क्या नागरिकों की सुरक्षा और गोपनीयता पर डिजिटल इंडिया का प्रभाव पड़ रहा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के व्यापक डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विकास कार्य निरंतर जारी है, किंतु हाल ही में मूडीज़ की “विकेंद्रीकृत वित्त और डिजिटल परिसंपत्ति” शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम उपयोगकर्त्ताओं को नियमित सेवाएँ प्रदान करने में विफल रहा है।
- यह रिपोर्ट बायोमेट्रिक तकनीक की निर्भरता को लेकर चिंताएँ व्यक्त करती है, साथ ही गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी संभावित जोखिमों के बारे में चेतावनी भी देती है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
- इस एजेंसी के अनुसार ‘आधार’ (AADHAR) और ‘वर्ल्डलाइन (एक नना क्रिप्टो-आधारित डिजिटल पहचान टोकन) विश्व की दो ऐसी डिजिटल पहचान प्रणाली हैं जो अपने पैमाने और नवाचार के कारण सबसे अलग हैं।
- हालाँकि उनकी “गोपनीयता और सुरक्षा के संबंध में जाँच व्यवस्था दुरुस्त है”, किंतु आधार से संवेदनशील जानकारी विशिष्ट संस्थाओं के पास केंद्रित होने से डेटा उल्लंघनों का खतरा भी बना रहता है।
- बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण संबंधी चिंताएँ:
- रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) आदि जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लिये सरकार द्वारा आधार प्रणाली को अपनाने को लेकर टिप्पणी की, रेटिंग एजेंसी के अनुसार आधार प्रणाली इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में काफी सीमा तक बाधा बन रही है।
- आधार बायोमेट्रिक प्रणाली में प्रमाणीकरण और बायोमेट्रिक विश्वसनीयता संबंधी कई चिंताएँ शामिल हैं।
- आधार प्रणाली फिंगरप्रिंट अथवा आँख के आईरिस स्कैन तथा वन-टाइम पासकोड (OTP) जैसे विकल्पों के माध्यम से सत्यापन करके सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक पहुँच की सुविधा प्रदान करती है।
- सेवाओं की बाधारहित उपलब्धता संबंधी चिंताएँ:
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) आधार को प्रबंधित करता है, जिसका लक्ष्य वंचित समूहों को एकीकृत करना और कल्याणकारी लाभों की पहुँच का विस्तार करना है।
- विशेष रूप से गर्म, आर्द्र जलवायु में रहने और शारीरिक रूप से काम करने वाले श्रमिकों/लोगों के बीच आधार सेवाओं की बाधारहित उपलब्धता एवं बायोमेट्रिक प्रौद्योगिकियों की विश्वसनीयता कई बार सवालों के घेरे में आती है।
- डेटा के केंद्रीकरण से संबंधित मुद्दे:
- मूडीज़ ने डिजिटल वॉलेट जैसी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी आधारित विकेंद्रीकृत आईडी (DID) प्रणाली का प्रस्ताव रखा हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं को उनके निजी डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करते हैं और संभावित रूप से ऑनलाइन धोखाधड़ी को कम करता है।
मूडीज़ की रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया:
- आधार को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा मान्यता:
- सरकार ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने आधार प्रणाली की सराहना की है तथा विभिन्न देशों ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जैसी ही डिजिटल आईडी प्रणाली तैयार करने पर चर्चा भी की है।
- मनरेगा जैसी योजनाओं की सुविधा:
- सरकार ने बताया कि रिपोर्ट के जारीकर्त्ताओं को शायद यह जानकारी नहीं है कि मनरेगा डेटाबेस में आधार की जानकरी अंकित करने के लिये उनको बायोमेट्रिक्स की सहायता से प्रमाणित करने की अनिवार्यता नहीं है।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लाभ:
- सरकार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि योजना के तहत श्रमिकों को भुगतान सीधे उनके खाते में पैसा जमा करके किया जाता है और इसके लिये उन्हें अपने बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं होती है।
