क्या एमपॉक्स वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्र सरकार ने संक्रामक बीमारी एमपॉक्स (Monkeypox) को लेकर भारत की तैयारी की समीक्षा की है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भारत में फिलहाल इसका एक भी केस सामने नहीं आया है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने एमपॉक्स को लेकर सरकार की तैयारी और इसकी पहचान के लिए निगरानी तंत्र की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार इसके हालात पर नजर रख रहे हैं।
अफ्रीका में फैला मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स यानी एमपॉक्स संक्रामक बीमारी को पिछले ही हफ्ते डब्ल्यूएचओ ने अंतरराष्ट्रीय चिंता की जनस्वास्थ्य आपात स्थिति (पीएचईआइसी) घोषित किया है। यह जानलेवा बीमारी अफ्रीका के कई हिस्सों समेत देश के अलग-अलग भागों में फैली हुई है। प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने रविवार को बताया कि भारत में फिलहाल एमपॉक्स का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है।
बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम
देश में एमपॉक्स की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार नजर बनाए हुए हैं। बैठक में मौजूदा आकलन के बाद कहा गया कि बड़े पैमाने पर देश में इस बीमारी के फैलने का खतरा बहुत कम है। मिश्रा ने बताया कि संक्रमण को लेकर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। बीमारी की जल्द पहचान के लिए टेस्टिंग लैब के नेटवर्क को और चुस्त-दुरुस्त करने को कहा गया है। मौजूदा समय में इसके परीक्षण के लिए 32 लैब उपयुक्त हैं। इस बीमारी के संबंध में जागरूकता को बढ़ाने का अभियान छेड़ा गया है।
खुद ही खत्म हो जाते हैं लक्षण
बुखार और त्वचा पर काले रंग के छाले वाले इस रोग से विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में कुल 99,176 केस दर्ज हुए हैं जिसमें कुल 208 मौतें हुई हैं। इस बीमारी के लक्षण 2-4 हफ्ते में स्वत: ही खत्म हो जाते हैं।
ऐसे फैलती है यह बीमारी
प्राय: एमपॉक्स के मरीज थोड़ी सी चिकित्सकीय देखभाल से ही अपने आप ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी का संक्रमण लंबे समय तक किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से होता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी बयान के अनुसार एमपॉक्स से व्यक्ति मरीज से यौन संबंध, मरीज के रक्त या पस के संपर्क में आने या संक्रमित कपड़े पहनने से हो सकता है।
अफ्रीका में मंकीपॉक्स फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले सप्ताह मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया। यह जानलेवा बीमारी पूरे देश और अफ्रीका के कई क्षेत्रों में फैली हुई है। रविवार को प्रमुख सचिव पीके मिश्रा ने कहा कि भारत में इस समय मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। व्यापक प्रसार का जोखिम कम है।
देश में मंकीपॉक्स की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार नजर रख रहे हैं। बैठक के मौजूदा आकलन से संकेत मिलता है कि देश में व्यापक बीमारी फैलने की बहुत कम संभावना है। मिश्रा ने कहा कि संक्रमण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। अनुरोध किया गया है कि रोग की शीघ्र पहचान के लिए जांच लैब नेटवर्क को और प्रभावी बनाया जाए। फिलहाल 32 लैब में इसकी जांच हो सकती है। इस रोग के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाया गया है। इसके लक्षण अपने आप गायब हो जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक त्वचा पर काले छाले के साथ बुखार पैदा करने वाली इस बीमारी से दुनिया भर में अब तक कुल 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। दो से चार सप्ताह के भीतर रोग के लक्षण अपने आप गायब हो जाते हैं। इस तरह यह बीमारी फैलती है।
ऐम्पॉक्स के मरीज आमतौर पर न्यूनतम चिकित्सकीय देखभाल के साथ अपने आप ठीक हो जाते हैं। संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से यह बीमारी फैलती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि मरीज के साथ यौन संबंध बनाना, मरीज के खून या मवाद को छूना या संक्रमित कपड़े पहनना ऐम्पॉक्स के संक्रमण के सभी तरीके हैं।
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