Breaking

क्या हिंदुत्व का मुद्दा अभी भी धारदार है?

क्या हिंदुत्व का मुद्दा अभी भी धारदार है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश की राजनीति में कास्ट पॉलिटिक्स का दबदबा एक बार फिर से बढ़ता नजर आया। लोकसभा चुनाव के वक्त विपक्ष ने एक नैरेटिव चलाया था कि बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान बदल कर आरक्षण खत्म कर देगी, और ये बात चुनावी मुद्दा बन गई। विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार दोहराते नजर आए कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की वो हर कीमत पर रक्षा करेंगे। लगातार वो लोकसभा चुनाव के बाद जाति जगगणना की मांग करते संसद में दिख जाते हैं। जाति जनगणना की बात करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

हालत यह है कि जाति जनगणना के ध्‍वजवाहक रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू यादव और अखिलेश यादव को भी राहुल ने पीछे छोड़ दिया है। पूरे चुनाव में राहुल गांधी ने आरक्षण को मुद्दा बनाया। हर चुनावी रैली में संविधान की कॉपी लेकर भाषण दिया। यहां तक की वो सांसद के तौर पर शपथ लेने गए तो उस वक्त भी उनके हाथों में संविधान की कॉपी नजर आई। मानो राहुल जाति कार्ड के जरिए मंडल युग के दौर के सहारे बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बहुमत से कम पर रोकने के बाद राज्य दर राज्य किनारे लगाते चले जाएंगे। राहुल ने इसकी कोशिश भी की। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान इतना बड़ा झटका झेलने वाली बीजेपी इस बार पूरी तरह से तैयार नजर आई। उसने मंडल की राजनीति के सामने कमंडल का ब्रहमास्त्र चल दिया, जिसकी काट जाति की राजनीति करने वाले मुलायम, मायावती, लालू, रामविलास तक नहीं निकाल पाए थे।

90 के दशक का मंडल-कमंडल का दौर

साल 1990 जिसे भारतीय सामाजिक इतिहास में ‘वाटरशेड मोमेंट’ कहा जा सकता है। अंग्रेज़ी के इस शब्द का मतलब है- वह क्षण जहां से कोई बड़ा परिवर्तन शुरू होता है। बोफोर्स घोटाले पर हंगामा और मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर सियासत। हाशिए पर पड़े देश के बहुसंख्यक तबके से इतर जातीय व्यवस्था में राजनीतिक चाशनी जब लपेटी गई तो हंगामा मच गया। समाज में लकीर खींची और जातीय राजनीति के धुरंधरों के पांव बारह हो गए। इन सब से दूर दिल्ली की राजनीति ये अच्छी तरह से जानती थी कि आरक्षण का तीर उनके लिए वोट बैंक का ब्रह्मास्त्र हो जाएगा।

क्योंकि मंडल कमीशन से उपजी आरक्षण नीति का सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत पर पड़ा। लालू, मुलायम, मायावती, पासवान जैसे नेता क्षेत्रीय क्षत्रप बनते चलते गए, वक्त के साथ लालू और मुलायम मजबूत होते गए और अपने-अपने राज्यों में ये नेता पिछड़ों की राजनीति से पलायन करते करते सिर्फ और सिर्फ अपनी जाति की राजनीति करने लगे।

लेकिन ठीक उसी वक्त मंडल की राजनीति के उभार और उसके ठीक समानांतर राम मंदिर आंदोलन ने पहली बार जाति-बिरादरी के मुद्दों को हिंदुत्‍व की बहस में जगह दिलवाने का काम किया। भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर अभियान को कमंडल की राजनीति कहा जाता है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर स्थल पर कारसेवा को लेकर हिंदू संगठनों और तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के बीच संघर्ष ने देश और प्रदेश की राजनीति को हिंदुत्व बनाम धर्मनिरपेक्षता में बांट दिया था।

इंदिरा-राजीव ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया

1951 और 2011 के बीच, जवाहरलाल नेहरू जैसे कांग्रेसी प्रधानमंत्री जाति जनगणना के खिलाफ थे, जबकि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। भारत में आखिरी बार जाति जनगणना अंग्रेजों द्वारा कराई गई थी। 2011 में भी, यह राजद जैसे कांग्रेस के सहयोगी ही थे जिन्होंने जाति जनगणना कराने के लिए यूपीए पर दबाव डाला, जिससे कांग्रेस की दशकों से ऐसा न करने की घोषित नीति की स्थिति पलट गई। 2011 में भी पी चिदंबरम, आनंद शर्मा और पवन कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने जाति जनगणना पर आपत्ति जताई थी और मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) इस पर कभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा।

मजबूती से अपने एजेंडे को लागू करेगी बीजेपी

2019 के चुनाव में हरियाणा में बीजेपी ने 10 की 10 सीटें अपने नाम की थी। वहीं 2024 में मुकाबला फिफ्टी-फिफ्टी का हो गया। इसी से कांग्रेस ने मान लिया कि अब तो बस हमारी ही सरकार बनने वाली है। हालांकि वो ये भूल गई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी हरियाणा की 90 में से 46 सीटों पर आगे थी।  हरियाणा में बीजेपी की जीत का देश की राजनीति और सियासत पर क्या असर होगा। ये सवाल अब सबसे अहम हो गया है, लेकिन हरियाणा की जीत ने बीजेपी और पीएम मोदी को एक नया आत्मविश्वास दिया है। इस नतीजे के बाद पीएम मोदी नीतिगत मामलों से जुड़े फैसलों की ओर आगे बढ़ेंगे। 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कई सारे मुद्दे पर यू-टर्न लेने के लिए मजबूर रही सरकार अब पूरी मजबूत से अपने एजेंडे को लागू करेगी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!