क्या P.M पर BBC की विवादित डॉक्युमेंट्री देश के लिए खतरा है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी द्वारा बनाए गए डॉक्युमेंट्री पर भाजपा को ऐसे जगहों से समर्थन मिल रहा है, जहां से उसे समर्थन मिलने की आशा नहीं थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटोनी के बेटे अनिल एंटोनी ने कहा कि भारतीय संस्थानों पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचार देश की संप्रभुता को कमजोर करेंगे।

पीएम मोदी पर बीबीसी की विवादित डॉक्युमेंट्री

बता दें कि अनिल एंटोनी ने हाल ही में कांग्रेस की राज्य इकाई के डिजिटल संचार को संभाला है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राज्य कांग्रेस के विभिन्न विंगों ने घोषणा की है कि 2002 के गुजरात दंगों पर विवादास्पद डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग राज्य में की जाएगी। मालूम हो कि बीबीसी ने उस समय की घटना पर विवादास्पद डॉक्युमेंट्री बनाई, जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

अनिल एंटोनी ने डॉक्युमेंट्री पर भाजपा का किया समर्थन

अनिल एंटोनी ने ट्वीट किया, ‘भाजपा के साथ गंभीर मतभेदों के बावजूद, जो लोग ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर और ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ के विचारों का समर्थन करते हैं और ताल्लुक रखते हैं, वे भारतीय संस्थानों पर खतरा को तरजीह दे रहे हैं।’ जैक स्टॉ को इराक युद्ध के पीछे का मस्तिष्क माना जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे विचारों से हमारी संप्रभुता कमजोर होगी।

केरल में डॉक्युमेंट्री दिखाने का कांग्रेस का ऐलान

वहीं, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अधिवक्ता शिहाबुद्दीन करयात ने कहा है कि देश में इस पर अघोषित प्रतिबंध के मद्देनजर गणतंत्र दिवस पर पार्टी के जिला मुख्यालयों में विवादित बीबीसी के डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग की जाएगी।

क्या है बीबीसी की विवादित डॉक्युमेंट्री विवाद?

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह कई YouTube वीडियो और डॉक्युमेंट्री के लिंक साझा करने वाले ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि दो पार्ट में बनी बीबीसी डॉक्युमेंट्री, जो दावा करती है कि उसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की थी। हालांकि इसे विदेश मंत्रालय द्वारा प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इसमें निष्पक्षता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। वहीं, केंद्र सरकार के इस कदम को कांग्रेस और टीएमसी जैसे विपक्षी दलों से तीखी आलोचना मिली है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर बीबीसी की विवादास्पद डाक्यूमेंट्री पर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे यूट्यूब और ट्विटर पर ब्लाक कर दिया गया है। भारत के नेताओं और समाज के एक वर्ग द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। इस बीच हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों के एक समूह ने बीबीसी की इस डाक्यूमेंट्री को अपने परिसर में दिखाया, जिसे लेकर विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों ने रिपोर्ट मांगी है।

‘फ्रेटरनिटी मूवमेंट एचसीयू यूनिट’ के बैनर तले छात्रों के एक समूह ने विश्वविद्यालय के परिसर में रविवार को डाक्यूमेंट्री दिखाई। विश्वविद्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि छात्र समूह ने इस डाक्यूमेंट्री को दिखाने से पहले प्राधिकारियों से कोई अनुमति नहीं ली थी और उन्हें इसके बारे में तब पता चला, जब एबीवीपी के सदस्यों ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से इस बारे में शिकायत की।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने सुरक्षा शाखा से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। इस बीच फ्रेटरनिटी मूवमेंट ने 21 जनवरी को एक ट्वीट में दावा किया कि बीबीसी डाक्यूमेंट्री ‘फ्रेटरनिटी मूवमेंट एचसीयू यूनिट’ ने प्रदर्शित किया था।

भाजपा ने इस कदम को राजद्रोह करार देते हुए मुख्यमंत्री से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने और इस तरह के प्रयासों को रोकने की मांग की। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने विजयन के समक्ष इसकी शिकायत करते हुए उनसे राज्य में डाक्यूमेंट्री दिखाए जाने की अनुमति न देने की मांग की।

एके एंटनी के बेटे ने विवादास्पद डाक्यूमेंट्री का विरोध किया

बीबीसी की विवादास्पद डाक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ से जुड़े विवाद पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे ने अलग रुख अपनाया है। पूर्व रक्षा मंत्री के बेटे अनिल के एंटनी ने ट्वीट कर लिखा कि भारतीय संस्थानों द्वारा बीबीसी के दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना बहुत खतरनाक चलन है। उन्होंने कहा कि इस तरह की डाक्यूमेंट्री एक खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है और इससे हमारे देश की संप्रभुता कमजोर होगी।

अनिल एंटनी ने कहा कि भाजपा के साथ मतभेद हो सकते हैं लेकिन इस तरह के विचारों को रखकर खतरनाक मिसाल पेश की जा रही है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन द्वारा प्रायोजित चैनल बीबीसी और इराक युद्ध के पीछे के दिमाग वाले जैक स्ट्रा के विचारों को भारत में रखने वाले संस्थान एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं।

 

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