क्या भारत विश्व के ताकतवर देशों की उम्मीद है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब पहली बार भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है। लेकिन भारत को अध्यक्षता ऐसे वक्त मिली है जब दुनिया कई तरह के संकट में फंसी है। हम पर्यावरण संकट से निपटने और सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहे।
कोविड महामारी ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ली है। 20 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गई हैं और 10 करोड़ लोग भारी गरीबी के दलदल में चले गए हैं। इसके चलते ग्लोबल सप्लाई चेन गड़बड़ा गई है। डिमांड और सप्लाई दोनों मोर्चों पर पड़ने वाली मार को रोकने के लिए दुनियाभर में आर्थिक और वित्तीय उपाय किए गए हैं, जिससे विकासशील देशों में कर्ज संकट पैदा हो गया है।
जियो पॉलिटिकल क्राइसिस से ऊर्जा और भोजन की कीमतें आसमान छू रही हैं। महंगाई और ब्याज दरें बढ़ने से कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को 2023 में मंदी का डर सता रहा है। एक तरफ, ग्लोबल इकोनॉमी बिखर रही है तो भारत नई उम्मीद बनकर सामने आया है।
जी-20 के बाली समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश “आज का युग, युद्ध का नहीं है’ को दुनिया ने माना और इसकी झलक फाइनल डिक्लेरेशन में देखने को भी मिली। अब जी-20 समिट 2023 के लिए भारत की अध्यक्षता का मूल मंत्र है ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता निर्णायक होगी।
हमारे एजेंडा में विकास सबसे ऊपर रहेगा। साथ ही, दुनिया के लिए भरोसेमंद सप्लाई चेन विकसित करने पर भी फोकस होगा। हमें डिजिटल विकास की ताकत को भी समझना होगा। दुनिया के करीब 4 अरब लोगों के पास डिजिटल पहचान नहीं है। वहीं 2 अरब लोगों के बैंक खाते नहीं हैं। 130 देशों के पास डिजिटल पेमेंट सिस्टम नहीं है।
ऐसे में हमारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया के लिए प्रेरक है। कोविन प्लेटफॉर्म की मदद से ही लोगों को 2 अरब से ज्यादा कोविड वैक्सीन डोज मुहैया कराई जा सकीं। बहुत कम समय में भारतीय फार्मा कंपनियां अरबों कोविड वैक्सीन बनाने में सफल रहीं और इसके चलते भारत अग्रणी फार्मा निर्माता देश बनकर उभरा है।
जी-20 में नया स्टार्टअप एंगेजमेंट ग्रुप और आपदा वर्किंग ग्रुप बनेगा। महिला के नेतृत्व वाले विकास और बहुपक्षीय विकास बैंकों पर जोर देंगे। मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार अभी दुनिया में उभरते 4 मेगा ट्रेंड का फायदा भारत को होगा। डेमोग्राफी- भारत सबसे युवाओं का देश होगा। डीग्लोबलाइजेशन- ट्रेड वार के दौर में भारत वैश्विक मूल्यों के साथ तालमेल बिठा रहा है।
डिजिटलाइजेशन- भारत के पास सबसे एडवांस डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर है। डीकार्बनाइजेशन- हरित ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देने की भारत की पहल को दुनिया ने सराहा है। जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए ग्लोबल लीडर बनने का अवसर लेकर आई है।
गुटबाजी में फंसी दुनिया में आम सहमति बनाना बेहद कठिन है। लेकिन इंडोनेशिया की बाली समिट में हमने दुनिया को अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाई और दुनियाभर के देशों के बीच आम सहमति बनाने वाले देश के रूप में उभरे हैं। अब दुनिया शांति, समृद्धि और समावेशी विकास के लिए भारत की तरफ देख रही है। नया भारत यह भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
वैश्विक विकास में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा
- जी-20 वित्तीय, रणनीतिक समेत दुनिया के सभी बड़े मसलों के लिए एजेंडा तय करने का मंच है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, जापान, सऊदी अरब, भारत, तुर्की, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और यूरोपीय यूनियन समेत 20 देश हैं। भारत ने 45 देशों को निमंत्रण भेजा है।
- जी-20 में दुनिया की 85% जीडीपी, 75% व्यापार और 4.5 अरब (60%) आबादी के देश हैं।
- सितंबर में दिल्ली में होने वाले शिखर समिट में 45 देश आएंगे।
- भारत वैश्विक उथल-पुथल को संतुलित करने और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- यह 1999 में एशियाई मंदी के बाद वित्त मंत्रियों-केंद्रीय बैंक के गवर्नरों का एक समूह था। 2008 की ग्लोबल मंदी के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने जी-20 को शिखर सम्मेलन का दर्जा दिलाया।
- जी-20 की पहली अध्यक्षता से हमारी छवि मजबूत होगी। भारत को आतंकवाद, खाद्य-ऊर्जा संकट, ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया का ध्यान खींचना होगा।
- बाली समिट में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नहीं आने से जी-20 की दरारें सामने आई हैं। भारत को संवाद से सहमति बनानी होगी।
- देश के 56 शहरों में शेरपा ट्रैक की 60, वित्त ट्रैक की 40 मीटिंग सहित 200 से ज्यादा बैठकें होंगी।
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