उत्तर प्रदेश में झांसी रेलवे स्टेशन को वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाएगा,क्यों?

उत्तर प्रदेश में झांसी रेलवे स्टेशन को वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाएगा,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश में झांसी रेलवे स्टेशन को वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाएगा।

Rani_Lakshmibai

प्रमुख बिंदु

  • प्रारंभिक जीवन:
    • उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
    • उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ था और उन्हें प्यार से ‘मनु’ कहा जाता था।
    • उनका एक पुत्र दामोदर राव पैदा हुआ, जो अपने जन्म के चार महीने के भीतर ही मर गया। शिशु की मृत्यु के बाद उनके पति ने एक चचेरे भाई के बच्चे आनंद राव को गोद लिया, जिसका नाम महाराजा की मृत्यु से एक दिन पहले दामोदर राव रखा गया था।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
    • रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बहादुर योद्धाओं में से एक थीं।
    • वर्ष 1853 में जब झांसी के महाराजा की मृत्यु हुई, तो लॉर्ड डलहौजी ने बच्चे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) को लागू किया और राज्य पर कब्जा लिया।
    • रानी लक्ष्मीबाई ने अपने साम्राज्य को विलय से बचाने के लिये अंग्रेज़ों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। 17 जून, 1858 को युद्ध के मैदान में लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
    • जब इंडियन नेशनल आर्मी ने अपनी पहली महिला इकाई (1943 में) शुरू की, तो इसका नाम झांसी की बहादुर रानी के नाम पर रखा गया।

व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse):

  • यह वर्ष 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर-जनरल के रूप में लॉर्ड डलहौजी द्वारा व्यापक रूप से पालन की जाने वाली एक विलय नीति थी।
  • इसके अनुसार कोई भी रियासत जो ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण में थी, जहाँ शासक के पास कानूनी पुरुष उत्तराधिकारी नहीं था, कंपनी द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता था।
    • इस प्रकार भारतीय शासक के किसी भी दत्तक पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया जाता था।
  • व्यपगत का सिद्धांत लागू करते हुए डलहौजी द्वारा निम्नलिखित राज्यों पर कब्ज़ा किया गया:
    • सतारा (1848 ई.),
    • जैतपुर, और संबलपुर (1849 ई.),
    • बघाट (1850 ई.),
    • उदयपुर (1852 ई.),
    • झाँसी (1853 ई.) और
    • नागपुर (1854 ई.)

नाम बदलने की प्रक्रिया:

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