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जदयू वक्फ बोर्ड बिल पर मुसलमानों की चिंता से अवगत करायेगी

जदयू वक्फ बोर्ड बिल पर मुसलमानों की चिंता से अवगत करायेगी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नरेंद्र मोदी सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक का लोकसभा में समर्थन और बचाव करने के बाद केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की सोमवार को पटना में मुस्लिम नेताओं से मुलाकात हुई है। मुलाकात के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि बिल पर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में जदयू के प्रतिनिधि मुसलमानों की चिंताओं को उठाएंगे। 31 सदस्यीय जेपीसी में जेडीयू की तरफ से सुपौल के सांसद दिलेश्वर कमैत मेंबर हैं। समिति की पहली बैठक हो चुकी है जिसमें वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को रखने का विपक्षी दलों ने एक स्वर से विरोध किया। पहली मीटिंग में कमैत ने कहा था कि बिल को लेकर चिंतित मुसलमानों से जेडीयू बात कर रही है इसलिए वो अगली बैठक में अपनी बात रखेंगे।

लोकसभा में ललन सिंह ने बिल पर विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए कहा था कि विपक्ष गुरुद्वारा और मंदिर का उदाहरण दे रहा है लेकिन वक्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक संस्था है। ललन ने कहा था कि सरकार धर्म में नहीं दखल दे रही लेकिन अगर संस्था में भ्रष्टाचार है तो क्यों दखल नहीं दे सकती। जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की तरफ से वक्फ बिल के बचाव को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने पटना में पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। मुस्लिम नेताओं ने नीतीश के सामने जेडीयू के स्टैंड पर नाराजगी जाहिर की थी और बिल पर अपनी आपत्तियां गिनाई थी। नीतीश ने मुसलमानों को भरोसा दिलाया था कि कुछ गलत नहीं होने दिया जाएगा।

नीतीश के निर्देश पर सोमवार को पटना जेडीयू कार्यालय में ललन सिंह की शिया और सुन्नी बोर्ड के नेताओं के साथ मीटिंग हुई। बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बताया कि दोनों बोर्ड केअध्यक्षों ने कानून में प्रस्तावित संशोधन को लेकर अपना पक्ष विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि नीतीश अल्पसंख्यकों के विकास और हित को लेकर हमेशा कार्य करते रहे हैं। अल्पसंख्यकों के हितों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। बैठक में मंत्री विजय चौधरी, जमा खान, महासचिव मनीष वर्मा, शिया वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के सैयद अफजल अब्बास और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद ईर्शादुल्लाह मौजूद थे।

इस विधेयक का जेडीयू ने भी खुलकर समर्थन किया है। जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि यहां गलत तर्क दिए जा रहे हैं। यहां मंदिर, गुरुद्वारे का उदाहरण दिया जा रहा है। आप समझ नहीं रहे हैं। मंदिर और गुरुद्वारे धार्मिक स्थल हैं। लेकिन वक्फ बोर्ड एक संस्था है। ये धार्मिक स्थल नहीं है। भले ही सरकार धर्म में दखल न दे, लेकिन किसी संस्थान में करप्शन हो तो फिर सरकार दखल क्यों नहीं दे सकती। आप अल्पसंख्यकों की बात करते हैं तो फिर सिखों की हत्याएं किसके दौर में हुई थीं। आखिर किस सिख टैक्सी ड्राइवर ने इंदिरा गांधी की हत्या की थी। लेकिन आप के दौर में खोज-खोजकर सिखों को मारा गया। हजारों लोगों को मार डाला गया। हम लोग इसके गवाह हैं।

ललन सिंह के भाषण के दौरान सदन में जोरदार हंगामा भी देखने को मिला। सूत्रों का कहना है कि इस विधेयक पर भाजपा को टीडीपी, जेडीयू जैसे सहयोगी दलों से समर्थन का भरोसा मिला है। इस बिल का एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी समर्थन किया। विधेयक का समर्थन करते हुए श्रीकांत शिंदे ने कहा कि जो लोग इसमें राजनीतिकरण कर रहे हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि इस देश में एक ही कानून चलेगा। कुछ लोगों को अलग कानून क्यों चाहिए। इस बिल का एक ही मकसद है- पारदर्शिता और जवाबदेही। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग यहां भ्रम फैला रहे हैं।

एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी किया पुरजोर समर्थन

शिंदे ने कहा कि इन लोगों की जब सरकार थी तो इन लोगों ने महाराष्ट्र के मंदिरों में प्रशासक बिठाया था। तब इन लोगों को सेकुलरिज्म ध्यान नहीं आया। अब जब देश में एक कानून चलाने की बात हो रही है तो फिर दिक्कत क्या है। इस बिल में मुस्लिम महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने की बात सरकार ने कही है। इसी तरह जब शाहबानो को 1986 में अदालत से न्याय मिला था तो इन लोगों ने उसे छीन लिया था। एकनाथ शिंदे ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर 85 हजार से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं। यह देश में सबसे ज्यादा जमीन रखने वाली संस्थाओं के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। हम चाहते हैं कि इन जमीनों पर अच्छे स्कूल, कॉलेज और अस्पताल आदि बनें।

वाईएसआर कांग्रेस ने किया बिल का विरोध, सरकार को झटका

हालांकि कई मामलों में सरकार का समर्थन कर चुकी वाईएसआर कांग्रेस ने इसका विधेयक का विरोध किया है। पार्टी सांसद ने कहा कि इस मामले में जताई जा रही चिंताओं से हम सहमत हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने जो बातें कही हैं, हम भी उससे सहमति जताते हैं। अब तक बीजेडी का रुख सामने नहीं आया है कि वह इस विधेयक का समर्थन करेगी या विरोध में रहेगी।

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