सचमुच मुनव्वर होना आसान नहीं है,कैसे?

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priyranjan singh
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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मकबूल शायर मुनव्वर राना 14 जनवरी 2024 की रात हमेशा के लिए इस फानी दुनिया से रुखसत हो गये. उनका गुजर जाना शायरी की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है, सुखन सराय में एक बेहद खास जगह का खाली हो जाना भी है क्योंकि मुनव्वर राना ने शायरी की दुनिया में एक जरखेज जमीन तैयार की थी, जहां इनसानी रिश्तों के कई मौजू झलकते हैं. उनका जाना मेरे लिए जाती नुकसान भी है.

अभी 10 फरवरी 2024 को पटना में मैं एक मुशायरा करने जा रहा हूं और उस मुशायरे में वे भी शिरकत करने वाले थे. उन्होंने मुझसे बार-बार यही कहा, ‘इंशा अल्लाह! मैं जरूर आऊंगा, अगर सेहत अच्छी रही तो.’ लेकिन शायद खुदा को यह कबूल नहीं था. उन्होंने पिछले आठ साल के राबिता में जो खुलूस, जो मुहब्बत मुझे दी और मेरी शे’री मजमुआ के लिए जिस प्यार से लिखा, वह मेरे दिल में हमेशा सरमाया के तौर पर बना रहेगा. लेकिन इतनी शिकायत तो रह ही जायेगी मुनव्वर साहिब कि वादा तोड़कर आपने अच्छा नहीं किया. लेकिन कोई बात नहीं, वादे अक्सर टूट जाते हैं.

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