क्या जनसंख्या वृद्धि के कारण अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी बढ़ रही है?

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विश्‍व जनसंख्या दिवस पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 बढ़ती जनसंख्या दुनियाभर के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी बढ़ रही है। हर दिन लाखों की संख्या में बढ़ रही जनसंख्या लगभग सभी देशों के लिए मुसीबत बनी हुई है। ये गंभीर बात है कि दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत बन चुका है, जबकि चीन खिसक कर दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है।

यूएनएफपीए की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन (142.86 करोड़) पहुंच गई है, वहीं चीन की आबादी 1,425.7 मिलियन (142.57 करोड़) है। आंकड़ों के आधार पर भारत 2.9 मिलियन यानी 29 लाख के अंतर से चीन से आगे है।

बहरहाल बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे समाधान मौजूद हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण जनसंख्या पर काबू नहीं पाया जा रहा है। दुनिया के तमाम देशों में बढ़ रही आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 2023) मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाने की शुरुआत हुई?

हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने आम सभा में 11 जुलाई 1989 को मनाने का फैसला लिया था। 1987 तक दुनिया की जनसंख्या पांच अरब के करीब पहुंच चुकी थी, जिसे लेकर देशों को चिंता होने लगी। इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए नागरिकों को जागरूक करने का फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का ऐलान किया।

विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम

विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम ‘लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना। दुनिया की अनंत संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को ऊपर उठाना है। (Unleashing The Power Of Gender Equality: Uplifting the Voices Of Women and Girls To Unlock our World’s Infinite Possibilities.)

अधिक जनसंख्या की चुनौतियां :

1. खाद्य सुरक्षा: बढ़ती जनसंख्या वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रणाली पर दबाव डालती है, जिससे भोजन की कमी, कुपोषण और भूख की समस्याएं पैदा होती हैं। इससे टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बनाए रखते हुए भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करना बड़ी चुनौती है।

2. शहरीकरण और आवास: अधिक जनसंख्या के कारण व्यापक शहरीकरण हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ वाले शहर, अपर्याप्त आवास और मलिन बस्तियां पैदा हुई हैं। उचित बुनियादी ढांचे और बुनियादी सुविधाओं की कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है।

3. पर्यावरणीय प्रभाव: बढ़ती जनसंख्या प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई, पानी की कमी, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का कारण पैदा होता है।

4. स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा: बढ़ती आबादी को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ सभी के लिए चिकित्सा देखभाल और शिक्षा सहित आवश्यक सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना कठिन होता जा रहा है।

क्या है बढ़ती जनसंख्या का स्थायी समाधान?

1. परिवार नियोजन और महिला सशक्तिकरण: शिक्षा को बढ़ावा देना, महिलाओं को सशक्त बनाना और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम व्यक्तियों को परिवार के आकार के बारे में सूचित विकल्प चुनने में और सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी): संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य अधिक जनसंख्या से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करते हैं। इसका लक्ष्य गरीबी पर ध्यान, शिक्षा में सुधार, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने और स्थायी संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।

3. नवीकरणीय ऊर्जा और संसाधन संरक्षण: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने से अधिक जनसंख्या के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को संरक्षित करने में ऊर्जा दक्षता और सही खपत को बढ़ावा देना प्रमुख है।

4. शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा विकास: कुशल बुनियादी ढांचे के साथ शहरों में निवेश करने से बढ़ती आबादी को समायोजित करने में मदद मिल सकती है। इसमें शहरी निवासियों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए टिकाऊ परिवहन प्रणाली, किफायती आवास और हरित स्थान बनाना शामिल है।

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