बदलाव का दौर है, बदलाव से समायोजन ही सर्वश्रेष्ठ उपाय हो सकता है–गणेश दत्त पाठक
सेना में भर्ती की नई प्रक्रिया अग्निपथ पर करना होगा पर्याप्त मनन चिंतन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
समय का चक्र चल रहा है। तकनीकी सुविधाओं के आधार पर बदलाव की गति तीव्र होती जा रही है। ऐसे में बदलाव हर सेक्टर में हो रहा है। उस बदलाव के पीछे के कारणों को समझने का प्रयास करना चाहिए। बिना किसी तथ्य को समझे सड़कों पर उतर जाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, सारी व्यवस्थाओं को पटरी से उतारने का प्रयास कतई सहीं नहीं माना जा सकता। सरकार के सेना में भर्ती संबंधी नई योजना अग्निपथ पर सार्थक और तर्कसंगत मनन मंथन का मांग करता समय दिख रहा है।
देखिए समय को देखिए, देखिए परिवेश में बदलाव को देखिए। समाज में हर कुछ बदल रहा है। तकनीकी प्रगति के कारण बदलाव की गति तीव्र हो चुकी है। फिर आप कैसे सोचते हैं कि सेना में भर्ती की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होगा? समय के साथ हर संगठन सामायिक आवश्यकताओं के अनुरूप अपने भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करता है। फिर इतना हल्ला गुल्ला क्यों?
अग्निवीरों में से 25 फीसदी तो सेना में ही रह जायेंगे बाकी 75 फीसदी जब सेना छोड़ेंगे तब उनके पास 12 लाख की जमापूंजी तो होगी ही। एक अनुशासित जिंदगी का आधार भी होगा। जहां गृह मंत्रालय केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में उनको वरीयता देने का बात कर रहा है वहीं विभिन्न राज्य अपने पुलिस संगठनों में अग्नि वीरों को वरीयता देने की बात कर ही रहे हैं। साथ ही, ध्यान देने योग्य बात यह है कि आज के दौर में कई ऐसे कोर्सेज चल रहे हैं जो कभी भी कैरियर के शुरुआत को आधार दे सकते हैं। अब वे दिन नहीं रहे जब केवल गिने चुने रोजगार के अवसर उपलब्ध हुआ करते थे। आज कई क्षेत्रों में काम के अवसर उपलब्ध हैं। अपने स्किल का विकास कर अग्निवीर अच्छी कमाई कर सकते हैं। निश्चित तौर पर स्किल का क्षेत्र अग्निवीर के पसंद का रहेगा तो बेहतर रहेगा।
उद्यमिता की अवधारणा को आज के दौर में विशेष महत्व दिया जा रहा है। उद्यमिता के लिए पूंजी की भी आवश्यकता होती है और कौशल की भी। जब अग्निवीर के सेवा का समापन हो जाएगा तो एक अच्छी खासी धनराशि पीएफ मद से भी मिलेगी। जिसके आधार पर वे कौशल और उद्यमिता का विकास कर सकते हैं।
सबसे बड़ी बात सेना में सेवा के दौरान अग्निवीर अनुशासन के महत्व के फलसफे को अच्छी तरह समझ जाएंगे। जो उनकी बाकी जिंदगी के लिए एक बड़ा सबक होगा। अनुशासन के बल पर वह भीड़ से अलग दिखेंगे जो उनके विकास का आधार भी बनेगा। अग्निवीर हर काम में बेहद संजीदगी भी दिखाएंगे, जो उनकी उन्नति का आधार भी बनेगा। प्रतिस्पर्धा में अग्निवीर का अनुशासन उन्हें अलग पायदान पर ले जायेगा।
एक चीज यह भी देखने में आ रही है की नई पीढ़ी बेहद टेक्नो फ्रेंडली हो रही है। जंग के मोर्चे पर भी नई तकनीकों से सुसज्जित हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह तकनीक में सुधार नई पीढ़ी से बेहतर जुगलबंदी कायम कर पाती है। इसलिए नए युवा तकनीक के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में सक्षम हो पाएंगे। जो सामरिक सुरक्षा के लिहाज से एक बेहतर बात होगी।
सब कुछ देखकर यहीं समझ में आ रहा है कि छात्रों के विरोध के आधार सरकारी नौकरी के प्रति परंपरागत मोह ही है। पेंशन आदि तो कई सेवाओं से समाप्त हो चुके हैं। यह अलग बात है कि सामाजिक सुरक्षा के बतौर पेंशन पर मंथन होना चाहिए और एक तर्कसंगत और मानवीय आधार पर पेंशन प्रणाली की प्रासंगिकता को परखना चाहिए। लेकिन वर्तमान आर्थिक दौर में संसाधन प्रबंधन और संसाधन का अधिकतम उपयोग एक महत्वपूर्ण तथ्य बन चुका है।
अग्निवीर को सेवा उपरांत मिलनेवाला धन उनके लिए एक सुविधापूर्ण जिंदगी की बुनियाद को तैयार कर सकता है। थोड़ी अस्थिरता और सुरक्षा की भावना उत्पन्न होना लाजिमी है लेकिन अग्निवीर का अनुशासित कलेवर और आत्मविश्वास उसका एक मजबूत आधार होगा।
इसलिए आवश्यक है कि युवा भावनाओं में न बहके और सड़कों पर आकर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान करने के पहले शांत चित्त होकर अग्निपथ की व्यवस्थाओं को समझें। समय में बदलाव, तकनीक में बदलाव, परिस्थिति में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव मानसिकता में बदलाव की अपेक्षा भी कर रहा है। बदलती परिस्थितियों के अनुरूप समायोजन ही एक ऊर्जावान और सकारात्मक व्यक्तित्व की पहचान हो सकती है।
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