Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कांग्रेस दल है या विडंबना। - श्रीनारद मीडिया

कांग्रेस दल है या विडंबना।

कांग्रेस दल है या विडंबना।

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

क्या कांग्रेस में आन्तरिक लोकतंत्र है?

कांग्रेस गांधी-नेहरू परिवार की निजी पार्टी है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश की विडंबना है कि 75 वर्ष बाद भी जनमानस कांग्रेस को उतना ही चाहता है जितना वह 1947 में देश को स्वतंत्रता दिलाने वाली ‘कांग्रेस’ को चाहता था। आज यह कांग्रेस पार्टी पहले जवाहरलाल नेहरू की उसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी अब राहुल गांधी के परिवार की निजी पार्टी बनकर रह गई है। परिवार के मोहपाश से इसके कार्यकर्ता छूट नहीं पाए हैं।

कांग्रेस के भीतर छद्म लोकतंत्र है।

राजनीतिक दल लोकतंत्र का प्राण तत्व है। उसे अवश्य होना चाहिए परन्तु दलों में लोकतंत्र की भी उतनी ही अनिवार्यता है। लेकिन कांग्रेस पार्टी में शीर्ष पर गांधी-नेहरू परिवार का ही व्यक्ति होगा यह अति अनिवार्य तत्व है। क्षेत्रीय दलों की भांति चमत्कारी नेता के दम पर केंद्र में भी राज करने की प्रवृत्ति को कांग्रेस ने 1966 से ही जन्म दे दिया है। राजनीति में घाल-मेल करके किसी भी प्रकार से कुर्सी पर बने रहना इंदिरा गांधी ने प्रारंभ किया। इस प्रवृत्ति को देश के विभिन्न राज्यों की सरकारों में देख सकते हैं। कांग्रेस में अध्यक्ष कोई रहें पार्टी की कमान गाँधी परिवार के पास ही होती है।

जनमानस ने राजनीति को अपने जीवन का अटूट अंग मान लिया है।

राजनीति शास्त्र के विद्वानों का मत है कि राज्य एक आवश्यक बुराई है। उस देश की आयु क्षीण हो जाती है जिसकी जनता अत्यधिक रूप से राज्य पर निर्भर हो जाती है। विडंबना है कि अपने देश की एक बहुत बड़ी जनसंख्या राजनीतिक क्रियाकलाप को अपना व्यवहार बना लिया है। इसकी वजह से नैतिकता, मूल्य व सिद्धांत समाज से समाप्त हो रहे हैं। सरकार द्वारा लाई गई कोई भी नीति राजनीति बनकर रह जाती है। यही कारण था की ग्रीक की सभ्यता ध्वस्त हो गई।

1984 के बाद कांग्रेस ने 272 का आंकड़ा प्राप्त नहीं किया है।

देश के आम चुनाव में कांग्रेस ने 1984 के बाद कभी भी बहुमत के 272 का आंकड़ा प्राप्त नहीं किया है। इस आंकड़े को प्राप्त करने के लिए उसे भाजपा से नहीं क्षेत्रीय दलों से लड़ना होगा। यह बात सौ फीसदी याद रखने की है कि गांधी-नेहरू परिवार का व्यक्ति गठबंधन की सरकार नहीं चला सकता। अगर ऐसा हुआ भी है तो अपने कठपुतली प्रधानमंत्री द्वारा सरकार चलाई गई है, जिसकी उम्र लम्बी नहीं रही है।

कांग्रेस के सोच में है दो प्रकार के भारत की अवधारण।

कांग्रेस प्रारंभ से ही यह मानती है कि देश में दो भारत है। एक का जन्म 1947 में हुआ है, दूसरा सनातनी है। दोनों में तोड़फोड़ करके सत्ता में बने रहना कांग्रेस की फितरत रही है। एक समय ब्राह्मण, आदिवासी व मुसलमान इसके सत्ता के तत्व थे। आज एक बार फिर मुसलमान, ओबीसी, दलित एवं कुछ भटके हुए हिंदू उसकी ओर अग्रसर है। इसका परिणाम यह है कि कांग्रेस को 2014 में 44, 2019 में 54 और 2024 में 99 सीटों मिली है।

विमर्श गढ़ने में कांग्रेस आगे है।

कांग्रेस प्रारंभ से ही फेबियन समाजवाद की पक्षधर रही है लेकिन फेबियन समाजवाद की अवधारणा अब उसके लिए एक अलग तरह का मर्म हो गया है। जिसे वह सत्ता पाने के लिए उपयोग कर रही है। ‘खटाखट योजना’ और ‘संविधान खतरे में है’ इस नारे ने कांग्रेस को 99 सीटों तक पहुंचाया है। सार्वजनिक तौर पर चिकन व मटन की पार्टी करके सनातनियों को चोट पहुंचाना है। इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाकर 42वां संशोधन करके और 100 से अधिक राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाकर संविधान के प्रति अपनी प्रेम को इतिहास में अंकित करा दिया है। लेकिन जनमानस की स्मृति बड़ी ही क्षीण है और यही कारण है कि 99 सीटें प्राप्त करने वाली कांग्रेस एक बार फिर अक्रामक होकर सामने आ रही है।

बहरहाल कांग्रेस की नीतियों को पूरा देश समझ चुका है। भारत पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बनाता जा रहा है। 2047 तक विकसित देश के रूप में भारत को अग्रसर होगा। इस यात्रा में कांग्रेस के विमर्श को जनमानस अवश्य ही नकार देगा और देश आगे बढ़ चलेगा।

Leave a Reply

error: Content is protected !!