Breaking

शिक्षक की मर्यादा को बचा लेना ही शिक्षक की है  योग्यता 

शिक्षक की मर्यादा को बचा लेना ही शिक्षक की है  योग्यता

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क :

आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है ।एक अच्छी परंपरा बनी है जो शिक्षक व छात्र दोनों के लिए सीख व प्रेरणादायक है ।शिक्षक की मर्यादा को आजीवन बचा लेना ही शिक्षक की सही योग्यता है ।

आज प्रदूषित वातावरण में जहाँ सामाजिक व नैतिक पतन अधिक हो रहा है वही एक शिक्षक अगर समाज को नई दिशा देने में समर्पित हैं तो इससे बढ़कर पुनीत कार्य क्या हो सकता है ?यह पुनीत कार्य हमें संस्कार ,नैतिक आचरण व सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने में हमें मदद करता है ।

तथा गलत कार्यों से हमें रोकता है जबकि इसका भी अपवाद है कि कई असंस्कारिक व्यक्ति शिक्षक की फर्जी पात्रता की व्यवस्था कर शिक्षक समाज के मानमर्यादा को धूमिल कर रहे है तथा शिक्षक समाज को बदनाम करने पर तुले हुए हैं ।शिक्षक कोई जाति धर्म का नाम नहीं है बल्कि सर्व समाज के उत्थान का वाहक का नाम है जो अपनी मेहनत से हमारी बुद्धि ,विवेक को बढ़ाता है ।साथ ही शिक्षक व छात्र में समन्वय भी आवश्यक है तथा छात्र को अपने पुत्रों की भांति देखभाल करना ही सच्चे शिक्षक की निशानी है ।
छात्र का भी दायित्व बनता है कि शिक्षक को अपने माता -पिता के समान आदर व सम्मान दें । साथ ही शिक्षक को अपनी सोहरत सदैव रखने के लिए सामाजिक स्तर को बनाये रखना आवश्यक है । हमें तन व मन से इसकी रक्षा करनी चाहिए अन्यथा शिक्षा कार्य से दूरी बना लेना ही समझदारी होगी । वह छात्र कामयाब होता है जो झुकना जानता है ।जीवन में कभी भी उसे कोई परास्त नहीं कर सकता ।

 

आज छात्र को आगे बढ़ने के लिए गुरुकुल परम्परा को आत्मसात करने की आवश्यकता है तथा अध्ययन प्रतिदिन करने की जरूरत है तथा दिनचर्या के अनुरूप पढ़ाई , खेल ,घरेलू कार्य व व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करने की आवश्यकता है ।बचत का सीख अभी से शुरू करें तथा अनावश्यक व्यय से बचें तथा सोशल मीडिया से बिल्कुल दूर रहें ।सोशल मीडिया विद्यार्थी जीवन को नष्ट -भ्रष्ट करने पर तुला हुआ है यधपि यह ज्ञान का भी अच्छा स्रोत है पर छात्र उस ओर कम आकर्षित हो रहे है ।

कारण यह है कि बुरे कर्म के प्रति आकर्षण हमारी सनातन प्रवृत्ति है ।अच्छे कार्य निरश होते है उसका रस बहुत स्वादिष्ट व हितकर होता है पर फल देर से मिलता है जबकि बुरे कार्य का फल शीघ्र ही मिलना शुरू हो जाता है ।

शिक्षक दिवस पर सुबह ही मेरे छात्र रहे विशोक श्रीवास्तव ने घर आकर शुभकामना दिए वही विद्यालय पर मेरे छात्र रहे घनश्याम सिन्हा ,अल्ट्रा साइंस कोचीन सेंटर विजयीपुर मोड़ पर आशुतोष कुमार द्विवेदी ,राजा चौबे ने शुभकामना दिया ।
मेरे तरफ से सबको असीम शुभकामनाएं । एक बने ,नेक बने तथा माता -पिता व गुरु की सेवा समर्पित व संकल्पित होकर करें ।

यह भी  पढ़े

वाराणसी में एक बार फिर 2 सेंटी मीटर प्रति‍घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा गंगा का जलस्‍तर, टूटने लगा घाटों का आपसी संपर्क

वाराणसी में कांग्रेस के ‘प्रशिक्षण से पराक्रम’ कार्यक्रम में आगामी विधानसभा चुनाव की की गयी तैयारियां

वाराणसी में लंबे-चौड़े बिजली के बिल के खिलाफ सुबह-ए-बनारस क्लब ने किया प्रदर्शन, स्मार्ट मीटर हटाने की मांग

Leave a Reply

error: Content is protected !!