Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
इजरायल ने दी दुनिया की महाशिक्तियों को चेतावनी,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

इजरायल ने दी दुनिया की महाशिक्तियों को चेतावनी,क्यों?

इजरायल ने दी दुनिया की महाशिक्तियों को चेतावनी,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

भारत के लिए क्‍यों जरूरी है तेहरान से दोस्‍ती?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

इजरायल ने ईरान के नए राष्‍ट्रपति के तौर पर चुने गए कट्टरपंथी इब्रिाहिम रईसी के साथ दुनिया की महाशक्तियों को न्‍यूक्यिलर डील के बाबत कोई बात नहीं करनी चाहिए। उन्‍होंने रईसी की भावी सरकार को एक नृशंस जल्‍लाद का शासन करार दिया है। आपको बता दें कि रईसी पर मानवाधिकार उल्‍लंघन के मामलों के चलते अमेरिका प्रतिबंध लगाया हुआ है। ईरान के राष्‍ट्रपति चुनाव में रईसी की एक तरफा जीत हुई है। उनके तहत जनता ने इस चुनाव में कट्टरता राजनीतिक प्रतिबंधों को बढ़ावा दिया है।

इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने पिछले सप्‍ताह नई देश में नई सरकार बनाने के बाद टीवी पर अपने पहले कैबिनेट सत्र में कहा कि उनकी निगाह में दुनिया की महाशक्तियों के सामने परमाणु डील पर वापस लौटने से पहले अंतिम विकल्‍प बचा है कि वो नींद से जाग जाएं। वो इस बात को भी अच्‍छी तरह से जान लें कि आखिर वो किससे इस मुद्दे पर बात करने वाली है। उन्‍होंने अपने इस बयान को हिब्रू और फिर इंग्लिश में पढ़ा।

उन्‍होंने कहा कि एक नृशंस जल्‍लाद को इस बता के लिए किसी भी सूरत से इजाजत नहीं दी जानी चाहिए कि वो खतरनाक परमाणु हथियार रख सके। इस संबंध में इजरायल की स्थिति नहीं बदलने वाली है। आपको बता दें कि रईसी ने कभी भी सार्वजनकि तौर पर वाशिंगटन और मानवाधिकार कार्य‍कर्ताओं द्वारा 1988 में हजारों राजनीतिक लोगों की एक्‍सट्रा ज्‍यूडिशियल कीलिंग के आरोपों पर कभी कुछ नहीं कहा है।

ईरान से परमाणु डील के मसले पर अमेरिका की स्थिति बेहद साफ है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति पहले से ही इस बात को कहते रहे हैं कि ईरान को इस डील पर वापस आना चाहिए और बातचीत का दरवाजा खोलना चाहिए। वहीं ईरान लगातार कह रहा है कि वो चाहता है कि उसके ऊपर लगे सभी प्रतिबंधों को हटाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति इब्राहिम रईसी को बधाई दी है। उन्‍होंने कहा कि वह भारत और ईरान के बीच मधुर संबंधों को और मजबूत करने के लिए उनके साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं। उन्‍होंने कहा कि ‘मैं भारत और ईरान के बीच मधुर संबंधों को और मजबूत करने के लिए उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।’

ईरान में सत्‍ता में बदलाव के साथ यह प्रश्‍न खड़ा हो गया है कि नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति से भारत के किस तरह के संबंध होंगे। यह तय है कि दोनों देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक है। सत्‍ता में बदलाव के चलते दोनों देशों के हितों पर ज्‍यादा असर पड़ने वाला नहीं है। एक सवाल और कि आखिर भारत और ईरान एक दूसरे के लिए क्‍यों उपयोगी हैं। अब तक दोनों देशों के बीच किस तरह का संबंध है। भारत के लिए ईरान का क्‍या महत्‍व है।

