प्रेम में विवाह हो यह एक बात है विवाह में प्रेम हो यह दूसरी बात है

प्रेम में विवाह हो यह एक बात है विवाह में प्रेम हो यह दूसरी बात है

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया‚ आलेख – गुंजन,इस्लामपुर, नालंदा (बिहार)

प्रेम में विवाह हो यह एक बात है विवाह में प्रेम हो यह दूसरी बात है। यह सच है प्रेम में विवाह असफल और विवाह में प्रेम सफल होता है। कभी-कभी लोग शर्तों पर उपजी पसन्द को भी प्रेम समझ बैठते।

इसका एक बड़ा कारण यह है प्रेम स्वतंत्र है और विवाह बंधन है। स्वतंत्रता मे अगर बंधन मिल जाए तो सारा मामला बिगड़ ही जाएगा। स्वतंत्रता किसी भी प्रकार के बंधन को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। प्रेम तो वहीं खत्म हो जाता है जहां विवाह बंधन का विचार मात्र आ जाए।

अगर प्रेम को अरेंज मैरिज में बदला जाए तो बढ़िया चलता है, पर दोनो तरफ के घरवालों के विरोध के बावजूद शादी की जाए तो वो अक्सर बिखर जाता है। कारण की वैसे प्रेम विवाह में परिवार के प्रति, समाज के प्रति व पति पत्नी में मन व मानसिकता के प्रति कोई जवाबदेही नही होती, क्योंकि ये लोग विवाह अपने मन से किए होते हैं। इस कारण वहां किसी अन्य की किसी भी तरह से उपस्थिती नहीं होती है जिस कारण अलगाव की नौबत आती है।

जो खुद की जिम्मेदारी से शादी करते है उनमें अपनी गलती सुधारने की इच्छा ज्यादा हिलोरे मारती है। अरैंज मैरिज वाले सोचते है घर वालो ने इसे लादा है उन्हें ही भुगतने दो ।

एक तो भारत में प्रेम विवाह का प्रतिशत ही कम होता है, वहीं प्रेम विवाह में दोनो ही पक्ष के लोग पहले से ही अहंकार से भरे रहते हैं, कोई किसी प्रकार की जिम्मेदारी नही लेता है। अगर बाप बेटी को विदा करता है खुद की पसंद के साथ और कुछ गड़बड़ हो जाए तो साथ देता है, लेकिन कोई प्रेम विवाह में गड़बड़ी हो तो उसको गड़बड़ करने में कोई कसर नही छोड़ते हैं।

भारतीय समाज में प्रेम विवाह करने के बाद कोई समस्या होने पर समाज और घर के लोग साथ देने की बजाए विरोध ही करते हैं। यदि किसी को जैसे-तैसे प्रेम विवाह हो भी जाये तो शकुनि, मंथरा टाइप के लोग हर वक़्त उसमें दरार डालने में लगे रहते हैं। लभ मैरिज में ज्यादातर लोग इस मौके की तलाश में रहते है कि कैसे उनके बीच एक चिंगारी उठे कि उसमें पेट्रोल उड़ेल के विवाह को राख कर दें।

जब लोगों को प्रेम होता है तो मिलने के लिए दोनों फैशन, आचरण, एथिक्स और सुंदरता का आवरण ओढ़ के आते है। और प्रेम विवाह के बाद जब 24 घंटे साथ रहना होता है तो सारे आयाम और रहस्य छिलके दर छिलके उतर जाते है। दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत(अपनी प्रेमिका) को जब बिना मेकअप के सुबह उठने पे जब देखते हैं तो बैरागी महसूस करते हैं। तब बहुत मुश्किल हो जाता है प्रेम विवाह को निभाना।

जहाँ प्रेम विवाह में विवाह से पूर्व हवाई वायदे और नकली सपने होते हैं। फिर विवाह के बाद पता चलता है कि विवाह से पूर्व हर मुलाकात पर गुलाब देने वाला, गोभी भी भाव देखकर खरीद रहा है। हर मुलाकात पर इत्र से नहाई महबूबा के हाथों से आटे की गंध आने लगती है… वहीं अरेंज मैरिज में बनावटीपन कम होता है, लड़के की इनकम के साथ-साथ उनके पूरे खानदान की जमीन-जायदाद तक चेक कर ली जाती है। ऐसी ही जांच लड़की की भी होती है, इसलिए अरेंज विवाह यथार्थ के निकट होता है।

विवाह समाजिक है, प्रेम व्यक्तिगत! ये जरूरी भी नहीं कि हर प्रेम विवाह असफल ही हो जाए। प्रेम विवाह के असफलता के लिए भारत की समाजिक व्यवस्था भी जिम्मेवार है। जिसमें लड़कियों और लड़कों को आज़ाद नहीं रखा गया है, शादी के मामले में। असफलता के पीछे एक वजह ये भी है कि दोनों को प्रेम हुआ है या आकर्षण? अगर किसी व्यक्ति के रूप, गुणों आदि को देखकर किसी को मोहब्बत हुई है तो तो प्रेम नहीं वो आकर्षण है।

अगर किसी को किसी के दौलत की वजह से प्रेम हुआ है, तो हो सकता है दौलत खत्म होने के बाद उसका प्रेम भी खत्म हो जाए और किसी और दौलतमंद से प्रेम हो जाए। प्रेम में वजह नही होता है ये बेवजह ही किसी से हो जाता है। अगर वजह खोजा जाए तो फिर ये प्यार नहीं बल्कि व्यापार होगा। जहां नफा और नुकसान देखा जाता और जब तक फायदा हो तब तक व्यवसाय चलता है अन्यथा कोई अन्य ग्राहक को देखा जाता है।

इसलिए प्रेम विवाह सफल भारत में सफल नहीं हो पा रहा है…

लव मैरिज हो जाने पर प्रेम की पूर्णाहुति भी हो जाती है, असली मजा तो बिछड़कर जीने में है।

यह भी पढ़े

लता मंगेशकर को हुआ था प्यार,लेकिन नहीं हो पाई शादी,क्यों?

शचींद्रनाथ सान्याल की नजरें अंग्रेज जासूसों को भांप लेती थीं,कैसे?

भोजपुरी के अश्लील गीतों पर जम कर थिरके सरस्वती-पुत्र

Raghunathpur:अग्निपीड़ित परिवारों को राजद प्रखण्ड अध्यक्ष ने की मदद

 

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!