क्या बिहार के नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का गौरव लौटने की राह पर है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय देश को फिर विश्व गुरु का गौरव लौटाने की राह पर है। राजगीर के 485 एकड़ लंबे-चौड़े परिसर में विवि की नई इमारतें 90 प्रतिशत बन गईं हैं। यहां 31 देशों के करीब एक हजार छात्र नामांकित हैं। दो से ढाई सौ छात्र नियमित कक्षाएं कर रहे हैं। विवि की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने बताया कि 2014 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दो मास्टर प्रोग्राम के साथ क्लास शुरू कराई थी। 2016 में मास्टर लेवेल का एक और पाठ्यक्रम जोड़ा गया। 2017 के बाद मास्टर के तीन और कोर्स शुरू किए गए। आज कुल 20 कोर्स चल रहे हैं।
प्राचीन नालंदा महाविहार में 10 हजार छात्र थे अध्ययनरत
प्राचीन नालंदा महाविहार में देश-विदेश के 10 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत थे। एक से बढ़कर एक विद्वान शिक्षक थे। पुस्तकालय समृद्ध था। आसपास के 100 गांवों के राजस्व के बूते महाविहार स्वावलंबी था। महाविहार परिसर में कड़ा अनुशासन था। आसपास तालाबों और पेड़-पौधों की शृंखला थी। वातावरण अध्ययन व शोध के अनुकूल शांत व सुरम्य था। निर्धारित समय पर अध्ययन व शोध कार्य पूरे किए जाते थे। महाविहार में नामांकन के लिए सिर्फ विद्वता अनिवार्य थी। जाती, वर्ण व पहचान के मायने नहीं थे। नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि ठीक उसी नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहा है।
कोरोना काल में भी विश्वविद्यालय ने दी समय पर डिग्रियां
कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने बताया कि कोरोना काल में भी शैक्षणिक कैलेंडर नियमित रहा। छात्रों को समय पर डिग्रियां मिलीं। पुस्तकालय को पुराने विवि से और ज्यादा समृद्ध बनाया जा रहा। भवन नेट जीरो कांसेप्ट पर बन रही हैं। परिसर इको फ्रेंडली है। 100 एकड़ में जलाशय बनाए गए हैं। अनुशासन सख्त है।
अगले साल तक बन जाएगा हास्टल, लैब व लाइब्रेरी: कुलपति
कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि यहां मिशन मोड पर काम चल रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय में चार साल में बहुत कुछ हुआ। अभी कई चीजें बाकी हैं। अभी सारे छात्र विवि द्वारा किराये पर लिए गए होटलों में रह रहे हैं। अगले वर्ष तक हास्टल बन जाएगा, सारे विद्यार्थी कैंपस में रहने लगेंगे। लैब व लाइब्रेरी भी तैयार हो जाएंगे। 2023 में कई नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। परिसर में एक अलग शहर ही बस जाएगा। किसी को परिसर से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने में 17 देशों का मिला साथ
कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि नालंदा शब्द ही विशिष्ट है। इसकी अलग महत्ता है। अब तक विवि निर्माण में 17 देशों का साथ मिला है। हमारे 80 प्रतिशत छात्र विदेश के हैं। जैसे प्राचीन नालंदा महाविहार में दूर देश कें छात्र ज्ञान की खोज में आते थे। वैसे ही हम पुराने गौरव को हासिल करने को अग्रसर हैं। इसमें केंद्र व राज्य सरकार का भरपूर सहयोग है।
सितंबर 2014 में शुरू हुई थी पढ़ाई, 13 छात्र थे अध्ययनरत
विवि में पढ़ाई सितंबर 2014 में शुरू हुई थी। पहले सत्र में स्कूल आफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल आफ इनवायरमेंट स्टडीज के लिए कुल 13 छात्रों का नामांकन हुआ था। इनमें एक भूटान व एक जापान का छात्र था। दूसरे साल में कुल 62 नामांकन हुए। इन छात्रों को पढ़ाने के लिए दस प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई। 2016 में एक और विषय बुद्धिस्ट स्टडीज कंप्रेटिव रीलिजन एंड फिलासफी की पढ़ाई शुरू की गई। उस वक्त नालंदा विवि की कुलपति गोपा सभरवाल थीं।
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