नवविवाहितों में परिवार नियोजन की जानकारी होना जरूरी
परिवार नियोजन जागरूकता लाने के लिए चलाया जा रहा युवा कार्यक्रम
युवा कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों का किया गया है उन्मुखीकरण
समय से पूर्व शादी और संतोनपत्ति से बढ़ता है सामाजिक आर्थिक बोझ
परिवार नियोजन संबंधी झिझक को दूर करने की है जरूरत
श्रीनारद मीडिया‚ गया‚ (बिहार):
शादी की सही उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष तथा लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. लेकिन
राज्य में बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है.समय से पूर्व विवाह महिला के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. वहीं कम उम्र में शादी और परिवार नियोजन के बारे भी जानकारी नहीं होने से परिवार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है. जरूरत इस बात की है कि समाज में परिवार नियोजन से संबंधित झिझक को दूर किया जाये.
यह बातें प्रभारी सिविल सर्जन डॉ फिरोज अहमद ने शनिवार को बोधगया के एक निजी होटल में नवदंपतियों में परिवार नियोजन को लेकर आयोजित युवा कार्यक्रम उन्मुखीकरण के दौरान कही. उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन को लेकर युवाओं को जागरूक होने की बहुत जरूरत है. विशेषकर नवदंपतियों को संतानोपत्ति और परिवार नियोजन के विषय पर चर्चा करने में झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए. संतानोपत्ति को लेकर नवदंपति को आपस में सलाह जरूर करनी चाहिए. उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि विवाह के दो साल के बाद पहली संतान तथा दो संतानों के बीच तीन साल का अंतर हो. उन्होंने परिवार के सदस्यों को नवदंपतियों पर संतानोपत्ति के लिए दबाव नहीं डालने और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक होने की भी सलाह भी दी.
इस कार्यक्रम के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक, डीसीएम विनय कुमार, जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी अखिलेश कुमार सहित सभी प्रखंडों के बीएसएम और बीएचएम तथा पाथ फांइडर इंटरनेशनल के राज्य एडवोकेसी प्रंबधक डॉ राकेश झा, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक ममता बेहेरा तथा राज्य कार्यक्रम समन्वयक ज्योति कुमारी भी मौजूद रहीं.
प्रसव पूर्व जांच से ही प्रारंभ करें परिवार नियोजन काउंसलिंग:
कार्यक्रम के दौरान डॉ एमई हक ने कहा कि देश की एक बड़ी समस्या जनसंख्या विस्फोट है. उन्होंने कहा कि प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधक तथा सामुदायिक उत्प्रेरक यह सुनिश्चित करें कि परिवार नियोजन की जानकारी गर्भवती को उसके पहले प्रसव पूर्व जांच से ही मिलनी शुरू हो जाये. आशा के माध्यम से होने वाली प्रसव पूर्व जांच के साथ ही परिवार नियोजन संबंधी काउंसलिंग का महत्वपूर्ण प्रभाव दंपति पर पड़ता है. इस दौरान उन्होंने पाथफाइंडर इंटरनेशनल के प्रचार प्रोजेक्ट पर अपना पुराना अनुभव भी साझा किया.
बिहार में 40 प्रतिशत शादी 18 वर्ष से पूर्व:
पाथ फांइडर इंटरनेशनल के स्टेट एडवोकेसी मैनेजर डॉ रोकश झा ने बताया कि बिहार में 40 प्रतिशत शादी 18 वर्ष से पूर्व हो जाती है. राज्य की प्रजनन दर 3 है. उन्होंने बताया कि राज्य में 2030 तक प्रजनन दर को 2.1 तक लाने की पूरी कोशिश की जा रही है. नये दपंति को परिवार नियोजन की पूरी जानकारी नहीं होती है. ऐसे में युवा कार्यक्रम की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है. कहा कि परिवार नियोजन संबंधी झिझक को दूर करने की जरूरत है.
24 प्रखंडों में युवा कार्यक्रम के तहत 44 युवाकार:
राज्य सरकार के सहयोग से बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का वित्तीय सहयोग प्राप्त कर पाथ फाइंडर इंटरनेशनल द्वारा जिला के 24 प्रखंडों में युवा कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत नवदंपतियों को गुणवत्तापूर्ण परिवार नियोजन के तरीकों पर परामर्श दिया जाता है. साथ ही एम परी नामक परिवार नियोजन एप की जानकारी दी जाती है जिसका इस्तेमाल वे अपनी सुविधानुसार परिवार नियोजन संबंधी जानकारी व साधनों को प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं. इस कार्यक्रम के तहत विशेष रूप से 15 से 24 वर्ष के नवविवाहित दंपति को केंद्रित कर काम किया जा रहा है. इसके साथ ही युवाकार के रूप में युवा दंपतियों का चयन किया जाता है जो अपने क्षेत्र में अन्य नवदंपतियों से मुलाकात कर गर्भनिरोध के साधनों पर परामर्श देने व साधनों को उपलब्ध कराने में उनकी मदद करते हैं तथा परिवार नियोजन संंबंधित व्यवहार में बदलाव लाने के लिए प्रयास करते हैं. जिला के 24 प्रखंडों में 44 युवाकार दंपति कार्यक्रम के तहत काम कर रह हैं.
इस कार्यक्रम के दौरान पाथ फाइंडर इंटरनेशनल संस्था से मोहम्मद मुद्दसर, राजेश कुमार, सौम्या व अन्य लोग मौजूद रहे.
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