क्या जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत यूरोप से बेहतर कदम उठा रहा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत लगातार अपनी कमर कस रहा है। रिन्युएबल एनर्जी का चरणबद्ध तरीके से विस्तार, हाइड्रोजन नीति, रेलवे का डी-कार्बोनाइजेशन और 2030 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने जैसे कई अच्छे कदम उठाए जा रहे हैं। इन फैसलों के दूरगामी असर होने वाले हैं।
भारत ने नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशंस के तहत जलवायु नीति के प्रति अपने सरोकार को जाहिर किया है। पेरिस समझौते की पूर्ति के लिए भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर प्रदूषण में कमी लाने के लिए एक क्षेत्रवार नजरिया तैयार किया है।
वहीं नेशनल एनर्जी पॉलिसी (एनईपी) में भी 2030 तक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के साथ केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की कोयला क्षमता में गिरावट की बात कही गई है। केंद्र ने हाल ही में अक्षय ऊर्जा क्षमता को स्टोर करने के लिए एक बिजली ट्रांसमिशन प्रणाली बनाने के लिए 30 अरब डॉलर की योजना का अनावरण किया है।
सरकार ने पिछले महीने अपने संप्रभु ग्रीन बांड भी जारी किए हैं। इनका मकसद सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसी परियोजनाओं की आर्थिक मदद करना है, जिनका सरोकार जलवायु संरक्षण कार्रवाई से जुड़ा हो। इनके जरिए भारत अपने जलवायु संबंधी अंतरराष्ट्रीय संकल्पों को और मजबूत करना है।
भारत की हाइड्रोजन नीति में भी बदलाव किए गए हैं। हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाने के लिए ढाई अरब डॉलर की व्यवस्था की गई है। इस बहुप्रतीक्षित नीति में ऊर्जा, उद्योग एवं परिवहन क्षेत्रों में हाइड्रोजन आधारित हरित पारिस्थितिकी का लक्ष्य हासिल करने के लिए स्पष्ट बातें रखी गई हैं।
अन्य बातों के साथ-साथ तेल शोधन इकाइयों को वर्ष 2035 तक अपने यहां इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन के एक तिहाई हिस्से को ग्रीन हाइड्रोजन से बदलना होगा। 2035 तक उर्वरक उत्पादन का कार्य 7% ग्रीन हाइड्रोजन से करना होगा और शहरी गैस वितरण ग्रिड में 15% गैस को ग्रीन हाइड्रोजन से बदलना होगा। भारत वर्ष 2026 तक दुनिया में उत्पादित होने वाली कुल 26 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता में से इस वर्ष 8 गीगावट की इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता का वादा करने की दिशा में भी आगे बढ़ा।
सरकार ने भारतीय रेलवे के वर्ष 2030 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की अपनी घोषणा को दोहराया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रेलवे नेटवर्क के ब्रॉड गेज (बीजी) को 100% विद्युतीकृत करना होगा। रेलवे ने करीब 142 मेगावाट उत्पादन क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट लगाए हैं और अब तक करीब 103 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र तैयार किए हैं। रेलवे कार्बन सिंक में वृद्धि करने के लिए अपनी जमीन के वनीकरण की योजना बना रहा है। दुनियाभर से तुलना की जाए, तो भारत ने इस दिशा में अच्छी-खासी प्रगति की है। बस निरंतरता की जरूरत है।
यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए ऊर्जा संकट को देखते हुए यूरोप फिर से कोयले की तरफ बढ़ रहा है। पर भारत का कोयले का इस्तेमाल घटाने वाला फैसला दूरंदेशी का अनुपम उदाहरण है।
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