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ममता बनर्जी का इस झटके से उबर पाना आसान नहीं

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति घोटाले में ईडी के हाथों गिरफ्तार राज्य के उद्योग व संसदीय कार्य मंत्री तथा तृणमूल के प्रदेश महासचिव पार्थ चटर्जी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी तथा दशकों पुराने भरोसेमंद साथियों में से एक माने जाते हैं। यही कारण है कि कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ सीबीआइ जांच का आदेश देने के बाद विधानसभा में खड़े होकर ममता ने पार्थ का जोरदार शब्दों में बचाव किया था। परंतु उनका बचाव काम नहीं आया और शनिवार को करोड़ों रुपये की बरामदगी के साथ ही मंत्री की गिरफ्तारी हो गई। ईडी की इस कार्रवाई के बाद ममता सीधे विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं और सवाल उठ रहा है कि वह अपने मंत्री का बचाव क्यों कर रही थीं?

अपने मंत्री के बचाव में खुलकर उतरी थीं?: 21 जून को ममता ने विधानसभा में उद्योग मंत्री का बचाव करते हुए कहा था, ‘एक लाख नियुक्तियां करने पर 50 मामलों में गलतियां हो सकती हैं, जिसे सुधारा जा सकता है। काम करने से ही गलतियां होती हैं। उन्हें सुधारने के लिए समय देना होगा। अगर कोई भूल नहीं सुधार पाता है, तब दोषी को जेल भेजिए।’ यानी मुख्यमंत्री भी यह मान रही हैं कि नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है। तो क्या इसीलिए वह अपने मंत्री के बचाव में खुलकर उतरी थीं?

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मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के कोलकाता स्थित फ्लैट से बरामद रुपये।

तृणमूल के लिए गले की फांस बन गया: यहां प्रश्न यह है कि ममता ने भ्रष्टाचार को भूल क्यों कहा, जबकि इसी घोटाले में पार्थ के साथ-साथ बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी भी फंसे हुए हैं। ईडी की कार्रवाई से पहले ही दोनों से हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने पूछताछ की थी। ममता सरकार ने सीबीआइ जांच रोकने के लिए पूरी ताकत दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक मंत्री की गिरफ्तारी के बाद अब यह मामला ममता सरकार और तृणमूल के लिए गले की फांस बन गया है।

14 जगहों पर छापामारी की: नियुक्ति में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों द्वारा दायर जनहित याचिका के आधार पर हाई कोर्ट ने जांच सीबीआइ को सौंपी थी। यही नहीं, हाई कोर्ट ने शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी की स्कूल शिक्षिका के तौर पर नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसे बर्खास्त कर दिया और उनसे 41 माह का वेतन वसूलने का आदेश भी दिया। यह सब जानते हुए भी सीएम द्वारा इसे भूल बताने की कोशिश की गई।

इसके बाद जब ईडी ने शुक्रवार को पहली बार दोनों मंत्रियों के आवास समेत 14 जगहों पर छापामारी की तो उसमें जो बरामदगी हुई, वह चौंकाने वाली है। दरअसल बंगाल में यह पहला मामला है, जब किसी मंत्री के करीबी के पास से करोड़ों रुपये मिले हैं और यही पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी का कारण बना। मंत्री की जिस करीबी के फ्लैट से 21.2 करोड़ रुपये, कई करोड़ रुपये मूल्य के प्रोपर्टी के दस्तावेज, 79 लाख के गहने और 54 लाख विदेशी मुद्रा बरामद हुई, तो उसकी मालकिन अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

तृणमूल पूरी तरह से बैकफुट पर: इस गिरफ्तारी के करीब साढ़े आठ घंटे बाद तृणमूल की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई। तीन मंत्रियों व प्रवक्ता ने एक साथ संवाददाता सम्मेलन किया, जिसमें रुपये की बरामदगी व अर्पिता से पार्टी का कोई भी संबंध होने से इन्कार किया गया। इतना ही नहीं, ईडी व सीबीआइ की कार्रवाई को लेकर भाजपा को कोसने और उस पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप भी मढ़ दिया।

इन नेताओं की बातों से साफ है कि 21 करोड़ से अधिक रुपये मिलने से ममता सरकार और तृणमूल पूरी तरह से बैकफुट पर है, इसीलिए न तो खुलकर केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का विरोध कर पा रही है और न ही अपने नेता के समर्थन में उतर पा रही है। इससे पहले ममता नारद कांड में गिरफ्तार किए गए फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और सारधा कांड में गिरफ्तार किए गए मदन मित्र के समर्थन में उतरी थीं। इतना ही नहीं, कोलकाता के पुलिस आयुक्त रहे राजीव कुमार पर सीबीआइ ने जब शिकंजा कसा था तो वे धरने पर बैठ गई थीं।

ममता के सामने इससे पहले ऐसी स्थिति कभी उत्पन्न नहीं हुई थी। नारद स्टिंग कांड में भी तृणमूल के एक दर्जन से अधिक नेता, मंत्री, सांसद और विधायक लाखों रुपये लेते हुए कैमरे में कैद हुए थे। उस मामले को सारधा-रोजवैली कांड की तरह ङोल लिया था, लेकिन इस मामले को ङोल पाना सहज नहीं दिख रहा है, क्योंकि लोगों ने बड़ी संख्या में पांच सौ और दो हजार रुपये के नोटों को बिखरे हुए देखा है, इसलिए इस डैमेज को कंट्रोल कर पाना आसान नहीं दिख रहा है।

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