सही समय पर देंगे जवाब- इजरायल
भारत ने जताई चिंता
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ईरान के इजरायल पर हमले के बाद दोनों देशों में विवाद बढ़ गया है। दोनों देशों के नेताओं के बयानों से युद्ध के भी कयास लगने लगे हैं। इजरायल भी अब एक्शन मोड में आ गया है और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के हमले का बदला लेने की कसम खाई है। इजरायल ने कहा कि वो जवाबी कार्रवाई करने और ईरान से कीमत वसूलने के लिए उचित समय और तरीका चुनेगा।
दोनों देशों में विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है
- ईरान के हमले के बाद इजरायल भी इसका बदला लेने की फिराक में है और उसने सही समय पर जवाब देने की बात कही है।
- बीते दिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पांच सदस्यीय युद्ध कैबिनेट ने एक आपात बैठक की। इसमें सभी नेताओं ने जवाबी कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन पैनल हमले के समय और तरीके पर विभाजित दिखा।
- अमेरिका भी इस संकट को लेकर अलर्ट मोड पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने नेतन्याहू से बात कर कोई भी कदम सावधानीपूर्वक और रणनीतिक रूप से उठाने का आग्रह किया है। इसके बाद युद्ध कैबिनेट ने अपनी चर्चाओं को रोक दिया, लेकिन जल्द ही फिर से बैठक होने की उम्मीद है।
- संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत ने कहा कि इजरायल पर हमला उसकी हरकत का ही जवाब था और उसने आत्मरक्षा के अधिकार का ही प्रयोग किया है। ईरान ने कहा कि इजराइल पर हमला, दमिश्क में उसके वाणिज्य राजदूतों पर किए हमले का जवाब था।
- दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने सुरक्षा परिषद से ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की।
- उधर, ईरान ने अमेरिका को भी चेताया है कि वो इस विवाद से दूर रहे नहीं तो अंजाम सही नहीं होगा।
- एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायली प्रधानमंत्री से कहा है कि वो ईरान पर किसी भी प्रतिशोध के लिए सैन्य समर्थन की पेशकश नहीं करेंगे। बाइडन ने कहा कि वो दोनों देशों में युद्ध नहीं चाहते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का भी इस विवाद पर बयान आया है। गुटेरेस ने अपने सदस्यों से ईरान के खिलाफ प्रतिशोध के साथ तनाव को और न बढ़ाने का आह्वान किया।
- दोनों देशों के बीच तनाव पर भारत का भी बयान आया है। भारत ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ते तनाव को “बातचीत और कूटनीति” के जरिए हल किया जाना चाहिए। हम तत्काल तनाव कम करने, संयम बरतने, हिंसा से पीछे हटने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान करते हैं।
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अपने ईरानी और इजरायली समकक्षों से फोन पर बात की। उन्होंने दोनों देशों को एशिया की स्थिति पर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और तनाव से बचने पर जोर दिया।
एक अप्रैल के हमले के जवाब में किया अटैक
ईरान ने इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं जिसे तेहरान ने सीरिया में ईरान के दूतावास पर एक अप्रैल को किए उसके हमले की प्रतिक्रिया बताया है। ईरान के लगभग सभी ड्रोन और मिसाइलों को इजराइली, अमेरिकी और सहयोगी सेनाओं ने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले हवा में ही मार गिराया।
एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि शनिवार और रविवार सुबह अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने 80 ड्रोन और कम से कम छह बैलिस्टिक मिसाइलें मार गिरायीं जो ईरान तथा यमन की ओर से इजराइल की ओर छोड़ी गयी थीं।
इजराइल की रक्षा में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध
इसमें कहा गया है, ‘‘ईरान का निरंतर अभूतपूर्व, दुर्भावनापूर्ण और लापरवाह बर्ताव क्षेत्रीय स्थिरता और अमेरिका एवं उसके गठबंधन बलों की सुरक्षा को खतरे में डालता है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ईरान के इन खतरनाक कृत्यों के खिलाफ इजराइल की रक्षा में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।’’
जी-7 देशों के नेताओं ने क्या कहा?
जी-7 देशों के नेताओं ने इजराइल के खिलाफ ईरान के सीधे और अप्रत्याशित हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए रविवार को कहा कि इस घटनाक्रम के कारण क्षेत्र में अनियंत्रित तनाव बढ़ने का खतरा है। इजराइल ने इस हमले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का ‘‘स्पष्ट उल्लंघन’’ बताया और ईरान पर क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।वहीं, ईरान ने कहा कि उसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए यह अभियान शुरू किया।
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