भारत-ईरान संबंध: उम्‍मीद की किरणें

  • आतंकवाद को लेकर दोनों देश अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे समूहों का एक प्रबल विरोध करते हैं। ISIS का मजबूत होना ईरान के साथ साथ और भारत के लिए लिए खतरा है। इसलिए आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी लड़ाई में ईरान और भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार हो सकते है।
  • दोनों देशों के बीच चाबहार परियोजना काफी प्रमुख है। भारत द्वारा ईरान के चाबहार का विकास भारत को दोहरा लाभ प्रदान करेगा। एकतरफ जहाँ यह अफगानिस्तान मध्य एशिया ,तथा यूरोप पहुंचने का मार्ग प्रसस्त करेगा वहीँ दूसरी तरफ यह हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकेगा।
  • आईएनएसटीसी परियोजना भी दोनों देशों के बीच काफी अहम है। भारत ईरान तथा रूस के मध्य इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रेड कॉरिडोर के निर्माण हेतु समझौता हुआ है। यह दोनों देशो की पहुंच यूरोप तथा एशिया के बड़े बाजारों तक करेगा।
  • दोनों देशों के बीच विचारधाराओं में भी काफी समानता है। भारत लोकतंत्र तथा शांति का समर्थक है वहीं चीन की साम्राज्यवादी नीतियों से पूरा विश्व परिचित है। यह आयाम भी भारत को मजबूती प्रदान करते हैं।
  • गैस पाइप लाइन्स: नई दिल्‍ली और तेहरान के बीच गैस पाइप लाइन ( ईरान, पाकिस्तान, इंडिया ) बिछाने का प्रस्ताव है। भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से यह करार काफी अहम है।
  • दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान भी एक बड़ाफैक्टर है। अमेरिका द्वारा तालिबान से बात करने का प्रस्ताव भारत तथा ईरान दोनों की विदेशनीति का हिस्सा नहीं है।
  • शंघाई सहयोग संगठन के जरिए भी दोनों देश के दूसरे के सहयोगी हैं। शंघाई सहयोग संगठन में भारत सदस्य राष्ट्र तथा ईरान पर्यवेक्षक राज्य है। ऐसे में यह संगठन दोनों को एक मंच प्रदान करता है।
  • सांस्कृतिक सहयोग : दुनिया में ईरान के भारत में शियाओं की दूसरी सबसे बड़ी आबादी निवास करती है। शिया समुदाय भारत और ईरान के राजनितिक, धर्म-संस्कृतिक इत्यादि क्षेत्र में प्रमुख भमिका निभाते है है।

ऊर्जा सुरक्षा ईरान बड़ा सहयोगी

भारत की बड़ी जनसंख्या की आवश्यकता देखते हुए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है। ईरान ऊर्जा का विशाल भण्डार है आज भी यह भारत को तेल निर्यात करने वाले देशो में इराक तथा सऊदी अरब के बाद तीसरे स्थान पर है। ईरान द्वारा भारत को लगभग 458000 बीपीडी तेल दिया जाता है, तथा भारत ईरान के मध्य गैस पाइप लाइन बिछाने का भी समझौता है।

भारत और ईरान के बीच तालिबान एक बड़ा फैक्‍टर

अफगानिस्तान की तालिबानी सत्ता भारत तथा ईरान दोनों की विरुद्ध है। भारत लोकतांत्रिक अफगानी सरकार का समर्थक है, वहीं ईरान का मत है कि तालिबान सुन्नी कट्टरपंथ को बढ़ावा देगा। परन्तु 2001 में तालिबानी शासन समाप्त होने पर दोनों ही देशो ने अफगानिस्तान के विकास में रूचि दिखाई। भारतीय सामानों को अफगानिस्तान पहुंचने से रोकने के पाकिस्तान निर्णय के बाद ईरान ने भारत की अफगानिस्तान पहुंच हेतु पारगमन मार्ग उपलब्ध कराया। इस हेतु ईरान के चाबहार से देलाराम जेरंग ( अफगानिस्तान ) तक मार्ग का निर्माण किया गया। इसी सापेक्ष भारत ने ईरान के चबाहर बंदरगाह को विकसित करने हेतु 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया तथा इसका विकास अब भारत द्वारा पूर्ण किया जा चुका है।

ये भी पढ़े……

Leave a Reply

error: Content is protected !!