समाज के ऋण को उतारना मनुष्य का कर्तव्य :रामनारायण दास

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श्रीनारद मीडिया, जीरादेई, सीवान (बिहार):

सीवान जिला के जीरादेई प्रखण्ड मुख्यालय स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर जीरादेई मेँ सोमवार को परम् संत रामनारायण दास जी महाराज के सानिध्य मेँ सत्संग एवं भंडारे का आयोजन किया किया.
संत्संग एवं भंडारे का आयोजन देशरत्न के पैतृक सम्पत्ति के प्रबंधक रहे स्व बच्चा बाबू के स्मृति मेँ किया गया. आयोजक रामेश्वर सिंह ने बताया कि मेरे पिता बच्चा बाबू भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे तथा इस मंदिर के पुजारी भी थे.

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के बाद रामनारायण दास जी महाराज ने उनके जीवन के अंश पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने प्रत्येक नेतृत्व विविध परिस्थितियों में ,विविध लोगों के लिये कर के यह सिद्ध किया कि व्यक्ति समाज के ऋण को अपने सामान्य कार्यो व पूजन द्वारा उतार सकता है ।महराज जी ने कहा कि श्री कृष्ण ने पांडवों का समर्थन इसलिये नहीं किया कि वे लोग उनके रिश्ते में भाई लगते थे या उनकी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था या द्रौपदी के प्रति उनके ह्रदय में विशेष स्नेह था ।राम नारायण दास ने कहा कि श्री कृष्ण ने उन्हें समर्थन दिया और उनका पथ प्रदर्शन एक बड़े उत्तरदायित्व के लिये किया ।

महराज जी ने कहा कि उन्होंने उच्च कोटि के राजनयिक और परोपकारी नेतृत्व का प्रदर्शन महाभारत के महायुद्ध से पूर्व और उसके पश्चात किया ।श्री कृष्ण ने अपना नेतृत्व द्वारका या यादवों तक सीमित नहीं रखा ,बल्कि उन्होंने वैशिवक नेतृत्व की शानदार मिसाल पेश की ।महराज जी ने कहा कि उन्होंने गांधार के शकुनि (वर्तमान अफगानिस्तान )की प्रत्येक कुटिल चाल को विफल किया ,कालयवन का वध बड़ी चतुराई से किया ,जो वर्तमान बलूचिस्तान का शक्तिशाली नरेश था ।

उन्होंने नागों का प्रबन्ध किया जो आज के नागालैंड और म्यांमार है तथा घटोत्कच जैसे आदिवासी राजाओं की सहायता कठिन स्थितियों में प्राप्त की ।रामनारायण दास ने कहा कि श्री कृष्ण के नेतृत्व ने आम जनता तथा उसके सभी वर्गों का प्रेम और सम्मान प्राप्त किया ,जो हमारे समाज के लिये अनुकरणीय व वंदनीय है । संत श्याम सुंदर दास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन दर्शन मानवीय विकास के लिये प्रेरणा का स्रोत है ।उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण सम्पूर्ण नेता थे जो अपने छह ईश्वरीय गुणों शक्ति ,धन ,ज्ञान ,सौंदर्य ,साफल्य
त्याग के कारण विभिन्न स्थानों पर नेतृव करते थे ।

श्री दास ने कहा कि श्री कृष्ण के भीतर जो नेता था उसमें कार्यशील घटकों का अद्भुत समिश्रण था ।उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का नेतृत्व अधिक सामूहिक ,सबको अपने में समाहित करने वाला और आक्रामक था ,मानवीय धरातल पर उन्होंने सिद्ध किया कि सत्य की स्थापना हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर नहीं हो सकती । श्री दास ने कहा कि श्री कृष्ण का संदेश साफ था कि आपको अपने अभिगम के प्रबन्ध कौशल को मजबूती से जमे हुए दुष्टों से निपटने हेतु बदलना ही होगा ।

इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया । भजन कीर्तन का भी कार्यक्रम हुआ ।इस मौके पर संत श्याम सुंदर दास, डा विनोद कुमार पांडेय,रामेश्वर सिंह , प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह, मुन्ना पांडेय,विजय सिंह,हरिकांत सिंह , विकास सिंह , अभिमन्यु कुमार यादव, रामा जी सिंह,जितेन्द्र सिंह,आनंद सिंह,सत्येन्द्र सिंह, अंगद कुमारआदि उपस्थित थे ।

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