जल संरक्षण में पर्याप्त मात्रा में इस्तेमाल करना ही मददगार सिद्ध होता है : भारती यादव
श्रीनारद मीडिया, मनोज तिवारी, जलालपुर, छपरा, (बिहार ):
साल 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में पर्यावरण और विकास मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक सम्मेलन आयोजित किया गया था और उसी दौरान विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। इसके बाद साल 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था, जिसके बाद से हर साल 22 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है। हर साल विश्व जल दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है। इस साल की थीम ‘वैल्यूइंग वॉटर’ है। इसका लक्ष्य लोगों को पानी के महत्व को समझाना है।
इसी संबंध में गांधी चौक मुहल्ले की निवासी भारती एवम सुमन के द्वारा एक प्रयास किया गया जिसमे मुहल्ले के लोगों को जल के महत्त्व को बताया गया एवं जल संरक्षण के तरीकों को भी बताया गया। भारती ने बताया कि धरती के करीब तीन चौथाई हिस्से पर सिर्फ पानी ही पानी है, जो महासागरों, नदियों, झीलों और झरनों के रूप में है। हालांकि इसमें से केवल एक फीसदी या इससे भी कम पानी ही पीने के लिए उपयुक्त है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि हम पानी की बचत करें, ताकि भविष्य में पानी का संकट पैदा न हो, क्योंकि ‘जल ही जीवन है’ और जल के बिना जीवन जीवित ही नहीं रहेगा।
वही सुमन ने कहा कि वर्षा जल संग्रहण कर जल संरक्षण में हमलोग अपना योगदान दे सकते हैं।
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