क्या भारत में ‘चीतों’ की वापसी संभव है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने ‘भारत में चीते की पुनः वापसी हेतु कार्य योजना’ शुरू की है, जिसके तहत अगले पाँच वर्षों में 50 ‘चीतों’ को लाया जाएगा।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 19वीं बैठक में इस कार्य योजना का शुभारंभ किया गया।
- ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- बीते वर्ष (2021) सर्वोच्च न्यायालय ने नामीबिया से अफ्रीकी चीतों को भारत में लाने के प्रस्ताव पर सात वर्ष के लंबे प्रतिबंध को हटा दिया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय
- किसी प्रजाति को ‘पुनः प्रस्तुत’ करने का अर्थ उसे किसी ऐसे स्थान में छोड़ना है, जहाँ वह जीवित रहने में सक्षम हो।
- बड़े माँसाहारी जानवरों को ‘पुनः प्रस्तुत’ करने को, विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के बहाल करने की रणनीति के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
- चीता एकमात्र बड़ा माँसाहारी जानवर है, जो कि अति-शिकार के कारण भारत में विलुप्त हो गया था।
- चीतों का संरक्षण घास के मैदानों और उनके बायोम एवं आवास को पुनर्जीवित करेगा, ठीक उसी तरह जैसे प्रोजेक्ट टाइगर ने जंगलों और उन सभी प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
- विलुप्त होने के कारण:
- शिकार, घटते आवास और पर्याप्त शिकार की अनुपलब्धता – काला हिरन, चिकारा और खरगोश – भारत में बिल्ली के विलुप्त होने का कारण बना (1952)।
- जलवायु परिवर्तन की स्थिति और बढ़ती मानव आबादी ने समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है।
- पुन: प्रवेश कार्य योजना:
- भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की मदद से मंत्रालय दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना से लगभग 8-12 चीतों का पुनर्स्थानांतरण करेगा।
- इन देशों में जानवरों की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
- अपने उपयुक्त आवास और पर्याप्त शिकार आधार के कारण बड़ी बिल्लियाँ कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) में रहेंगी।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की मदद से मंत्रालय दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना से लगभग 8-12 चीतों का पुनर्स्थानांतरण करेगा।
- एनटीसीए बैठक की अन्य मुख्य बातें:
- जल एटलस:
- भारत के बाघों वाले क्षेत्रों में सभी जल निकायों का मानचित्रण करने वाला एक जल एटलस भी जारी किया गया है।
- एटलस में शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी परिदृश्य, मध्य भारतीय परिदृश्य तथा पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट परिदृश्य, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों व ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान एवं सुंदरबन सहित कई क्षेत्रों में ऐसे निकायों की उपस्थिति के बारे में जानकारी है।
- एटलस में रिमोट-सेंसिंग डेटा और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मैपिंग का उपयोग किया गया है।
- यह वन प्रबंधकों को उनकी भविष्य की संरक्षण रणनीतियों को आकार देने के लिये आधारभूत जानकारी प्रदान करेगा।
- कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) प्रत्यायन:
- CA|TS के तहत चौदह बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है और एनटीसीए CA|TS मान्यता के लिये अन्य रिज़र्व का मूल्यांकन कर रहा है।
- CA|TS को टाइगर रेंज देशों (TRCs) के वैश्विक गठबंधन द्वारा एक मान्यता प्राप्त उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघ एवं संरक्षित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।
- CA|TS के तहत चौदह बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है और एनटीसीए CA|TS मान्यता के लिये अन्य रिज़र्व का मूल्यांकन कर रहा है।
- जल एटलस:
चीता
- चीता बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों की उत्पत्ति को पाँच मिलियन से अधिक वर्षों से मियोसीन युग में देखा गया।
- चीता दुनिया का सबसे तेज़ भूमि स्तनपायी भी है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है।
अनुक्रमांक | पैरामीटर | अफ्रीकी चीता | एशियाई चीता |
1. | IUCN की रेड लिस्ट | ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) | ‘अति संकटग्रस्त’ (Critically Endangered). |
2. | CITES की सूची | सूची का परिशिष्ट-I | सूची का परिशिष्ट-I |
3. | वितरण | वन में लगभग 6,500-7,000 अफ्रीकी चीते मौजूद हैं। | 40-50 केवल ईरान में पाए जाते हैं। |
4. | भौतिक विशेषताएँ | इसका आकार एशियाई चीता की तुलना में बड़ा होता है। | शरीर पर बहुत अधिक फर, छोटा सिर व लंबी गर्दन आमतौर पर इनकी आँखें लाल होती हैं और प्रायः बिल्ली के समान दिखते हैं। |
5. | चित्र |
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