क्या रेलवे की लापरवाही जान पर भारी है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए लोग बरबस ही प्रयागराज के संगम तट की ओर खींचे चले आ रहे है।आए भी क्यों महाकुंभ जो लगा है जिसमें एक डुबकी लगाने से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जायेंगे। ये हम नहीं कह रहे बल्कि पौराणिक और लोक मान्यता है।इसी अटल विश्वास के कारण करोड़ों सनातनी हजारों कठिनाईयों व मुसीबतों के बावजूद भी संगम तट पर महाकुंभ मेले की ओर दौड़े चले आ रहे है।

कल का दिन सनातनियों के लिए बहुत भारी और हृदय विदारक था।नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ ने 18 श्रध्दालुओं की जान ले ली। इस दुखद और मर्माहत करने वाली घटना ने रेलवे व रेल प्रशासन के तमाम खोखले दावों की सच्चाई खोलकर सामने ला दी।रेल मंत्रालय और और माननीय रेल मंत्रीजी के झुठे सुरक्षा इंतजाम और यात्रियों के लिए चलायी जा रही महाकुंभ विशेष रेल गाड़ियों की हकीकत इस घटना ने बयान किया।बंद पड़े एक्सीलेटर,बार-बार प्लेटफार्म बदलने की घोषणा,कमाई के चक्कर में आवश्यकता से ज्यादा टिकट काटना,प्लेटफार्म पर सुरक्षा कर्मियों ना होना,घटना के बाद भी घायलों को भगवान भरोसे छोड़ देना जैसे बुनियादी सवाल सरकार की झूठी इंतजामों की हकीकत बयां कर रही है।

हरेक घटना के बाद मुआवजे और उच्च स्तरीय जांच का मरहम लगाकर सरकार अपना पल्ला झाड़ लेती।मगर इन घटनाओं का वास्तविक गुनाहगार कौन होता है या इससे क्या सबक मिला और कितना उसके बाद सुधार हुआ।यह यक्ष- प्रश्न बना ही रह जाता है।दुसरे शब्दों में कहे तो सरकार मुआवजे और उच्च स्तरीय जांच का मरहम लगाकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर लेती है। क्या ऐसे मरहम से किसी के मरे/खोए हुए संगे-संबंधियों को लौटाया जा सकता है ?


उनकी खोई संपदा,परिजनों को फिर वापस दिलाया जा सकता है? अगर नहीं तो फिर इसके लिए किसी ना किसी को तो जिम्मेदारी लेनी चाहिए और जांच में दोषी पाये जाने वाले को कठोर सजा मिलनी चाहिए। रेल मंत्रालय को सार्वजनिक रूप से ऐसे पीड़ित परिवार जनों से माफी माँगनी चाहिए। मृतकों के परिजनों के पुनर्वास और जीविका के लिए भी सरकार को कदम उठाना चाहिए।

सरकारों को भी चाहिए कि ऐसे पवित्र आयोजनों के लिए पुख्ता इंतजाम करे।साथ ही लोगों का भी दायित्व है कि सरकार के द्वारा किए गए इंतजामों में सहयोग करे।ताकि इस तरह की अनहोनी से बचा जा सके। ईश्वर से प्रार्थना हैं कि सभी मृतकों को अपने श्रीचरणों में स्थान दे और उनके परिजनों को इस दारुण दुख से उबरने की शक्ति दें।

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