क्या चीन निर्मित छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान भारत के लिए सिर दर्द है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान की पहली उड़ान की फुटेज और तस्वीरें गुरुवार से वायरल हो रही हैं। अब चीन की आधिकारिक सैन्य मीडिया ने मौन रूप से अटकलों की पुष्टि की है। चीनी सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो के अनुसार, त्रिकोणीय टेललेस डिजाइन वाला एक रहस्यमय विमान दिन के उजाले में दक्षिण पश्चिम सिचुआन प्रांत के चेंग्दू के ऊपर उड़ता हुआ देखा गया, जिसके दोनों ओर दो पांचवीं पीढ़ी के J-20 लड़ाकू विमान उड़ान भर रहे थे। चीन जहां छठी पीढ़ी का विमान उड़ा रहा है, वहीं भारत अब भी तेजस पर अटका पड़ा है और इसका पांचवीं पीढ़ी के विमान वाला AMCA प्रोग्राम अब भी कागजों पर ही है।
चीन ने नहीं बताया विमान का नाम
इस विमान के बारे में विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि इसमें अत्याधुनिक स्टील्थ और लंबे समय तक उड़ान भरने की क्षमताएं हैं। अभी तक आधिकारिक रूप से इस विमान की पहचान या नाम नहीं बताया गया है। चेंग्दू स्थित डिफेंस टाइम्स ने अपने वीबो अकाउंट पर इस विमान के तस्वीर के साथ लिखा, “यह वास्तव में एक पत्ते जैसा दिखता है।” यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुआ और इसे नए लड़ाकू जेट की अर्ध-आधिकारिक स्वीकृति के रूप में व्यापक रूप से देखा गया।
परीक्षण उड़ान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संस्थापक माओ ज़ेडोंग (माओत्से तुंग) के जन्मदिन को आयोजित की गई। कई चीनी नेटिज़ेंस ने सोशल मीडिया पर माओ को याद किया, कुछ ने इस नए विमान के उड़ान को पूर्व नेता के लिए एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि के रूप में देखा। एक यूजर ने कमेंट किया, “इतिहास को देखें तो, जब माओ ने 1949 में चीन की स्थापना की घोषणा की थी, तब हमारे पास केवल 17 हवाई जहाज थे। इसके विपरीत, द्वितीय विश्व युद्ध से बाहर निकले संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 20,000 लड़ाकू विमान थे।”
हाल के वर्षों में, चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने सैन्य उपकरणों को तेजी से विकसित किया है। उदाहरण के लिए, हाई-स्पीड J-20 को हवाई श्रेष्ठता और लंबी दूरी के हमलों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें उन्नत स्टील्थ क्षमताएं और अत्याधुनिक एवियोनिक्स हैं। स्टील्थ फाइटर आधुनिक सैन्य विमानन में चीन की बढ़ती ताकत का नवीनतम अध्याय है और यह F-22 और F-35 जैसे अमेरिकी जेट विमानों को टक्कर देता है।
भारत निर्विवाद रूप से सैन्य शक्ति के मामले में चीन से काफी पीछे है। इसका सबसे बड़ा कारण रक्षा खर्च में अंतर है। चीन का रक्षा बजट 471 बिलियन डॉलर है, वहीं भारत का रक्षा बजट 75 बिलियन डॉलर है। इस कारण चीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ हथियारों के निर्माण पर ज्यादा खर्च कर पाता है। वहीं, भारत अपने कम रक्षा बजट के बावजूद चीन को टक्कर देने लायक हथियारों का निर्माण कर रहा है।
भारत के पास क्या विकल्प हैं
चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के खिलाफ भारत के मुख्य रूप से तीन विकल्प हैं। इनमें से पहला, भारत 2025 में पांचवीं पीढ़ी के इंजन के लिए फ्रांस के साथ एक सहयोगी उद्यम पर समझौता कर सकता है। दूसरा,भारत फिर से रूस की ओर रुख कर सकता है और उसके PAK FA परियोजना से जुड़कर सुखोई एसयू-57 को खरीद सकता है। इसके तीसरे विकल्प के रूप में भारत अमेरिका से F-35 डील को फाइनल कर सकता है।
भारत का कौन सा विमान सबसे शक्तिशाली
अभी तक भारत के हवाई बेड़े में सबसे शक्तिशाली विमान राफेल है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे हैं। इनमें से सभी विमानों की डिलीवरी हो चुकी है। इन विमानों को भारत की जरूरत के हिसाब से मोडिफाई किया गया है। ये विमान 4.5 जेनरेशन के माने जाते हैं। ये सेमी स्टील्थ तकनीक के साथ आते हैं, जो दुश्मन के घर में घुसकर पारंपरिक और परमाणु हमला करने में सक्षम हैं।
AI से लैस है यह विमान
रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा।
हाइपरसोनिक मिसाइल करेगा फायर
चीन के 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की एक और आशाजनक विशेषता हाइपरसोनिक हथियार ले जाने की इसकी क्षमता है। चीन ने हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह लड़ाकू विमान इन हाई गति, लंबी दूरी के हथियारों को तैनात करने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर सकता है। इसके अलावा, यह उम्मीद की जाती है कि विमान अत्याधुनिक रडार सिस्टम से लैस होगा जो अधिक दूरी पर खतरों का पता लगाने और उनसे निपटने में सक्षम होगा, जिससे पायलट को आधुनिक हवाई युद्धों में महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। कुछ विशेषज्ञ यह भी अनुमान लगाते हैं कि यह जेट भविष्य के मिसाइल खतरों से बचाव के लिए डायरेक्ट एनर्जी वेपन या अन्य रक्षा कवचों से लैस हो सकता है।
भारत अब भी तेजस के इंजन के इंतजार में
भारत विमानों के निर्माण में अभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी चीन से काफी पीछे है। भारतीय वायुसेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बड़े पैमाने पर तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है। इसकी डिलीवरी मार्च 2024 में शुरू होनी थी। इस लड़ाकू विमान में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) का एफ404-आईएन20 इंजन लगना है, लेकिन अभी तक इसकी डिलीवरी शुरू नहीं हुई है। इस कारण भारतीय वायु सेना को नए तेजस विमान मिलने में देरी हो रही है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के साथ अगस्त 2021 में 83 एलसीए एमके 1ए के 99 इंजनों के लिए समझौता किया था।
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