Jeeva Murder संजीव जीवा को भी मिली अतीक-अशरफ जैसी मौत,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट में वेस्ट यूपी के गैंगस्टर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसे कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था जहां उसे गोली मार दिया गया. बीजेपी नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या मामले में वो आरोपी था. जेल में संजीव जीवा उम्र कैद की सजा काट रहा था. चश्मदीद के मुताबिक इस घटना में एक बच्ची समेत तीन लोग घायल भी हुए हैं. हमलावर वकील की ड्रेस में आया था. आरोपी की पहचान विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है.

कौन था संजीव जीवा?

संजीव जीवा यूपी के यूपी के मुजफ्फरनगर का कुख्यात अपराधी था. शुरूआती दिनों में वो एक दवाखाने में कंपाउडर की नौकरी करता था. नौकरी के समय ही इसने दवाखाना के संचालक को अगवा कर लिया था. वहीं, कोलकता में एक कारोबारी के बेटे को भी अगवा कर दो करोड़ की फिरौती मांगी थी. हाल ही में मुजफ्फरनगर में जीवा की करीब 4 करोड़ रुपये की कीमत की प्रॉपर्टी को जिला प्रशासन ने कुर्क किया था. 10 मई 1997 को इसका नाम बीजेपी के बड़े नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया था.

संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी नाम आया था, हालांकि इस मामले में 2005 में कोर्ट ने बरी कर दिया. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे.  इनमें से 17 मामलों में वह बरी हो चुका था. जेल से ही गैंग चलाने के आरोप जीवा पर लगते रहे.

कोर्ट परिसर में अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से सनसनी और अफरातफरी का माहौल बन गया। हालांकि, हमलावरों में शामिल एक युवक को पुलिस ने दबोच लिया, जिसकी पहचान जौनपुर के रहने वाले बदमाश विजय यादव के रूप में हुई, जबकि उसका साथी मौके से फरार हो गया।

जीवा को मिली अतीक जैसी मौत

संजीव जीवा की हत्या की घटना को अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। इत्तेफाक यह हुआ है कि दोनों ही घटनाएं पुलिस कस्टडी में ही हुई हैं, जिसके बाद पुलिस प्रशासन पर सवालिया निशान लगने लगा है। बता दें कि प्रयागराज में ही माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को बीती 15 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में ही बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना में हमलावर पत्रकार के भेष में आए हुए थे।

जीवा पर हमले में एक बच्ची को भी लगी गोली

वकील के ड्रेस में आए जौनपुर केराकत का विजय यादव व एक अन्य बदमाश ने पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट के परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी। आनन फानन में उसे बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, हमले में एक बच्ची को भी गोली लगी है, जिसे ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा, वकीलों द्वारा की गई पत्थरबाजी में घायल एसीपी चौक सुनील शर्मा को सिविल अस्पताल से प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।

कोर्ट में घुसते ही चलाने लगे गोलियां

सिविल कोर्ट के एससी/एसटी कोर्ट परिसर में हुई इस घटना के समय वहां मौजूद अधिवक्ता मनीष वर्मा ने बताया कि दोनों बदमाश अधिवक्ता की ड्रेस में थे। कोर्ट परिसर में घुसते ही ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे इससे भगदड़ मच गई। देखते ही देखते दोनों बदमाश संजीव के पास पहुंच गए और कई गोलियां दाग दी।

पूरे परिसर में अफरातफरी मच गई, इसका फायदा उठाते हुए दोनों भागने लगे। हालांकि, अधिवक्ता एसपी सिंह और अरुण शुक्ला ने बदमाश विजय यादव को दबोच लिया, जबकि दूसरा भागने में सफल रहा। इससे पहले प्रयागराज में रिपोर्टर बनकर आए बदमाशों में बाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस दौरान भी पुलिस की नाकामी पर सवाल खड़े हुए थे और बुधवार को प्रदेश की राजधानी में इतनी बड़ी वारदात के बाद से पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

लखनऊ जेल में उम्रकैद काट रहा था कुख्यात

मुजफ्फरनगर निवासी संजीव माहेश्वरी और उर्फ जीवा लखनऊ जेल में उम्रकैद काट रहा था। जीवा को 1997 में हुए भाजपा नेता ब्रहमदत्‍त द्विवेदी हत्‍याकांड में उम्रकैद हुई थी। उस पर कृष्णानंद राय हत्‍याकांड का भी आरोप लगा था, लेकिन इस मामले में जीवा बरी हो चुका था।

जीवा पर जेल से ही गैंग चलाने और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप था। गत कुछ वर्षों सें संजीव जीवा पत्‍नी को सियासत में स्‍थापित कराने के प्रयास में जुटा था। जीवा की पत्‍नी पायल माहेश्‍वरी ने रालोद की सदस्‍यता ग्रहण कर 2017 में सदर सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।

वर्ष 2017 में कारोबारी के हत्याकांड में हुई थी जीवा को सजा

जीवा पर वर्ष 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से जीवा लखनऊ की जेल में बंद था। साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है।

28 साल पहले अपराध की दुनिया में आया था जीवा

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा वर्ष 1995 से संगीन घटनाओं को अंजाम देता रहा है। संजीव जीवा इंटरस्टेट गैंग का लीडर था। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसी संगीन धाराओं में दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं।

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