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क्या यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है? - श्रीनारद मीडिया
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क्या यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है?

क्या यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है?

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priyranjan singh
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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।

वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी… राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी… यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा…

आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं। भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण! धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।

कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। मैं अपनी कहूँ तो चमत्कारों पर मेरा अविश्वास नहीं। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है मेरी…धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं…


कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। मैं जानता हूँ, उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा… धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।

मैं स्पष्ट मानता हूँ कि यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा… हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा।

बिहार में ज्यादातर बौध मत एवं सनातन धर्म के बीच शास्त्रार्थ हीं चलता रहा। इसीलिए बिहार के धर्मस्थलों के व्यापक प्रचार-प्रसार पर विद्वानों का कम हीं ध्यान गया। वैसे…सोनपुर का हरिहरनाथ भारत का ऐतिहासिक मंदिर एवं विशिष्ट धार्मिक महत्व वाला क्षेत्र है। हरिहरनाथ शैव एवं वैष्णव का पंचायतस्थल है। गया का विष्णुपाद मंदिर बिहार की अद्वितीय ऐतिहासिक-पौराणिक विरासत है।
पटना के हनुमान मंदिर तो आधुनिक बिहार की पहचान बन चुका हैं।

हनुमान जी के परम भक्त आचार्य किशोर कुणाल के कुशल देखरेख में एक महावीर मंदिर से पटना में कई बड़े-बड़े हॉस्पिटल एवं शिक्षण संस्थान चल रहे हैं। एक बेहद कर्तव्यनिष्ठ एवं निष्ठावान पुलिस अधिकारी रहे आचार्य किशोर कुणाल वर्तमान भारत के धर्मध्वज रक्षक हैं। सनातन धर्मस्थलों से कितनी बड़ी मानव सेवा की जा सकती है, पटना के महावीर जी इसके साक्षात उदाहरण हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी दलित समाज से हैं।

सनातन धर्म का सैलाब जब उमड़ता है …तो जाति, पंथ, रंग का भेद …सब मिट जाता है। जातीय राजनीति के पालकों द्वारा बिहार की नकारात्मक छवि जातीय हिंसा के रूप में दिखाने की कोशिश के बावजूद… छठ पूजा, कांवर यात्रा, रामनवमी में तो बिहार अपनी जातीय पहचान से परे भक्ति की गंगा में एक साथ स्नान कर रहा होता है।

…..आज बिहार हनुमान भक्ति में डूबा हुआ है। बालाजी बागेश्वर धाम सरकार बिहार में विराज रहे हैं। बड़ा हीं शुभ संयोग है। इस जला देने वाली गर्मी में भी… लगभग पांच लाख बिहारी भक्तगण …संयम और अनुशासन के साथ….हनुमत कथा का श्रवण बड़े आनंद से कर रहे है।

मानो, नौबतपुर में सूर्य भी हनुमान जी से डरकर अपनी गर्मी समेट लिए हों। लाखों भक्तों ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के कई द्वार खोल दिए हैं। यहां सभी जाति, पंथ के लोग बिना भेद-भाव के कुछ न कुछ कमा रहे हैं। आर्थिक लाभ के साथ सामाजिक राष्ट्रीय एकीकरण सनातन धर्मोत्सव का विशिष्ट गुण है। बिहार …मां जानकी की मातृभूमि है, विद्यापति का गायन है, आर्यभट्ट का अन्वेषण केन्द्र है, शंकराचार्य का दर्शन है, चाणक्य की राष्ट्रनीति है..मोहनदास करमचंद गांधी की प्रयोगशाला है…देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की विद्वता है…और अब बाबा बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का एक नए युग के लिए शंखनाद है। बिहार एक नए युग के उदय काल में है। बाला जी की कृपा बिहारवासियों पर बनी रहे! बाबा का प्रण पूर्ण हो!

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