विकेंद्रीकृत प्रणालियाँ:
- एक केंद्रीकृत प्रणाली के अंतर्गत बैंक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अथवा सरकारी मतदाता सूची जैसी इकाइयाँ उपयोगकर्ता की पहचान संबंधी विश्वसनीयता और ऑनलाइन संसाधनों तक उनकी पहुँच को नियंत्रित एवं प्रबंधित करती है।
- प्रबंधन इकाइयाँ आंतरिक अथवा थर्ड-पार्टी प्रोफाइलिंग उद्देश्यों के लिये उपयोगकर्ता के पहचान डेटा के साथ छेड़छाड़ कर सकती है।
- हालाँकि DID का अंगीकरण (जिसमें व्यक्तिगत डेटा उपयोगकर्ता के डिजिटल वॉलेट में सहेजा जाता है) और पहचान सत्यापन कार्य एक एकल, केंद्रीकृत संस्थान के माध्यम से नहीं बल्कि ब्लॉकचेन जैसे विकेंद्रीकृत डिजिटल बहीखाता के माध्यम से होता है।
- यह गोपनीयता में वृद्धि करता है और मध्यस्थों द्वारा रखी गई व्यक्तिगत जानकारी की मात्रा को कम करता है।
- इसे किसी सरकार, व्यवसाय, नियोक्ता या अन्य इकाई के बजाय उपयोगकर्त्ता के पोर्टेबल और पुन: प्रयोज्य डिजिटल वॉलेट में संगृहीत तथा प्रबंधित किया जा सकता है।
विकेंद्रीकृत पहचान प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ:
- डिजिटल आईडी चाहे वे केंद्रीकृत हों या नहीं, हानिकारक सामाजिक प्रभाव डाल सकती हैं क्योंकि वे समूहों के बीच राजनीतिक और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दे सकती हैं, खासकर तब, जब वे एकाधिकार प्रौद्योगिकी तथा सोशल मीडिया व्यवसायों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
- इन संगठनों के भीतर नियंत्रण के संकेंद्रण के परिणामस्वरूप व्यक्तिगत पहचान पर प्रभाव में वृद्धि हो सकती है, साथ ही विभिन्न धारणाएँ तथा ऑनलाइन गतिविधियाँ भी प्रभावित हो सकती हैं।
- सामूहिक पहचान एवं राजनीतिक संबद्धताओं के और अधिक ध्रुवीकरण से एकीकृत तथा विविधतापूर्ण डिजिटल तंत्र के निर्माण का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
आधार (Aadhaar):
- आधार भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी की गई 12 अंकीय व्यक्तिगत पहचान संख्या है। यह संख्या भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
- आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति के लिये विशिष्ट होती है और इसकी वैद्यता जीवन भर तक है।
- आधार संख्या निवासियों को उचित समय पर बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करती है।
- यह जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की पहचान स्थापित करता है।
- वर्तमान दस्तावेज़ों के बावजूद, प्रत्येक नागरिक इस स्वैच्छिक सेवा का उपयोग कर सकता है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):
- उद्देश्य:
- इसे लाभार्थियों तक सूचना और धन के सरल/तेज़ प्रवाह तथा वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने में सहायता करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
- क्रियान्वयन:
- यह भारत सरकार द्वारा सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार के लिये 1 जनवरी 2013 को शुरू किया गया एक मिशन है।
- केंद्रीय योजना स्कीम निगरानी प्रणाली (CPSMS), लेखा महानियंत्रक कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) का पूर्व संस्करण, को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूटिंग के लिये सामान्य मंच के रूप में कार्य करने के लिये चुना गया था।
- DBT के अवयव:
- DBT योजनाओं के कार्यान्वयन में प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI), सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक (बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली व NPCI का आधार भुगतान माध्यम) आदि के साथ एकीकृत एक मज़बूत भुगतान और समाधान मंच शामिल है।
- यह भी पढ़े………….
- जन सुराज के सदस्यो को अंग वस्त्र व प्रमाण पत्र से किया गया सम्मानित
- मशरक में जन सुराज की बैठक में संगठन के विस्तार पर हुई चर्चा
- नहीं रहे हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन!