क्या संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर संयम ही सच्ची विजय है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रावण को सभी वेदों का ज्ञान था, उसने शिव तांडव और युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की थी, देवताओं को भी परास्त करने वाला महाज्ञानी था। लेकिन उसे अपनी शक्ति का अहंकार हो गया था, अहंकार जैसे दुर्गुणों के कारण रावण का वध हुआ। रावण वध के उपरांत विभीषण ने श्री राम से कहा रावण महाअहंकारी था उसे अपनी शक्ति का अहंकार था ‘आपने रावण का वध करके महान विजय प्राप्त की है’। तब श्री राम ने कहा ‘यह तो साधारण विजय है, असाधारण विजय तो अपने दुर्गुणों पर संयम पा लेना होता है। संयमित व्यक्ति संसार को जीत सकता है’। संसार के व्यसनों और इन्द्रियों पर विजय ही सच्ची विजय है।
जो मनुष्य धर्म के मार्ग पर चलते हैं वही सच्ची विजय के अधिकारी हैं, धर्म व्यक्ति धैर्यवान बनाता है। यदि मनुष्य सत्य का मार्ग अपनाये तो उसको विजयी होने से कोई नहीं रोक सकता है। शौर्य की प्राप्ति में सत्य ही सहायक है, विवेक, धर्म, दया और संयमी व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता, संयमी और अहंकार से रहित व्यक्ति किसी से छल नहीं करता और असत्य से दूर रहता है। काम, क्रोध, अहंकार, द्वेष, लालच से दूर होकर संसार का भला करता है।
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