पत्रकार का धर्म है समाज से संबद्ध होना- डॉ.अशोक प्रियंवद

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पत्रकार के कार्य को मैं सम्मानित करता हूं- डॉ. अशरफ अली

✍️  राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन बड़हरिया नगर पंचायत में स्थित, गरीब चिकित्सालय के परिसर में किया गया। इस अवसर पर गरीब अस्पताल के प्रबंधक डॉक्टर अशरफ अली एवं राजद नेत्री डॉक्टर शाईका नाज़ के द्वारा सीवान जिले के विभिन्न भागों से पधारे पत्रकारों को अंग वस्त्र, डायरी और कलम भेंट किया गया।

समारोह में सी‌वान से पधारे वरीय पत्रकार डॉ. अशोक प्रियंवद ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि पत्रकार का क्षेत्र समाज है। पत्रकारिता अपने आप में एक अनुभव होता है। पत्रकार का धर्म है समाज से संबद्ध होना। मनुष्य अपनी सकारात्मक इस भौतिक युग में समाप्त कर रहा है। वह‌ अपने अमूल्य गुण को गंवा रहा है जबकि व्यक्ति के लालच के लिए यह समाज नहीं है। व्यक्ति के पास जानवरों से अलग केवल संवेदना है। इसलिए पत्रकारों को अति संवेदनशील होना चाहिए। समाज के संवेदन तत्वों पर हम काम भी करते है। हमें मूल मुद्दों से भटककर उन्माद पैदा करने वाली प्रवृत्ति से बचकर रहना चाहिए।

राजनीति हमारे सफर का हिस्सा है- डॉ. अशरफ अली


गरीब अस्पताल के प्रबंधक डॉक्टर अशरफ अली ने कहा कि हमारे जीवन में राजनीति एक सफर है एक यात्रा है लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा मेरा समाज है। मैं आपके साथ सदैव रहूं इसके लिए इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करता हूॅं । मैं आपके कलम की स्याही बना रहूॅ इसलिए इस तरह के कार्यक्रमों को मैं आयोजित करता हूॅं ।आप हमारे विचार हैं और इसके बिना मेरा लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। मैं इसे एक सेवा मानता हूॅं। मैं यह चाहता हूं कि वर्ष में दो दिन यह सम्मान समारोह हो।

वही हिंदुस्तान के पत्रकार जमाले फारूक ने कहा कि आयोजन के‌ मैं डॉक्टर साहब को बधाई देता हूं। पत्रकार अभिनव पटेल ने कहा इस कार्यक्रम के सूत्रधार वह गरीब चिकित्सालय के प्रबंधक डॉक्टर साहब को इस कार्य के लिए मैं साधुवाद देता हूं।

जबकि दैनिक समाचार पत्र सहारा के ब्यूरो अरविंद पाठक ने कहा कि बसंत पंचमी के अवसर पर इस तरह के कार्यक्रम का होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। हमें अपने समाज का विश्वास कायम रखना‌ है। सम्मान देना सम्मान को प्राप्त करना है।

श्री नारद मीडिया के प्रबंध संपादक राकेश कुमार तिवारी ने कहा की समाज के मन की बातों को पृष्ठों पर रख हम सभी का उद्देश्य होता है। समाज को दिशा-दशा देते हुए सूचना प्राप्त करना एवं उसे प्रसारित करना हम सभी का कार्य होता है। डॉक्टर साहब ने समाज के लिए जो अपना लक्ष्य रखा है वह अपने आप में अनूठा है। इनके अंदर एक शिक्षक है जो सदैव सीखता रहता है।

वही डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा कि पत्रकार एवं शिक्षक समाज का गुण और दोष उद्धृत करने का प्रयास करते है। पत्रकार समाज के दर्पण है। मानवता के लिए आपकी लिखनी आवश्यक है।

वरीय पत्रकार आकाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वालों को सम्मान देना उनके मनोबल को बढ़ाना है। ज्ञान लेना और उसे बांटना हम पत्रकारों का काम होता है। एक सच्चे पत्रकार के रूप में हम पूरे मनोयोग से कार्य करें यह हमारी कोशिश होती है।

श्रीनारद मीडिया की संपादक राजेश पाण्डेय ने कहा कि पत्रकारों के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि हम समाज को क्या दे रहे हैं और हम समाज के लिए क्या छोड़ कर जाएंगे? आपने देखा कि सीवान जिले को प्रशासनिक तौर पर गठित हुए 52 वर्ष हो गए परन्तु सुवान को जानने समझने के लिए एक सरकारी तौर पर गजेटियर नहीं है, इसके बावजूद भी अगर हम सीवान को जानना समझना चाहे तो, हम पत्रकार के श्रद्धेय स्वर्गीय मुरलीधर शुक्ल उर्फ आशा शुक्ल की गजेटियर सोनालिका है। यह पत्रकार की उपलब्धि है।

पत्रकारिता 1826 से 1947 तक मिशन थी, 1947 से 2000 तक यह प्रोफेशन रही, 2000 के बाद इसे विभिन्न नाम से पुकारा जाता है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब मीडिया व डिजिटल मीडिया के रूप में यह हमारे बीच में अपनी प्रासंगिकता को बिखेर रहा है। डॉक्टर साहब जैसे व्यक्तित्व का यहां हम सभी पत्रकारों को बुलाकर सम्मान देना सीवान की स्थानीयता को उभरने का भी एक अवसर है। हमें अपने सीवान को समझना चाहिए ताकि नई पीढ़ी इस भूमि से लगाव रखें। क्योंकि जब भी हम भविष्य को बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ते हैं तो उसके लिए आवश्यक है कि हम अपनी अतीत की चीजों को जाने समझे।

मंच का संचालन करते हुए वरीय पत्रकार व शिक्षक आनंद मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य है जागते रहो। सूचनाओं का संजाल में हमारी भूमिका होती है। समाज समाज के प्रति संवेदनशीलता हमारी प्रमुख विशेषता है। हम निष्पक्ष रहे निर्लिप्त रहें, समाज के लिए कुछ काम करें, ईश्वर से हम सभी यही कामना करते हैं। आज बसंत पंचमी का त्यौहार है। बाहर की प्रकृति में जब बसंत प्रकट होता है तो सुगंध, पराग, मंजरी, पुष्प का दर्शन होता है और भीतर के प्रकृति में जब बसंत प्रकट होता है तो ज्ञान का फल प्रस्तुत होता है। अंतःकरण में भी बसंत आता है जो समाज से हमें संबंध होने के लिए उद्धृत करता है।

इस अवसर पर पत्रकार मुस्ताक, नेयाज़ पुष्कर, सहित कई पत्रकार एवं गणमान्य प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

 

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