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पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं है- केंद्र सरकार - श्रीनारद मीडिया

पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं है- केंद्र सरकार

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श्रीनारद  मीडिया सेंट्रल डेस्क

विवादों में घिरी नीट यूजी परीक्षा मामले में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि नीट यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत कदम नहीं होगा। इससे लाखों ईमानदार छात्र गंभीर खतरे में आ जाएंगे। छात्रों, उनके अभिभावकों और कोचिंग संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। अपने हलफनामे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने सीबीआई से कथित अनियमितताओं के पूरे मामले की व्यापक जांच करने को कहा है।

परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं

हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा कि अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। केंद्र ने कहा कि परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से लाखों ईमानदार छात्र गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे।सुप्रीम कोर्ट अब 8 जुलाई को विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इसमें 5 मई को आयोजित परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। इन याचिकाओं में परीक्षा को नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

केंद्र ने नीट-यूजी (NEET-UG) विवाद पर अपना रुख दोहराया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसका इरादा परीक्षा रद्द करके दोबारा परीक्षा कराने का नहीं है. साथ ही उसने इस बात पर भी जोर दिया है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर कोई अनियमितता नहीं हुई है. इस परीक्षा में 24 लाख छात्र शामिल हुए थे.

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए केंद्र ने कहा कि 2024 की परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से उन लाखों ईमानदार उम्मीदवारों का भविष्य गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया था. केंद्र ने तर्क दिया है कि परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के बिना यह कदम उठाना तर्कसंगत नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.

सरकार ने कहा कि सीबीआई को आरोपों की गहन जांच करने के लिए कहा गया है और वह सभी परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हलफनामे में कहा गया है, “यूनियन ऑफ इंडिया इस बात को पूरी तरह समझता है कि किसी भी परीक्षा में प्रश्नपत्रों की गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता है. यदि किसी आपराधिक तत्व के इशारे पर किसी आपराधिक कृत्य के कारण गोपनीयता भंग हुई है, तो भारत संघ का कहना है कि उक्त व्यक्ति के साथ पूरी कानूनी ताकत के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसे दंडित किया जाए.”

केंद्र सरकार का हलफनामा ऐसे समय में आया है जब उसे न केवल NEET-UG परीक्षा में बल्कि UGC-NET में भी अनियमितताओं के कारण विरोध का सामना करना पड़ रहा है. यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द कर दी गई थी. उसे NEET-PG और CSIR UGC NET परीक्षाएं भी स्थगित करनी पड़ीं.

गड़बड़ियों के कारण परीक्षाओं का आयोजन करने वाली 2017 में गठित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर बड़े सवाल उठे. छात्रों के साथ-साथ विपक्ष की ओर से भी आलोचना झेलने के बाद सरकार ने NTA के प्रमुख को बदल दिया और अनियमितताओं की जांच CBI को सौंप दी. केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन छात्रों के साथ-साथ विपक्षी दलों की ओर से अभी भी सवाल पूछे जा रहे हैं.

एनटीए को बेहतर बनाने के लिए उठाया यह कदम

केंद्र सरकार ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय की तरफ से पूर्व इसरो चेयरमैन डॉक्टर के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है, जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को बेहतर बनाने के अलावा परीक्षाओं को सही तरीके से कराने के लिए सुझाव देगी। यह कमेटी अगले दो महीने में शिक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

नीट पेपर लीक मामले की जांच कर रही है सीबीआई

शिक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि केंद्र सरकार ने नीट पेपर लीक मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी सीबीआई को सौंप दी है, जिसने इस मामले में एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। 4 जून को नीट यूजी परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद परिणामों पर सवाल उठने लगे थे। सीबीआई के पास मामला आने के बाद 23 जून को IPC की धारा 420, 419, 409, 406, 201, 120B और पीसी एक्ट की धारा -13(2), 13(1) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

क्या था विवाद का कारण?

नीट यूजी परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद सामने आया कि इस परीक्षा में एक साथ 67 छात्रों ने टॉप किया है, जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को 100 में से 100 अंक प्रदान किए गए थे। इन सभी 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक दिए गए थे, जिसके बाद बड़ी संख्या में छात्रों ने इस रिजल्ट का विरोध करते हुए धांधली की आशंका जताई थी। छात्रों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अब तक इस मामले को लेकर 24 से ज्यादा याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। अब 8 जुलाई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

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