जल से भरे घड़े, घी, तिल तथा स्वर्ण का दान शुभ फलदायक माना जाता है।

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ देने की परंपरा है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से, पूजा करने से मानसिक शांति तथा घर में धन वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन दान पुण्य, यज्ञ-हवन, पूजा, पाठ जप तप करने तथा गरीबों को भोजन कराने के साथ साथ गौ तथा जानवरों को जल पिलाने से पित्र देव प्रसन्न होते हैं ।

भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसीलिए इस दिन सात्विकता का विशेष ध्यान देना चाहिए। इस दिन मांस मदिरा का त्याग कर देना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने बैसाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को ही बोधगया में बौध वृक्ष के नीचे बुद्धत्व ज्ञान को प्राप्त किया था। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था। इसी कारण से इस दिन भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद जरूर अर्पित करना चाहिए।

इस दिन सूर्योदय पूर्व जगकर घर की साफ सफाई करके स्वयं को स्नान आदि से पवित्र करके पूजा स्थल पर बैठ जाना चाहिए तथा भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए । इसके लिए भगवान विष्णु एवं माता पार्वती को शुद्ध जल से स्नान कराकर, वस्त्र, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, अबीर, गुलाल, पुष्प, फल, फूल, मिष्टान्न अर्पित करके धूप, दीप दिखाकर प्रार्थना करें तथा माता लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु का आरती उतारे।

सुख समृद्धि के लिए तथा माता लक्ष्मी की कृपा के लिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन जल से भरे कलश तथा जौ, गेहूं, घृत, तेल आदि का दान गरीबों अर्थात उन लोगों को करें जिनको इन वस्तुओं की अत्यधिक आवश्यकता है। जल से भरे घड़े के साथ-साथ यदि जीवो को जल पिलाते हैं तो भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन सत्यनारायण व्रत की कथा करें और रात में माता लक्ष्मी को कमल का पुष्प अर्पित करें तथा माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करें । इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

उसके बाद संपूर्ण दिन जल अथवा फल पर व्रत रहे। सात्विक रूप से दिनभर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना करते रहें। मन मंत्रो का जाप करते रहें। शाम को प्रदोष काल में इसी विधि विधान के साथ पुनः पूजा अर्चन करें तथा चंद्रमा को अर्घ्य दें तथा प्रसाद ग्रहण करें।

 

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